मनुस्मृति की प्रतियां जलाई गई।
बिहारशरीफ:- बिहार शरीफ के अस्पताल चौक स्थित अति पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में मनुस्मृति की प्रतियाॅ जलाई गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता किसान नेता अति पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक चंद्रशेखर प्रसाद ने की।
इस मौके पर अति पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदेव चौधरी,प्रदेश अध्यक्ष सह संस्थापक बलराम दास ने संयुक्त रूप से कहा कि 25 दिसंबर 1927 को अंबेडकर ने महाराष्ट्र के महाड गांव में मनुस्मृति की प्रतियां जलाया था। भीमराव अंबेडकर के इस कदम पर उच्च जातियों में काफी नाराजगी फैली थी।मनुस्मृति को दलित हमेशा सामाजिक अन्याय के ग्रंथ के रूप में देखते हैं। महाराष्ट्र में नए स्कूली पाठ्यक्रम में एक ऐसे चैप्टर को लेकर विवाद हो गया है इसकी शुरुआत मनुस्मृति के एक श्लोक से हुई। बढ़ती नाराजगी के बाद सरकार ने इसे हटा लिया।मनुस्मृति हमेशा से देश में सामाजिक तौर पर विवादित ग्रंथ माना जाता रहा है। डॉ भीमराव अंबेडकर ने तो इसे जातिवादी और पिछली जातियों के प्रति अन्याय करने वाला बताया था। उन्होंने इसे पिछड़ी जातियों के प्रति अन्याय का प्रतीक मानते हुए जलाया था। हालांकि उस समय इसका बहुत विरोध हुआ था, नाराजगी भी फैली थी।
मनुस्मृति दहन में अति पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक के जिला महासचिव उमेश पंडित जिला उपाध्यक्ष महेंद्र प्रसाद मोहम्मद अब्दुल्ला सुरेंद्र ठाकुर राजेश ठाकुर भीम आर्मी सह आजाद समाज पार्टी के प्रखंड अध्यक्ष धनवंती बौद्ध कार्यकर्ता राजवीर आदि लोग उपस्थित थे।