बिहारशरीफ – देश के कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार की योजना संचालित किया जा रहा है। ताकि परम्परागत खेती के अलावे भी कृषि से जुड़े अन्य संसाधनों से आमदनी प्राप्त किया जा सके। इन योजनाआें में मधुमक्खी पालन भी महत्वपूर्ण है। किसान खेतीबाड़ी के साथ ही मधुमक्खी पालन कर अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन कर मोम निकालकर कैंडल बनाने तथा डंक से भी कैसे आमदनी प्राप्त किया जा सकता है। इससे संबंधित आत्मा द्वारा प्रशिक्षित का स्वाबलंबी बनाने की दिशा में पहल की जा रही है। आत्मा के परियोजना निदेशक संदीप राज ने बताया कि मधुमक्खी पालन को किसानों के लिए अनुकूल व्यवसाय माना जाता है। मधुमक्खी पालन से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां रोजगार का साधन प्राप्त होता है वहीं परागण के माध्यम से फसलों से होने वालो आय और गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। मधुमक्खी पालन से शहद और मोम जैसे उत्पाद भी प्राप्त होते हैं। मधुमक्खी के मोम से कैंडल भी तैयार किया जा सकता है। यह किसानों के लिए कृषि में सहायक होने के साथ ही आमदनी का एक जरिया भी है। परियोजना निदेशक ने बताया कि मधुमक्खी पालन से अच्छी आमदनी प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन जानकारी के आभाव किसान अधिक रूचि नहीं लेते हैं। मधुमक्खी पालन का मतलब लोग सिर्फ शहद निकलना समझते हैं। लेकिन इसके अलावे में इससे काई प्रकार का लाभ ले सकते हैं। मधुमक्खी के छत्ते से मोम भी निकाल कर कैंडल तैयार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी के छत्ते में एक रानी मक्खी, कई हजार श्रमिक मक्खी और कुछ नर मधुमक्खी होते हैं। श्रमिक मधुमक्खियों की मोम ग्रंथि से निकलने वाले मोम से अपना घोसला बनाते हैं जिन्हें शहद का छत्ता कहा जाता है। इसी से मोम निकालकर कैंडल बनाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने ने बताया कि मधुमक्खी पालन से न सिर्फ शहद और मोम से ही नहीं बल्की उसके डंक से भी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। शहद एवं मोम के अतिरिक्त अन्य पदार्थ, जैसे प्रोपोलिस, रायल जेली, डंक-विष भी प्राप्त होता है। मधुमक्खी का डंक-विष दवा बनाने का कम में आता है। इसे जमा करना थोड़ा मुश्किल है। सीसे पर डंक मराकर थोड़ा-थोड़ा जमा करना पड़ता है। लेकिन आमदनी बहुत है। इसका किमत प्रति किलो एक लाख से ज्यादा है।
परियोजना निदेशक संदीप राज ने बताया कि मधुमक्खी पालन संबंधित जानकारी देने के लिए इस्लामपुर में जिले के 55 किसानों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण में मधुमक्खी पालन से होने वाले आमदनी के साथ-साथ व्यवहारिक जानकारी भी दी गई है। जब तक किसान किसी भी व्यवसाय के बारे में बारिकी से जानकारी प्राप्त नहीं करते, तब तक सफलता नहीं पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो बहुत की कम लागत से शुरू कर सकते हैं। शुरुआती दौर में पांच कलोनी (पांच बाक्स) से शुरू कर सकते है एक बॉक्स में लगभग में चार हजार रुपए का खर्चा आता है। अगर आप पांच ऐसे बॉक्स लेंगे तो बीस हजार रुपए का खर्चा आता है। इनकी संख्या को बढ़ाने के लिए समय समय पर इनका विभाजन कर सकते हैं। अगर ठीक से विभाजन से कर लिया तो एक साल में 20000 हजार बक्से तैयार किए जा सकते