बिहारशरीफ :-अखिल भारतीय नाई संघ (ट्रेड यूनियन) जिला शाखा-नालंदा का संघीय बैठक संघ कार्यलय सोहसराय में जिलाध्यक्ष रंजीत कुमार शर्मा की अध्यक्षता में संगठनात्मक एवं विभिन्न समस्याओं को लेकर किया गया। मौके पर बैठक की अध्यक्षता करते हुए संगठन के अध्यक्ष रंजीत कुमार शर्मा ने कार्यकारिणी सदस्यों के साथ कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की तथा समस्याओं को लेकर समाधान के लिए योजनाएं भी बनाई। साथ ही नाई संघ के सदस्यों को एकजुट रहने की नसीहत दी। उन्होंने कहा- बिना एकजुटता के नाई समाज को हक और अधिकार नही मिल सकता है।
मौके पर संघ के जिला संयोजक राकेश बिहारी शर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि संगठन के मजबूती के लिए नाई संघ की ओर से प्रत्येक माह सदस्यों के साथ निर्धारित तिथि को बैठक किया जाय। उन्होंने कहा- बिहार सरकार की ओर से कराई गई जातीय आधारित गणना में अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत है। किसी भी जाति में एक भावनात्मक तत्व होता है और इस प्रकार जाति जनगणना के राजनीतिक एवं सामाजिक प्रभाव होते हैं।
भारत में अंतिम जाति-जनगणना का आयोजन वर्ष 1931 में आयोजित की गई थी और इससे संबंधित डेटा तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया गया था। यही जाति-जनगणना मंडल आयोग की रिपोर्ट और उसके बाद सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण नीतियों के कार्यान्वयन का आधार बनी। राजनैतिक रुप से नाई समाज बहुत ही पिछड़ा हुआ हैं। ऐसे में नाई समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। वर्तमान में नाई जाति की आबादी 1.59 प्रतिशत है। और राज्य में इनकी संख्या 20 लाख 82 हजार 48 है।
बिहार सरकार की ओर से कराई गई जातीय आधारित गणना में अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत है। इस लिए अत्यन्त पिछड़ा (OBC) का कोटा को 27% से अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। जस्टिस रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है और इसकी सिफारिशें अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई हैं। OBC की जनसंख्या के आधार पर, जाति समूहों के विभिन्न वर्ग जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग नाई संघ करता है। उन्होंने कहा लोग अपने घर के लड़कियों को शिक्षित कर ही सुंदर और संगठित समाज बनाया जा सकता है। नारी शक्ति शिक्षित हुई तो दो कुल शिक्षित होगा। बिहार में महिला वोटर्स की बड़ी अहम भूमिका रही है।
बिहार में कोई भी पार्टी बिना इस आधी-आबादी के सहयोग के सत्ता हासिल नहीं कर सकती है। बिहार में चुनाव के लिहाज़ से सबसे अहम और ख़ास बात यह भी है कि यहां मतदान करने में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में हमेशा बेहतर रहा है। आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट है कि महिला वोटर जिसे चाहें उसे सत्ता की चाबी सौंप सकती हैं। लेकिन महिला वोटरों को लेकर एक सवाल जो हमेशा से उठता रहा है कि क्या उनका वोट स्वतंत्र होता है? एक आम धारणा है कि महिलाओं का वोट स्वतंत्र नहीं होता। उन पर उनके पति, पिता, बेटे, भाई की पसंद का ख़ासा असर होता है। महिला वोटरों को लेकर यह स्थिति सिर्फ़ बिहार में ही नहीं है।
देश के ज़्यादातर हिस्सों में महिलाएं घर के पुरुषों के प्रभाव में आकर वोट करती हैं। समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए हमें सामाजिक व राजनीतिक रूप से मजबूत होना होगा। उन्होंने कहा- जब तक अतिपिछड़ा एक जुट नहीं होंगे तब तक प्रगति नही हो सकती। बैठक में यह निर्णय लिया गया की अपने मान-सम्मान के लिए हम सब एक होंगे। बैठक के माध्यम से यह भी मांग की गई की बिहार सरकार के तरह पूरे देश में कर्पूरी जी के फार्मूला को लागू किया जाए।
बैठक में संघ के सम्मानित सदस्य रंजीत कुमार ने समाज के लोगो को आह्वान करते हुए कहा कि हम सब का यह प्रयास हो कि बिहार में एकजुट होकर वर्तमान समय में नाई समाज को अपनी एकता का परिचय देना चाहिए। समाज को एकजुट करने एवं राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समाज को एकजुट और संघर्षशील बनाना होगा। बैठक प्रत्येक माह अनिवार्य रूप से करने का प्रस्ताव लिया गया।
इस बैठक में अखिल भारतीय नाई संघ (ट्रेड यूनियन) के जिला सचिव जनार्दन ठाकुर, जिला महासचिव परमिंदर शर्मा, जिला कोषाध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, सलाहकार सुधीर कुमार शर्मा, जिला कार्यालय मंत्री राजेश कुमार ठाकुर, जिला विधि सलाहकार सुरेंद्र प्रसाद, जिला कोषाध्यक्ष राकेश कुमार, लक्ष्मण ठाकुर, जिला कार्यकारिणी संतोष कुमार शर्मा सहित दर्जनों लोगों ने भाग लिया।