कृषि विभाग से संबद्ध ऑक्सफैम इंडिया द्वारा आत्मा सभागार में मंगलवार को जैविक खेती विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें चयनित हिलसा, नगरनौसा और हरनौत प्रखंड के 15 गांवों से करीब 110 किसानों से भाग लिया। प्रशिक्षण लेने वाले किसानो में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या ज्यादा देखी गई। प्रशिक्षण के दौरान जैविक खेती के तरीके व बाजार के लिए किसानाे द्वारा किए जाने वाले बाजार के बारे में जानकारी दी गई। जैविक कोरिडोर के नोडल पदाधिकारी पुरूषोत्तम कुमार सिंह ने बताया कि अपने उत्पाद को पूर्णत: जैविक बनाने के लिए पहले मिट्टी को जैविक बनाना होगा। आने वाले समय में जैविक उत्पाद लोगों को जरूरत बनेगी। इसके लिए किसानों को अभी से जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के लिए पशुपालन भी जरूरी है। क्योंकि जैविक खेती में रसायनिक उर्वरक का प्रयोग नहीं करना है। सिर्फ जैविक खाद और किटनाशी का प्रयोग किया जाना है। और जैविक खाद व किटनाशी दवा बनाने के लिए पशुधन जरूरी है। क्योंकि जैविक खाद के लिए गोबर का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हरित खाद का प्रयोग करना जैविक खेती के लिए बेहतर होगा। इसके लिए खेतों में ढैचा जरूरी लगाएं। इस मौके पर ऑक्सफैम इंडिया के अभय कुमार, गौरव शंकर, सैयद, मोहन आदि उपस्थित थे। तकनीकि सहायक धनंजय कुमार ने बाजार की उपलब्धता पर चर्चा करते हुए कहा कि बाजार के लिए किसान स्वयं प्रयास कर सकते हैं। उत्पादों को ग्रेडिंग के साथ पैंकिंग, सुचनाओं का आदन-प्रदान एवं जैविक उत्पाद क्रय करने वाले कंपनियों से संपर्क साधाने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर देशी हाट लगाने की जरूरत है। जब स्थानीय स्तर पर जैविक उत्पाद के लिए छोटे-छोटे हाट लगेंगे तो लोग भी वहां पहुंचेंगे और उत्पादक को खरीदेगें। जब जैविक उत्पाद का स्वाद अच्दा लगेगा को स्वत: इसका नियमित ग्राहक बनेंगे।
जैविक खेती विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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