चैत्र नवरात्र पर्व एवं वासंतिक नवरात्र पर विशेष :
●नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल के समय मनाई जाती है
●भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सभी सनातनी चैत्र नवरात्र पर्व मनाते हैं
राकेश बिहारी शर्मा- 30 मार्च 2025 रविवार को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है जिसे हम हिंदू नववर्ष या फिर चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस कहते हैं। आज से 9 दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि का पर्व भारत तक की सीमित नहीं है बल्कि दुनिया के अलग-अलग देश भी इसे मनाते हैं। भारत के अलावे कई देशों में दुर्गा पूजा श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि एक महत्वपूर्ण सनातनी हिंदू त्योहार है जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करके मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। चैत्र नवरात्रि रविवार 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी।
विक्रम संवत के प्रथम दिवस अर्थात चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमीं तिथि तक मनाये जाने वाला हिंदुओं का प्रमुख पर्व नवरात्र है। इसे बासन्तीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। भगवत पुराण के अनुसार चार नवरात्र शारदीय और चैत्र नवरात्र एवं दो गुप्त नवरात्र होते हैं।
वर्षभर में नवरात्र दो बार आते हैं। नवरात्र में नौ देवियों की पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व शक्ति साधना का पर्व कहलाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से जिस समय नवरात्र आते हैं वह काल संक्रमण काल कहलाता है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर जहां शीत ऋतु का आरम्भ होता है। वहीं वासंतिक नवरात्र पर ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है। दोनों ही समय वातावरण में विशेष परिवर्तन होता है। जिसमें अनेक प्रकार की बीमारियां होने की संभावना रहती है। उपवास के माध्यम से शरीर के बढ़े हुए या कम हुए तापमान को नियंत्रित कर शुद्ध आचार-विचार, आहार के द्वारा नई ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ऐसा करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है।
भारतीय संस्कृति में चैत्र नवरात्रि का महत्व :
चैत्र नवरात्रि सनातनी धर्म में बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह नवरात्रि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति, साहस, और समृद्धि का प्रतीक हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा को हिंदू नववर्ष और मराठा नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इसे गुड़ी पड़वा कहा जाता है। गुड़ी पड़वा का अर्थ है “गुड़ी” (झंडा) और “पड़वा” (चंद्र पखवाड़े का पहला दिन)। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल गुड़ी पड़वा भी इसी दिन मतलब 30 मार्च 2025 को है।
सनातन संस्कृति में समस्त त्योहार ज्योतिषीय गणना के अनुसार ही तय तिथियों में प्रारंभ होते हैं। इन सभी की गणना देश में प्रचलित सौर मास एवं चांद्रमास के अनुसार ही होती है। चंद्रमा एवं सूर्य की गति के अनुसार इन सभी त्योहारों की अंग्रेजी तिथि निरंतर बदलती रहती है। चंद्रमा का राशि चलन नक्षत्रों के अनुसार ही होता है।
मां दुर्गा के नौ रूप :
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये रूप हैं: 1. शैलपुत्री, 2. ब्रह्मचारिणी, 3. चंद्रघंटा, 4. कुष्मांडा, 5. स्कंदमाता, 6. कात्यायनी, 7. कालरात्रि, 8. महागौरी, 9. सिद्धिदात्री हैं। इस प्रकार नवदुर्गा के नौ स्वरूप,धरती पर स्त्री के जीवन के नौ प्रतिबिंब है।नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहूर्त में समस्त देवी- देवता, तीर्थस्थल एवं नदियों के प्रतीक स्वरूप कलश की स्थापना के साथ उनका आह्वान कर उन्हें आसन और अर्ध्य दिया जाता है। किसी भी मंगल कार्य को कलश स्थापना के साथ शुरू करने से सुख-समृद्धि, धन-धान्य में वृद्धि होती है। शेष दिन षोडशोपचार से पूजन किया जाता है। अखण्ड दीप प्रज्ज्वलित की जाती है। जौ बोया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जौ को सृष्टि की पहली फसल माना जाता है। मान्यता है कि कलश के नीचे जौ बोने से सुख,समृद्धि, सौभाग्य में वृद्धि होती है।
चैत्र नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व :
चैत्र नवरात्रि न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण का भी समय है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए तपस्या और साधना करते हैं। यह समय आत्मशुद्धि और आत्मविकास के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। समाज में नारी के महत्व को प्रदर्शित करने वाला यह पर्व हमारी संस्कृति एवं परंपरा का प्रतीक है। मां ही आद्यशक्ति हैं। सर्वगुणों का आधार। राम-कृष्ण, गौतम, कणाद आदि ऋषि-मुनियों, वीर-वीरांगनाओं की जननी हैं। नारी इस सृष्टि और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्रत्येक व्यक्ति जीवनभर या पूरे वर्षभर में जो भी कार्य करते-करते थक जाते हैं तो इससे मुक्त होने के लिए इन नौ दिनों में शरीर की शुद्धि, मन की शुद्धि और बुद्धि में शुद्धि आ जाए, सत्व शुद्धि हो जाए; इस तरह के शुद्धीकरण करने का, पवित्र होने का पर्व है यह