Wednesday, January 15, 2025
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50 अभाव ग्रस्त लोगों के बीच कंबल का किया गया वितरण

स्वतंत्रता सेनानी रामस्वरूप शर्मा की जयंती पर बांटे गए कंबल,●असहाय लोगों के बीच किया गया कंबल का वितरण.●50 अभाव ग्रस्त लोगों के बीच कंबल का किया गया वितरण

50 अभाव ग्रस्त लोगों के बीच कंबल का किया गया वितरण

सोहसराय-बबुरबन्ना 14 जनवरी 2025 : सोहसराय क्षेत्र के साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना मोहल्ले में बिहारी निवास स्थित सभागार में शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में 14 जनवरी 2025 दिन मंगलवार को शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता में शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव की पत्नी सविता बिहारी के सौजन्य से अपने ससुर समाजसेवा के अप्रतिम प्रतीक स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा की 101 वीं जयंती पर बृद्ध महिलाओं, समाजसेवियों एवं अभावग्रस्त लोगों के बीच कड़ाके की ठंड में कंबल वितरण कर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसका संचालन शंखनाद के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने किया। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। मौके पर महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि जरूरतमंदों की सेवा ही सच्ची सेवा है। पिताजी स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा हमेशा सामाजिक व धार्मिक कार्यो में बढ़चढ़ कर भाग लिया करते थे। ऐसे में उनकी 101 वीं जयंती पर लोगों को ठंड में कुछ मदद किए जाने से आत्म संतुष्टि मिलेगी।

50 अभाव ग्रस्त लोगों के बीच कंबल का किया गया वितरण

समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षाविद् प्रोफेसर (डॉ.) शकील अहमद अंसारी ने स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षाविद स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा जी सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे, लेकिन हमेशा गुमनाम ही आंदोलन करते रहे। स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर नुक-छिप कर कई आंदोलनों में इन्होने भाग लिया था। ये असहायों की मदद करने को हमेशा सक्रिय रहते थे। घर के सभी लोग आंदोलनकारियों को मदद किया करते थे। इन्हें क्रांतिकारी विचारधारा विरासत में मिली थी। घर में स्वतंत्रता सेनानियों का जमाबड़ा लगा रहता था। धन्य है वे पुत्र जो पिताजी के जयंती पर असहाय लोंगो की मदद करते हैं। इस समय में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने माता-पिता की सेवा न कर वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं। हम लोगो को इनसे सीख लेनी चाहिए।अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष एवं प्रदेश के प्रख्यात् इतिहासज्ञ डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि जरूरतमंद लोगों की मदद से बढ़कर कोई पुनीत कार्य नहीं है। समाज के लोगों को जरूतरतमंदों की मदद में आगे आना चाहिए। शंखनाद साहित्यिक मंडली के सदस्य हर पल गरीब जरूरतमंद की मदद के लिए नि:स्वार्थ भाव से खड़े रहते हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि हम निरंतर जरूरमंद लोगो की मदद करें। इंसान के मन में समाजसेवा का भाव होना बेहद जरूरी है। पिताजी के जयंती समारोह में जरुरतमंद को कंबल देने की यह पहल बहुत ही सराहनीय है।

50 अभाव ग्रस्त लोगों के बीच कंबल का किया गया वितरण

मौके पर बहुभाषाविद साहित्यकार बेनाम गिलानी ने कहा कि समाज में सक्रीय रहने वाले सभी व्यक्तियों का समाजसेवा करना दायित्व है। मानव के मन में समाजसेवा का भाव होना बेहद जरूरी है। अपने लिए तो हर कोई जीवन व्यतीत करता है, लेकिन दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। समाज सेवा का जज्बा यदि इंसान के अंदर हो तब वह किसी भी मुश्किल का सामना कर सेवा कर ही लेता है। हम तन-मन धन सभी तरह से समाज की सेवा कर सकते हैं।मौके पर समाजसेविका सविता बिहारी ने कहा- मैं अपने ससुर स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा के 101 वीं जयंती को यादगार बनाने का काम कर रही हूँ। हर साल अपने ससुर के स्मृति में जरूरमंद लोगों की बीच ठंड में कंबल और अंगवस्त्र का वितरण करते हैं। उन्होंने कहा कि मानवता ही सबसे बड़ी सेवा है। वह सभी की सेवा के लिये सदैव तत्पर रहते थे। हर सामर्थ्य वान लेगों को इस दिशा में आगे आने की जरूरत है। यदि अन्य लोग मानवता की सेवा के लिए आगे आए तो असहाय और जरूरतमंद लोगों का दुख कम होगा। उन्होंने कहा- असहायों की सेवा से मन और आत्मा को शांति मिलती है। जिले के नामचीन हिंदी छंदकर सुभाष चंद्र पासवान ने कहा कि कड़ाके की ठंड के बीच असहाय को कंबल मिलते ही उनके चेहरे खिल उठे। मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है, जब वह गरीब और असहायों की मदद करता है। सर्दी के इस मौसम में गर्म कपड़े वितरण करना सच्ची मानव सेवा है और ऐसे कार्यों से समाज में एक सकारात्मक बदलाव आता है। इस अवसर पर हास्य एवं व्यंग्य शायर टंग अय्यूवी, भाई सरदार वीर सिंह, अरुण बिहारी शरण, सुमित बिहारी, स्वाति कुमारी, सुजल बिहारी, राजदेव पासवान, श्रवण पासवान, अनिता देवी, श्यामा देवी, पंचा देवी, कोशिला देवी, मीना देवी, आरती देवी, साबो देवी, सुखिया देवी, सुदामी देवी, मनोरमा देवी, रूबी देवी, कुलवंती देवी, चमेली देवी, कारी देवी, मारो देवी, अनीता देवी समेत सैकड़ो महिला-पुरुष मौजूद थे।

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