बिहारशरीफ – सदर अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली दवा आज एक्सपायर हो रही है। और इसे छुपाने के लिए कर्मियों द्वारा जहां-तहां फेंक दिया जाता है। ताजा उदाहरण सदर अस्पताल में सीएस कार्यालय के छत पर फेंकी गई लाखों रूपए की एक्सपायरी दवा है। हलांकि यह कोई नया मामला नहीं हैं। कई बार एक्सपायरी दवा जहां-तहां फेंके जाने की बात सामने आई है लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हाेने का कारण सिलसिला जारी है। इस वार भी जो दवा फेंकी गई है उसकी जानकारी अधिकारी तक नहीं पहुंच पाया था लेकिन जब मिडिया के कैमरे की नजर इसपर पड़ी तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। सीएस कार्यालय परिसर में दो ही दवा स्टोर है। एक जिला और दुसरा सदर अस्पताल का लेकिन कोई स्टोर इंचार्ज दवा को अपना नहीं बता रहे हैं। ऐसे में सबाल उठता है इतनी बड़ी मात्रा में एक्सपायरी दवा सीएस कार्यालय के छत पर आया कहां से। यह जांच का विषय है।
सूत्रों ने बताया कि एक्सपायरी दवा की सूचना अधिकारी तक नहीं पहुंच पाता है। इसका मुख्य कारण है कि दवा का मेंटेनस रजिस्टर पर कर दिया जाता है लेकिन इसका उठाव नहीं हो पाता है। ऐसे परिस्थिति में दवा एक्सपार हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में या तो दवा को जहां-तहां फेंक दिया जाता है या किसी कमरे में बंद कर दिया जाता है। इसके पूर्व भी कोरोना काल में इस वार जिन दवाओं की कमी हो गई थी वहीं दवा पिछले साल एक्सपायर हो गया था। जो आज भी एक कमरे में बंद है। सुत्र बताते हैं कि स्टोर को आज भी सही से जांच किया जाय तो दवा समेत कई सामान ऐसे मिलेंगे दिन व दिन मरीजो की संख्या बए़ती जा रही है। इसके बाद भी दवा का एक्सपायर होना चिंता का विषय है। आखिर क्यों आती है ऐसी परिस्थिति। सुत्रों के मुताबकि इस पूरे प्रकरण में उपर से लेकर नीचे के अधिकारी दोषी हैं। विभागीय आदेश के अनुसार अगा एक्सपायरी होने में तीन महिना शेष समय रह जाता है तो कार्यालय के माध्यम से मुख्यालय को सूचना देना होता है। लेकिन सदर अस्पताल में कुछ ऐसी दवा की भी आपूर्ती कर दी जाती है जो एक्सपायर होने में जब तीन महिना का समय ही रहता है। अगर स्टोर में लेने से इंकार कर दिया जाता है तो उपर से फोन भी आता जाता है। नतीजतन दवा एक्सपायर हो जाती है।
सीएस डाॅ. सुनील कुमार ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि लाखों की एक्सपायरी दवा इस प्रकार से फेंकना किसी भी हालत में उचित नहीं है। दोनो स्टोर इंचार्ज इस दवा को अपना बताने से इंकार कर रहे हैं। इसलिए पूरे मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। बैच का मिलान कर फेंकी गई दवा कब आया और इसका सप्लाय कहीं किया गया या नहीं आदि मामले की जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने वाले पर कार्रवाईकी जाएगी। जांच टीम में जिला वेक्टर वार्न डिजिज पदाधिकारी डाॅ. अरविन्द कुमार व डीटीओ डाॅ. राकेश कुमार को शामिल किया गया है।