नवरात्र। नवरात्र का उत्सव बुराइयों से दूर रहने का प्रतीक है। यह लोगों को जीवन में उचित एवं पवित्र कार्य करने और सदाचार अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस पर्व पर सकारात्मक दिशा में कार्य करने पर मंथन करना चाहिए, ताकि समाज में सद्भाव के वातावरण का निर्माण हो सके। नवरात्र काल आहार की शुद्धि के साथ मंत्र की उपासना का काल है। चैत्र नवरात्र का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। नवरात्र देवी भगवती की उपासना के माध्यम से आत्मिक शक्ति, मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने का एक अलभ्य अवसर होता है। इस कालखंड में आहार-विहार का संयम व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करने का कार्य करता है। देवी दुर्गा इच्छा, ज्ञान और क्रिया शक्ति की प्रतीक हैं। वह संपूर्ण ब्रह्मांड की आधारभूत और क्रियात्मक शक्ति के रूप में आराधित होती हैं।
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा :
दुर्गा पूजा बांग्लादेश के बंगाली और गैर बंगाली सनातनी समुदायों द्वारा आम तौर पर मनाई जाती है कई बंगाली मुसलमान भी उत्सव में हिस्सा लेते हैं ढाका में ढाश्वरी मंदिर की पूजा भक्तों को आकर्षित करती है वहीं नेपाल में इस उत्सव को दशैन के रूप में मनाया जाता है इस तरह से नवरात्र का त्यौहार शक्ति के नौ रूपों की आराधना का उत्सव है।
नेपाल में दुर्गा पूजा :
हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी नवरात्र धूमधाम से मनाए जाते हैं। यहां इस उत्सव को दशैन के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार नेपाल में पूरे 15 दिनों तक चलता है। यह नेपाल के सबसे प्रमुख धार्मिक त्यौहारों में से एक है। इस पर्व में पूरे परिवार के लोग एकत्रित होकर पूजा समारोह आयोजित करते हैं। यहां दुर्गापूजा को ‘दशैं’ के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू देश नेपाल में इसे दस दिनों तक मनाया जाता है। यह देश भी इस त्यौहार को भारत की तरह ही मनाता है, और उत्सव के अधिकांश पैटर्न का पालन करता है। यहां, राजा इस भव्य 10-दिवसीय त्यौहार के दौरान एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यहां भी लोग अपने काम से छुट्टी लेकर अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं। इसके साथ सभी सार्वजनिक संस्थान, स्कूल और कॉलेज बंद रहते हैं और बसें नहीं चलती हैं।
एशिया के कई देशों में भी मनाई जाती है नवरात्रि :
दिलचस्प बात ये है, कि दुर्गा पूजा या दशहरा, सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है। नवरात्र ना केवल भारत बल्कि दुनिया में भी उतना ही प्रसिद्ध है जितना हमारे देश में। दुनिया भर के विभिन्न बागानों और खदानों में औपनिवेशिक काल के दौरान गिरमिटिया नौकरों के रूप में प्रवास करने वाले हिंदू प्रवासी और साथ ही वे लोग जो अपने दम पर प्रवास कर गए थे। उन्होंने अपने नवरात्री परंपराओं को मनाना जारी रखा उदाहरण के लिए मलेशिया सिंगापुर थाईलैंड और श्रीलंका में हिंदुओं ने 19वीं शताब्दी में दक्षिण पूर्व एशिया में हिंदू मंदिरों का निर्माण किया और नवरात्रि उनके प्रमुख पारंपरिक त्यौहारों में से एक रहा।
यूनाइटेड किंगडम में दुर्गा पूजा :
आज भी त्रिनिदाद और बे को गुयाना सूरी नामा फिजी मॉरिशस कनाडा दक्षिण अफ्रीका संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में नवरात्रि लगभग 20वीं शताब्दी के मध्य से स्थानीय हिंदू समुदायों के सबसे प्रमुख उत्सवों में से एक है। दुर्गा पूजा यहां रहने वाले भारतीय समुदाय द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। कई आयोजक देवी दुर्गा की मूर्तियां आयात करते हैं और इस अवसर को सबसे प्रामाणिक बंगाली तरीके से मनाते हैं। यह समय लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने और इस दौरान प्यार और एकता को दर्शाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में दुर्गा पूजा :
अमेरिका में दुर्गा पूजा बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में बंगाली भारतीय रहते हैं। इस 5 दिवसीय उत्सव का आयोजन यहां 1970 में शुरू हुआ था। यहां लोग इकट्ठा होते हैं, मिलते हैं, अभिवादन करते हैं और जश्न मनाने के लिए एक साथ समय बिताते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में मनाई जाती है दुर्गा पूजा :
इस देश में रिकॉर्ड के अनुसार, दुर्गा पूजा की शुरुआत 1974 में न्यू साउथ वेल्स के 12 परिवारों की ओर से की गई थी। अब यह ऑस्ट्रेलिया के सभी प्रमुख शहरों में मनाई जाती है। सिडनी में, बहुत सारे बंगाली अप्रवासी और भारतीय प्रवासी के अन्य सदस्य पूजा के पहले दिन इकट्ठा होते हैं और आगे के उत्सवों की तैयारी करते हैं।
दुर्गा पूजा का वैज्ञानिक महत्व :
नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल के समय मनाई जाती है। इस समय व्रत, पूजा-पाठ, स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिससे शरीर का शुद्धिकरण होता है। व्रत करने से शरीर का विषाक्त पदार्थ निकल जाता है। जिससे शरीर निरोगी और स्वस्थ रहता है। ध्यान, योग, तप भक्ति की साधना, संयम से मानसिक शांति मिलती है। सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।तामसी वस्तुओं का त्याग, खान- पान में शुद्धता से शरीर तनाव मुक्त होता है। मौसम के संक्रमण से रक्षा होती है।