बिहारशरीफ, 18 जून 2023 : शनिवार की देरशाम मूलनिवासी संघ एवं बामसेफ (बैंकवर्ड एंड माइनोरिटी कम्युनिटी इम्पलॉयज फेडरेशन) की बैठक बिहारशरीफ के जिला कार्यलय सिंगारहाट मोहल्ले में संविधान प्रबोधक राज कमल जी की अध्यक्षता में बीएस फ़ॉर यानी भारतीय संविधान, सम्मान, सुरक्षा एवं संवर्धन के तहत संविधान बताओ कार्यक्रम चलाया गया। कार्यक्रम में बामसेफ, मूलनिवासी संघ, मूलनिवासी विद्यार्थी संघ ने भाग लिया। कार्यक्रम संचालन प्रदेश कार्यालय सचिव सह संगठन के नालंदा क्लस्टर के प्रभारी श्रीकांत कुमार ने किया।
मौके पर संगठन के उपाध्यक्ष राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि बामसेफ की विचारधारा भारतीय समाज को विभाजित करने वाली असमानता की जड़ प्रणाली से लड़ना और जाति व्यवस्था को खत्म करना है। मान्यवर कांशीराम ने एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षित लोगों को संगठित करने के लिए डॉ अंबेडकर की विचारधारा और विचारों के आधार पर बामसेफ का विकास किया। इसके पीछे मुख्य एजेंडा समाज को शिक्षित करना और उन्हें इतना शक्तिशाली बनाना था कि वे राजनीतिक सत्ता पर कब्जा कर सकें, जो डॉ. अम्बेडकर का सपना था। उनकी विचारधारा के बूते पर ही आज बहुसंख्यक समाज के लोग बडे़ पदों पर कार्यरत हैं। बामसेफ एससी/एसटी/ओबीसी के सरकारी कर्मचारियों से बना एक संगठन है, जो जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है। उन्होंने कहा- बामसेफ संगठन का एकमात्र उद्देश्य व्यवस्था परिवर्तन है और व्यवस्था परिवर्तन के लिए भारत का संविधान जहां हमारा मार्गदर्शक है वहीं भारत का संविधान इंसानियत और मानवता का दस्तावेज भी है। भारतीय संविधान में कहीं पर भी हिंसा की जगह नहीं है और बिना हिंसा किए ही हमें जंग जीतनी है। बामसेफ की स्थापना 1973 में कांशीराम और डीके खापर्डे ने इसीलिए की थी।
अध्यक्षता करते हुए संविधान प्रबोधक श्री राज कमल जी ने कहा- मनुवादियों ने 90 प्रतिशत बहुजनों को धन, धरती, सत्ता आदि से वंचित कर दिया है। उन्होंने कहा- जाति की नहीं जमात की बात करो, कास्ट की नहीं क्लास की बात करो और एससी/एसटी/ओबीसी को एक सूत्र में जोड़कर मूलनिवासी बहुजन बनो। भारतीय संविधान देश को एकता और भाईचारे से जोड़ता है। किंतु वर्तमान स्थिति में हिंदू मुस्लिम के नाम पर देश में भय व आतंक का माहौल निर्माण कर धार्मिक ध्रुवीकरण करने का कार्य शुरू है। इससे देश की बुनियादी समस्याओं की ओर अनदेखी कर धार्मिक असंतोष निर्माण किया जा रहा है। यह स्थिती देश की अखंडता के लिए घातक है। पूरे देश में समता, स्वाधिनता व भाईचारा के आधार पर समाज व्यवस्था निर्माण करने हेतू हम कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा- समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व व न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण ही फुले अंबेडकरी विचार की धारा है। कई राजनीतिक दलों ने शराब मुक्त बिहार जैसे अपना अलग-अलग एजेंडा बनाया, लेकिन किसी दल ने जाति विहीन या जाति मुक्त भारत निर्माण की घोषणा नहीं की है। भारत में समस्याओं का जड़ जातिवाद है। जब तक जातिवाद समाप्त नहीं होगा, भारत विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता है।
