Saturday, December 21, 2024
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भिखारी ठाकुर अपने कला के माध्यम से पूरे विश्व में जीवित हैं

स्थानीय बिहारशरीफ के छोटी पहाड़ी मोहल्ले में साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में लोकगायक व शिक्षक रामसागर राम के आवास पर समाज की कुरीतियों पर कड़ा प्रहार करने वाले, लोकप्रिय भोजपुरी साहित्य-चूड़ामणि मगही-भोजपुरी के महानायक, जनकवि व लोकगायक भिखारी ठाकुर की 135 वीं जयंती कवियों तथा साहित्यकारों ने मनाई। समारोह की अध्यक्षता शंखनाद के अध्यक्ष प्रकांड इतिहासकार व साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह तथा संचालन शंखनाद के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने किया।

समारोह का उद्घाटन शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम शुरूआत की, और स्व. भिखारी ठाकुर के तैलचित्र पर फूल-माला चढाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

समारोह में विषय प्रवेश कराते हुए साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने भिखारी ठाकुर के सामाजिक- सांस्कृतिक अवदानों को अन्य साहित्यकारों की कृतियों से तुलनात्मक अध्ययन करते हुए भिखारी ठाकुर की वर्तमान समय मे प्रासंगिकता पर बल दिया। उन्होंने यह सलाह भी दी कि शराबबंदी के लिए प्रतिबद्ध बिहार के मुख्यमंत्री माननीय नीतीश कुमार जी को सूबे के सभी जिले में भिखारी ठाकुर के नाटक ‘पियवा निसइल’ का मंचन करवाना चाहिए। बता दें कि ‘पियवा निसइल’ भिखारी ठाकुर का फेमस नाटक है, जिसे देख लेने के बाद दर्शकों में नशे के प्रति वितृष्णा का भाव पैदा होता है।

उन्होंने कहा- भोजपुरी के शेक्सपीयर, विरह के संत, लोक कला के साधक, लोक जागरण के सन्देश वाहक, नारी विमर्श एवं दलित विमर्श के उद्घोषक भिखारी ठाकुर सारण जिले के कुतुबपुर गांव में गरीब परिवार में जन्मे भिखारी ठाकुर विदेशिया भोजपुरी नाटक से विश्व स्तर पर भोजपुरी को स्थापित किया। भिखारी ठाकुर ने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर अपनी रचनाओं में करारा प्रहार किया है। समाज सुधारक भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी संस्कृति को एक नई पहचान देन के साथ समाज में फैली कुरीतियों पर जमकर हल्ला बोला। बिदेशिया, गबर-घिचोर के साथ-साथ बेटी-बियोग और बेटी बेंचवा जैसे नाटकों के जरिये उन्होंने अलग तरह की चेतना समाज में फैलाई। भिखारी ठाकुर अपने इन नाटकों की मदद से मनोरंजन करने के साथ-साथ सामाजिक बुराईयों पर भी कठोर प्रहार किया करते थे। कहना गलत नहीं होगा कि समाज को इस तरह की सोच की जरूरत भी उस समय थी।

मौके पर अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा- भिखारी ठाकुर एक समर्थ सामाजिक चिंतक थे। बेटी बचाओ, जैसे महत्वपूर्ण सवाल पर आज की वर्तमान सरकार स्लोगन प्रचारित कर रही है। जबकि भिखारी ठाकुर अपने समय में ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को बेटियों के प्रति सामाजिक नजरिया और मानसिक बदलाव लाने को संदेश दिया। अपने नाटकों के द्वारा उन्होंने सामाजिक क्रांति का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। आज के वर्तमान परिवेश में उनका अनुसरण करते हुए समाज को पुनः जागरूक करने की जरूरत है। भिखारी ठाकुर ने बाल-विवाह, मजदूरी के लिए पलायन और नशाखोरी जैसे मामलों पर उस वक्त अपनी बात रखी जब इनके बारे में कोई भी बोलने को तैयार नहीं था। भिखारी ठाकुर अपने कला के माध्यम से पूरे विश्व में जीवित हैं।

संचालन करते हुए शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने कहा कि भिखारी ठाकुर बिहार के मान-सम्मान है। उन्होंने अपने नाटकों के माध्यम से समाज को जो संदेश दिया वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने मगही और भोजपुरी भाषा को जन-जन की भाषा बनाया।

साहित्यकार ई. मिथिलेश प्रसाद चौहान ने कहा कि भिखारी ठाकुर बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। वह एक लोक कलाकार के साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे। उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया। उनकी प्रतिभा का आलम यह था कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने उनको ‘अनगढ़ हीरा’ कहा, तो जगदीशचंद्र माथुर ने कहा है कि भिखारी ठाकुर प्रसिद्ध “नाट्यशास्त्री भरतमुनि” की परंपरा के कलाकार’ रहे हैं।

साहित्यकार ई. आनंद वर्द्धन ने कहा कि लोकनाट्य के प्रवर्तक व भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर ने अपनी नाट्य शैली से समाज की कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया। वहीं, लोगों को जागरूक करने में भी भिखारी ठाकुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

नाटककार व लोकगायक रामसागर राम ने कहा कि लोककवि भिखारी ठाकुर एक बहु आयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी को अपना मातृभाषा बना देश व विदेश में ख्याति दिलाने का काम किया।इस महान लोक कलाकार पर हमें गर्व है।

इस दौरान समारोह में छंदकार सुभाष चंद्र पासवान, शिक्षाविद राजहंस कुमार, ऋषिकेश कुमार, नालवादक शिवकुमार, शिक्षाविद बनारसी प्रसाद, पाठक राहुल राज, आनंद कुमार उपाध्याय, शायर तनवीर साकित, तबला वादक उस्ताद लक्ष्मीचन्द आर्य,कर्मवीर वर्मा, कुंदन सिन्हा,दीपक कुमार मौर्य, मंटू कुमार, सोनू कुमार सहित दर्जनों लोगों ने भाग लिया।
समारोह में लोकगायक रामसागर राम ने अपने सहयोगियों के साथ भिखारी ठाकुर के कई गीतों को सुनाया।

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