Sunday, December 22, 2024
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दस्यु सुंदरी कुसमा को रिहा करने की गुहार राष्ट्रपति से लगाया

राकेश बिहारी शर्मा – दस्यु सुंदरी कुसमा नाइन, ग्राम टिकरी, थाना सिरसाकला,जिला जालौन नाई समाज की बेटी है जो कि दबंगो के शोषण अत्याचार के कारण डकैत बनी थी। लेकिन जब इन्हें अपने अपराधो का ज्ञात हुआ तो इन्होंने अपने साथियों के साथ 8 जून 2004 को मध्य प्रदेश के भिन्ड जिला के पुलिस अधीक्षक के समक्ष अपना डकैत जीवन त्याग कर आत्मसमर्पण कर दिया। जिसमें कुसमा नाइन जी को मृत्यु दण्ड दिया गया था जो कि भरतीय संविधान के अन्तर्गत वर्णित है कि जो भी इस तरह का दुर्दान्त अपराधी यदि आत्मसर्मपण करता है तो उसे महिला होने के वजह से फासी नहीं दी जायेगी।

लेकिन कुसमा नाइन के मामले में राजनैतिक षडयंत्र हो जाने के कारण इन्हें फासी दी गई। लेकिन जब कई नाई सामाजिक संगठनों ने आवाज उठाई तो माननीय न्यायालय ने इनके मृत्युदण्ड को उम्र कैद में तब्दील कर दिया जो कि 8 जून 2004 से लेकर अभी तक मध्य प्रदेश के ग्वालियर जेल से लेकर तमाम जेलों से होते हुए आज उत्तर प्रदेश के जिला जेल इटावा में बन्दी है जो कि इनकी 16 से 17 वर्ष कारावास पूरा हो चुका है और इनके चाल चलन बहुत ही अच्छे है। जेल प्रशासन ने बेस्ट कैदी का खिताब से घोषित किया है।

दूसरा नाम है सीमापरिहार का जो 18 साल चम्बल में रही और सीमा परिहार पर करीब 70 लोगों की हत्या करने का मुकदमा भी दर्ज है, तथा 150 लोगों के अपहरण का मुकदमा भी दर्ज है। दस्यु सीमा परिहार ने 2003 में आत्मसमर्पण कर दिया था, जो कि 3 साल 3 महीने ही जेल में रही है। बाद में सीमा परिहार भी रिहा हो जाती है और जेल से बाहर आकर अपना जीवन जी रही है।

दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का 28 अगस्त 1964 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टिकरी गांव में बेहद गरीब नाई परिवार के कटासी नाई के घर हुआ था। ये बचपन से ही सुंदर और सुशील लडकी थी। गरीब घर में जन्मीं और गरीबी में पली-बढी, खूबसूरती के कारण गांव के ही एक दबंग पड़ोसी माधव मल्लाह ने अपहृत कर चंबल के कुख्यात डकैत विक्रम मल्लाह और साथियों ने कुसुमा के साथ सामूहिक बलात्कार किया। डकैतों के सरदार गुरु रामाश्रय तिवारी उर्फ फक्कड़ बाबा अपने साथ अपहृत कुसुमा को जबरन रखता था।

फक्कड़ बाबा के साथ ये भी रहती थी, फक्कड़ पर एक रिटायर्ड एडीजी समेत कई पुलिसवालों की हत्या का भी आरोप उनके साथ रहने के कारण लग गया था। कुसुमा कई सालों से आत्मसमर्पण करने की जिद्द करते रहती थी। आखिर 8 जून 2004 को कुसुमा नाइन और फक्कड़ ने अपनी पूरी गैंग के साथ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। अभी कुसुमा जिला इटावा में है और उम्रकैद की सजा काट रही है।

अतः इसी तरह माननीया राष्टपति महोदया जी से अनुरोध है कि उपेक्षित नाई समाज की बेटी कुसमा नाइन को भी रिहा करने का आदेश दिया जाय। जिससे कुसमा नाइन भी जेल से बाहर आकर अपना बाकी जीवन अपने समाज के साथ जी सके। और इसके मद्देनजर रखते हुए दस्यु सुंदरी फूलन देवी, सीमा परिहार की तर्जपर इन्हें भी जेल से रिहा करना न्याय संगत होगा। इसके लिए राष्ट्रपति जी से कर्पूरी वादी एकता संस्थान भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित नाई समाज के सदस्यों ने सदियों से उपेक्षित नाई समाज और नाई समाज की बेटी कुसमा नाइन को जेल से रिहाई करने की गुहार लगाई है। कुसमा को जेल से रिहाई के लिए कर्पूरी वादी एकता संस्थान एवं नाई संघ ने उत्तर प्रदेश के जिला जेल इटावा में कई बार भेट कर रिहाई की प्रक्रीया में निरंतर लगा हुआ है।

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