चतरा जिले के विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में हर्षोउल्लास के साथ ईद की नमाज अदा की गई नमाज अदा कर आपस में गले लगा वर्षो पुराना गीला शिकवा भुनाया पूरे महीने रोजे रख ईद की नमाज अदा कर सेवई खाने की रही है इस्लामिक प्रथा पूरे देश में हर्षोल्लास एवं सादगी के साथ मनाई गई ईद उल फितर
चतरा : जिले के विभिन्न गांवों एवं शहरों में ईद उल फितर की नमाज अपने अपने सुविधाओं के बीच अदा की गई। हालांकि बहुत ऐसे जगह हैं जहां जमाने से ईदगाहों में नमाज अदा करते आ रहें है। किंतु कुछ ऐसे जगह हैं जहां हालात को मद्दे नजर देखते हुए अपने अपने मस्जिदों में नमाज अदा की गई। नमाज अदा कर आपस में गले मिल वर्ष का गीला शिकवा को भूल मुहब्बत के बंधन में बांध नया आयाम लिख दिया है। क्या बड़े हो या बुजुर्ग क्या बच्चे क्या महिला सभी को ईद की खुशी में सराबोर नजर आए। ईद उल फितर की नमाज तब पढ़ी जाती है जब एक माह यानी पूरे रमजान में रोजे रख खुदा अल्लाह की इबादत करते हैं ।अपनी हर खाने पीने की ख्वाहिश को छोड़ बड़ी शिद्दत में रोजे रखते हैं और यह इस लिए करते हैं ताकि खुदा रब्ब को हम मना सके खुश कर सके राजी कर सके। अंत में द्वितीया के चांद की दीदार जब होती है उसे चांद की रात कहते है। वहीं सुबह नमाज अदा की जाती उसे ईद उल फितर की नमाज कहते। ईद के दिन मीठे लच्छे दार सेवइयां खाने की एक अलग अंदाज है । नमाज बाद आपस में गले मिल ईद मुबारक वाद देते हुए मुहब्बत से मीठी सेवइयां खाने खिलाने का दौर सारा दिन चलता रहता है। त्योहार कोई हो किसी मजहब का हो सभी में मुहब्बत और प्यार का पैगाम दिया गया है। सिर्फ मनाने का तरीका अलग अलग है।