संगठन के नालंदा क्लस्टर के प्रभारी श्रीकांत कुमार ने कहा कि देश में बहुजन आबादी 85 प्रतिशत है। लेकिन धन-संपत्ति, नौकरी, संसद-विधानसभा तथा मीडिया सहित हर क्षेत्र में बहुजनों की आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की मांग कोई राजनीतिक दल नहीं कर रहा है। उन्होंने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि एक मॉडल तमिलनाडु का है, जहां 69 प्रतिशत आरक्षण है। राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी बहुजन पार्टी नहीं है, जो 85 प्रतिशत की हिस्सेदारी की दावेदारी के साथ दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों व पिछड़ों के बीच न्यायपूर्ण बंटवारे को अपना एजेंडा बनाए। उन्होंने यह भी कहा कि जो नीति, नीयत व एजेंडा में सबको समुचित प्रतिनिधित्व दे, ऐसी पार्टी ही वर्तमान सरकार को निर्णायक शिकस्त दे सकती है।
बामसेफ के जिला सचिव मो. जाहिद हुसैन ने कहा कि हम अकलियत नहीं, बहुजन-पसमांदा-मूलनिवासी हैं। हमें हर धर्म के बहुजनों की एकता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मनुवादी और सभी धर्मों की शक्तियां बहुजनों को धर्म और जातियों में बांट कर रखना चाहती हैं। उन्होंने कहा- एससी, एसटी व ओबीसी के बीच मनुवादियों ने घुसपैठ किया है। अब पसमांदा के बीच भी घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है। मुसलमानों के विरोध पर खड़ी राजनीति 85 प्रतिशत पसमांदा के प्रति प्रेम दिखा रही है, लेकिन दुखद यह है कि सामाजिक न्याय व सेकुलर धारा की पार्टियां भी पसमांदा पहचान की उपेक्षा कर रही है।
बामसेफ के कोषाध्यक्ष रमेश पासवान ने कहा कि बिहार में जमीन पर मनुवादियों ने विभाजन व उन्माद की मुहिम को तेज कर दिया है। एक तरफ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं तो दूसरी तरफ देश के दुसरे राज्यों में बिहारी मजदूरों के साथ हिंसा की झूठी खबर फैलाकर क्षेत्रीय उन्माद फैलाने की साजिश हो रही है।
मूलनिवासी विद्यार्थी संघ के प्रदेश महासचिव साक्षी कुमारी ने कहा बामसेफ की विचारधारा भारतीय समाज को विभाजित करने वाली असमानता की जड़ प्रणाली से लड़ना और जाति व्यवस्था को खत्म करना है। एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षित लोगों को संगठित कर अंबेडकर की विचारधारा और विचारों से जोड़कर मूलनिवासी संघ और बामसेफ को सशक्त करना है।
मूलनिवासी राजू प्रजापति ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार धर्म की आड़ लेकर बहुजनों का हक-अधिकार छीन रही है। एक तरफ सरकार ने एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण को निशाने पर ले रखा है तो दूसरी तरफ संविधान को बदलते हुए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए आरक्षण लागू कर दिया है। इसी तरह सरकार नई शिक्षा नीति-2020 के जरिए बहुजनों को शिक्षा से बेदखल कर वर्ण-जाति व्यवस्था को मजबूत बनाने की ओर बढ़ रही है।
बैठक में बामसेफ के जिलाध्यक्ष केशो जमादार, श्याम नंदन चौहान, शिवालक पासवान, सूरज यादव, चिंटू कुमार, रंजीत कुमार, अमिताभ कुमार, आनंद किशोर, अभिषेक गुप्ता, अरुण कुमार, दीपक कुमार,शिव कुमार, महेंद्र प्रसाद सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।