नालंदा विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार ,कोविड-19 के दौरान हटाए गए कर्मियों को पून: बहाल करने, भवन निर्माण में हो रहे घटिया निर्माण को उच्च स्तरीय जांच करने, कुलपति के द्वारा शैक्षणिक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति में विश्वविद्यालय नियमावली को ताक पर रखकर मनमानी तरीके से अपने चहेते को नियुक्ति करने पर रोक लगाने आदि विभिन्न मांगों को लेकर नालंदा विश्वविद्यालय अंतरिम परिसर, मुख्य द्वार राजगीर के समीप विश्वविद्यालय कर्मियों एवं बिहार प्रदेश असंगठित कामगार कांग्रेस के द्वारा अनिश्चितकालीन धरना एवं प्रदर्शन का आयोजन किया गया। मौके पर धरना को संबोधित करते हुए बिहार प्रदेश असंगठित कामगार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार पासवान ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को भ्रष्टाचारियों के चंगुल से मुक्त कराना होगा तभी हम अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर की अस्मिता को बचा सकेगें। डॉ पासवान ने कहा कि देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने विश्व के सर्वोच्च विश्वविद्यालय की कल्पना कर बतौर अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य कर नालंदा विश्वविद्यालय को पुर्नस्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर विश्वविद्यालय की गरिमा को वापस लाने की सपना संजोए हुए थे ,आज वह सपना साकार होने से कोसों दूर दिखाई दे रहा है।वर्तमान कुलपति सुनैना सिंह के द्वारा तानाशाही रवैया अपनाकर विश्वविद्यालय की नियमावली को ताक पर रखकर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 8 से 10 वर्षों से खून- पसीना बहाकर मेहनत करने वाले शैक्षणिक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को बेवजह तंग- तबाह एवं सेवा से मुक्त कर अपने चहेते कर्मचारियों को वहाल कर पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों पर शोषण व अत्याचार कर रहे हैं ।
डॉ. पासवान ने कहा कि विश्वविद्यालय के दायरा में आने वाले 200 गांवों में विकास कार्य को लेकर विश्वविद्यालय ने गोद लेने की घोषणा की थी। लेकिन आज तक किसी भी गांव में विकास की एक ईट तक नहीं लगी है ।इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीड़ित विश्वविद्यालय कर्मी अनिल चंद्र झा, डॉ रवि कुमार सिंह ,राहुल कश्यप ,उपेंद्र वर्मा आदि कर्मियों ने कहा कि जब विश्वविद्यालय की शुरुआत हुई थी तो स्थानीय लोगों से लेकर पूरे विश्व के लोगों में नालंदा की स्वर्णिम इतिहास में नए युग की शुरुआत कहा था ।सभी लोगों में खुशी की लहर दौड़ चुकी थी, लेकिन दुर्भाग्य की बात तो यह है कि अभी तक जितने भी कर्मी
है वह संविदा पर कार्यरत हैं। किसी भी कर्मी को पीएफ , बीमा का लाभ नहीं मिलता है ।कर्मी लोग कार्य से मुक्त होने के भय से कुछ बोल नहीं पाते है ।कोई कर्मी अगर पीएफ, बीमा ,वेतनावृद्धि की बात कर दी तो उन्हें सेवा से ही मुक्त कर दिया जाता है। अभी तक लगभग 40 शैक्षणिक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को जबरन हटा दिया गया है और कई कर्मी को हटने पर मजबूर कर दी गई है। समाजवादी नेता उमराव प्रसाद निर्मल ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में हो रहे भवन निर्माण में घटिया सामग्री लगाने, एवं विश्वविद्यालय में अध्ययन- अध्यापन कर रहे छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों के हक और अधिकार के लिए हमलोग चुप बैठने वाले नहीं है। इस लड़ाई को सड़क से संसद तक लड़ी जाएगी। इस अवसर पर बिहार प्रदेश असंगठित कामगार कांग्रेस के राज्य सचिव प्रोफ़ेसर नयाव अली, राज्य कोषाध्यक्ष कर्मवीर कुशवाहा, कांग्रेस नेता हैदर आलम, मुन्ना कुमार, राजद नेता अशोक यादव, अरुणेश यादव, डॉ अशोक कुमार उर्फ सुरेश भंते, समाजसेवी रमेश कुमार पान, समाजसेवी गोपाल भदानी, भूषण राजवंशी, नागेंद्र यादव, अजय यादव, मदन बनारसी, रूपेश कुमार, अजीत पासवान, आदि सैकड़ों लोग शामिल थे।