टीवी में खेती-बाड़ी कार्यक्रम देख बेमौसम खेती से प्रभावित हुए किसान, किसान कॉल सेंटर से ली योजना की जनकारी
पॉली हाउस के माध्यम से सलाना कमा रहे हैं 3-4 लाख, 10-15 लोगों को मिल रहा रोजगार वर्तमान समय में ज्यादातर किसान परम्परागत खेती में उलझे हुए हैं। इस कारण हर वर्ष किसानो को मौसम की मार झेलनी पड़ी है। लागत के अनुसार आमदनी नहीं होने के कारण किसानों को भी मायुस होना पड़ता है। लेकिन किसानों में अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति जाग जाए तो कुछ भी नामुकिन नहीं है। ऐसा ही कर दिखाया इस्लामपुर के विजय कुमार भानु ने। इन्होंने दुरदर्शन पर प्रसारित होने वाले खेती-बाड़ी कार्यक्रम को देख बेमौसम कृषि प्रणाली से प्रभावित हुए और आज पॉलीहाउस के माध्यम से सलाना 3-4 लाख की कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं करीब 10-15 लोगो को रोजगार भी दे रहे हैं। भानु ने बताया कि करीब ढाई साल पहले टीबी पर कार्यक्रम को देखा और किसान कॉल सेंटर से पॉली हाउस के बारे में जानकारी ली। इसके बाद कॉल सेंटर से मिले दिशा निर्देश के अनुसार उद्यान विभाग से योजना के बारे में जानकी ली। इसके बाद अनुदानित दर पर पॉली हाउस का निर्माण कराया। अब बेमौसम सब्जी की खेती कर प्रति वर्ष करीब 3-4 लाख की कमाई हो रही है। विभाग से भी काफी सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मौसम के बेरूखी से निपटने के लिए किसानों को परम्परागत कृषि प्रणाली से अलग होना होगा। लागत कम, आमदनी ज्यादा उन्होंने बताया कि पॉली हाउस निर्माण में किसान को एक बार पूंजी लगाना पड़ता है। उसमें भी 90 प्रतिशत सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। इसके बाद सालों इच्छानुसार सब्जीकी खेती कर कमाई कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात है कि कम लागत में अधिक मुनाफा मिलता है। खुले खेती में 2 माह से ज्यादा कोई भी फसल नहीं ले सकते हैं। लेकिन पॉली हाउस में सीधा दुगना यानी 4 माह तक फसल ले सकते हैं। इतना ही नहीं खर-पतवार आैर कीड़ा लगने की संभावना भी कम हो जाती है। इसके अलावे भी पॉलीहाउस में खेती करने से कई लाभ है। सामान्य खेती की तुलना में 6 गुणा आय श्री वर्मा ने बताया कि सामान्य खेती की तुलना में पॅली हाउस से करीब 6 गुणा अधिक लाभ प्राप्त होता है। जितनी आमदनी 6 विगहा में होती थी उससे ज्यादा आमदनी 1 विगहा में हो जाती है। पहले सलाना 1 लाख कमाई नहीं हो पाती थी लेकिन पॉली हाउस में खेती शुरू करने के बाद सलाना 3-4 लाख आमदनी हो रही है। वर्तमान में धनिया की खेती करने के साथ-साथ सब्जी का नर्सरी तैयार कर रहे हैं। जो एक महीना में तैयार हो जाएगा। इसके बाद इसमें टमाटर, बैगन की खेती शुरू होगी।
ऐप के माध्यम से लेते हैं प्रबंधन की जानकारी उन्होंने बताया कि फसल प्रबंधन के लिए भी ऐप के माध्यम से जानकारी ले लेते हैं। अगर फसल मेंकिसर प्रकार की बिमारी लग जाती है तो प्लांटिक्स ऐप पर पौधा की तस्वीर आपलोड कर लेते हैं और उसी से बिमारी का नाम और दवा की जानकारी मिल जाती है। दुकान में अगर लक्षण बताते हैं तो कई प्रकार के दवा दे दिया जाता है लेकिन ऐप पर सिमित दवा का प्रयोग करने की जानकारी दी जाती है। इससे फसल प्रबंधन में काफी सहयोग मिलता है। 10-15 लोगों को मिल रहा रोजगार बड़े स्तर पर खेती होने से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। भानू ने बताया कि मौसम के अनुसार यहां लोगों को राेजगार दिया जाता है। फसल लगने से लेकर अंतिम चरण पुरा होने तक सभी लोगों को महिने पर रख लिया जाता है। करीब 8 माह 10-15 लोगों को स्थाई रोजगार मिल जाता है।