Sunday, December 22, 2024
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चाणक्य राष्ट्रीय अधिकार और बाल श्रम उन्मूलन के लिए हुआ संगोष्ठी का आयोजन

चाणक्य राष्ट्रीय विधि विशवविद्यालय, चाइल्ड राइट्स सेंटर, पटना एवं विधि विमर्श, के तत्वाधान में बाल अधिकार पर संगोष्ठी की गई। जिसका मुख्य उद्देश्य था समाज में हो रहे, बाल तस्करी, बाल श्रम, बाल विवाह को कैसे रोका जाय।
संगोष्ठी में आरा के अधिवक्ता नीतीश कुमार सिंह और रश्मि राज कौशिक विक्की ने भी अपने विचार और सुझाव रखे।
चंदन कुमार सिन्हा, कार्यक्रम समन्वयक, सीआरसी, सीएनएलयू ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए, चाइल्ड राइट्स सेन्टर के ऐतिहासिक पृष्टभूमि की चर्चा किया। साथ ही डॉ अमन कुमार केंद्र नसमन्वयक, सीआरसी, सीएनएलयू ने सेंटर में चल रहे सोध कार्यक्रम को विस्तार से बताया। पटना उच्च न्यायलय के अधिवक्ता एवं विधि विमर्श के संपादक रणविजय सिंह ने वच्चों के अधिकार पर विस्तार से चर्चा की एवं उन्होने पत्रिका का यह अंक बाल अधिकार पर ही केन्द्रित कर प्रकाशित कियाI साथ ही श्री सिंह ने सटीक व सरल भाषा में आर्टिकल कैसे लिखा जाय इसपर ध्यान केंद्रित करवाया।
मौके पर उपस्थित प्रो. प्रेम कुमार ने बच्चो के अधिकारों को लेकर कहा कि हम सभी को और जागरूक होने की आवश्यकता है तथा वर्तमान में जो समस्याएं उत्तपन हो रही है उससे कैसे निजात पाया जाए इसपर उन्होंने चर्चा किया। सीए संजय झा ने बताया कि कानून तो बहुत है पर उसे जमीन पर कैसे उतारा जाय जिससे कि यह कानून का लाभ आम लोगो तक पहुचे। नीतीश कुमार सिंह, संयुक्त संपादक ने कहा कि मुझे अच्छा लगा कि सीआरसी विभाग लोगों को बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता और शिक्षण के लिए सेमिनार आयोजित करता है।उन्होंने रेलवे स्टेशन के पास भटक रहे कई बच्चों का भी जिक्र किया। विधि विमर्श पत्रिका के विज्ञापन मीडिया प्रभारी अधिवक्ता रश्मिराज कौशिक विक्की ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों से बाल श्रम नहीं करवाना चाहता है, बालश्रम करवाने की पीछे कोई न कोई मजबूरी जरूर होती है।

चाणक्य राष्ट्रीय अधिकार और बाल श्रम उन्मूलन के लिए हुआ संगोष्ठी का आयोजन  चाणक्य राष्ट्रीय अधिकार और बाल श्रम उन्मूलन के लिए हुआ संगोष्ठी का आयोजन

मां-बाप अपने बच्चों से प्यार करते हैं, गरीबी के चलते उनको अपने बच्चों से श्रम करवाना पड़ता है। भविष्य में अपने बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दें, जिससे उनका भविष्य बेहतर बन सके। बाल श्रम रोकने के लिए उनके अधिकारों के प्रति जन मानस को जागरूक करना आवश्यक है। शंभू शर्मा ने कहा कोई भी बच्चा परिवार के संरक्षण में है, लेकिन माता-पिता उन्हें उचित प्यार और देखभाल नहीं दे रहे हैं। उप संपादक, विधि विमर्श के शिवानंद गिरी ने पॉक्सो अधिनियम, के तहत बच्चों को कैसे सुरक्षा प्रदान किया जाय इसपर विस्तार से बाते की। संयुक्त सम्पादक ओम प्रकाश ने बच्चों के मौलिक अधिकारों तथा संयुक्तराष्ट्र को जोड़ते हुए चर्चा किया। इसके अलावा बहुत सारे वक्ताओं ने एक एक कर अपनी बातें रखी। अनुरागिनी ने बच्चों के अधिकारों से संबंधित कार्टून कैरेक्टर या एप बनाने का सुझाव दि। संगोष्ठी में आये अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन विधि विमर्श के सह संपादक एवं सीनियर लाइब्रेरी अस्सिटेंट, सीएनएलयू शिव जी प्रसाद द्वारा किया गया।

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