राजगीर।कोरोनाकाल के विपदाकाल में जहां पर्यटक नगरी राजगीर का हर रोजगार ठप्प पड़ा हुआ है, वही दूसरी तरफ बसंत पंचमी के अवसर पर माता सरस्वती की प्रतिमा निर्माण करने वाले मूर्तिकार भी इस आपदा के संकट में रोजी रोटी के लिए परेशान हो गए हैं। कहते हैं कि विद्या की देवी सरस्वती की कृपा से ही लक्ष्मी प्राप्त होती है लेकिन प्रजापति समाज को जिस विद्या में पारंगत हासिल है वह विद्या अब इसके विपरीत और ज्यादा कर्ज के बोझ में डालने को मजबूर कर रही है। एक तरफ कोरोना की विपदा तो दूसरी तरफ बिन मौसम बरसात ने मूर्तिकला से जुड़े प्रजापति समाज को आर्थिक रूप से रौंद डाला है।जहां एक ओर प्रशासनिक स्तर पर सार्वजनिक स्थानों कोचिंग,स्कूल में सरस्वती प्रतिमा स्थापित करने पर रोक लगा हुआ है तो दूसरी ओर गुरुवार की रात्रि से हो रही बेमौसम बरसात ने मूर्तिकारों की कमर तोड़ डाली है। नगर परिषद राजगीर के गिरियक रोड में कर्जा पैंचा लेकर किसी तरह मूर्तिकला से जुड़े परिवारों ने सरस्वती प्रतिमा का निर्माण तो किया लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमा स्थापना पर रोक के सरकारी आदेश के बाद अब मूर्ति खरीदने कोई नही आ रहा है।नतीजतन सैकड़ो की संख्या में बनाया गया मूर्ति बेकार साबित हो रहा है। पांच सौ रुपये से लेकर दस हजार तक कि बनाई गई सैकड़ो प्रतिमा खरीददार के अभाव में बेकार साबित हो रहा है।
बतातें चले कि प्रजापति समाज के सामने रोजगार के कोई और विकल्प भी नही है।अपने पुश्तैनी कार्य को परमरागत तरीके से निर्वाह करने वाले मूर्तिकारों के समक्ष अब भूखे मरने की नौबत आ गयी है।सैकड़ो ऐसे परिवार है जो प्रतिमा निर्माण के मिट्टी,साज, सज्जा, पेंट,रंग काफी महंगे होने के बाबजूद अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह तो कर रहे है लेकिन मूर्ति की बिक्री नही होने के कारण इन परिवारों को चौतरफा मार का एहसास हो रहा है,ऐसे में सरकार की ओर से किसी प्रकार का कोई आपदा राहत इन परिवारों को नही मिलने वाला है।अब सवाल यह है कि आखिर किस हाल में और कैसे इनलोगो की रोजी रोटी चलेगी।प्रजापति समाज के संजीव कुमार बिट्टू ने कहा कि मूर्तिकला से जुड़े लोग अब बेरोजगार हो गए हैं।ऐसे परिवार इस विपदाकाल मे खून के आँसू रोने को मजबूर हैं।उन्होंने कहा कि सरकार क्यो नही इन परिवारों को चिन्हित कर आपदा राहत मुहैया कराती है। मूर्तिकार आनंद मोहन पंडित ने बताया कि इस साल मूर्ति बनाकर हम लोग फंस गये |
जब मैंने मूर्ति बनाना शुरू किया था तो मुझे यह पता नहीं था कि कोरोना की तीसरी लहर शुरू होगी और सभी विद्यालयों को बंद कर दिया जाएगा! आनंद पंडित के द्वारा 25 मूर्ति बनाया गया है लेकिन अभी तक 5 मूर्ति भी नहीं बिक पाया है। इनलोगो का घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है । अनिल पंडित ने बताया कि शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण सारे मूर्ति कलाकार भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं। हम लोगों को घर परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया| कर्ज लेकर 2 महीने पहले मूर्ति बनाना शुरू किया था। ललन कुमार प्रजापति,रघु राजा, धनंजय कुमार, रघु राजा और धनंजय कुमार ने बताया कि समाज के अधिकांश लोग कर्ज लेकर मूर्ति बनाना शुरू किए लेकिन अब मूर्तियाँ भी नही बिक रही और कर्जदार भी कर्जा वसूली में लगा हुआ है।कुछ इसी तरह तरुण कुमार, सुधीर पंडित, ललन कलाकार, भूषण पंडित, राजेंद्र पंडित, धनंजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार, उषा देवी, मालती देवी सहित प्रजापति समाज के लोग परेशान हैं।