शेखपुरा 18 सितम्बर 2021 : विद्यासागर टेडर्स इलेक्ट्रीक गाड़ी शोरूम दल्लुचौक, भौजडीह रोड, शेखपुरा का उद्घाटन समारोह सह कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने तथा संचालन शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने किया।
कवि सम्मेलन एवं शोरूम का विधिवत उद्घाटन मुख्य अतिथि वीआईपी युवा प्रदेश अध्यक्ष श्री पप्पु चौहान, साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, सचिव राकेश बिहारी शर्मा, उपाध्यक्ष बेनाम गिलानी, कार्यक्रम के संयोजक श्री परशुराम चौहान जी के कर-कमलो द्वारा फीता काटकर एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया, तत्पश्चात शायर नवनीत कृष्ण के सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का श्रीगणेश किया गया। कार्यक्रम में कवियों का स्वागत करते हुए समाजसेवी विद्यानन्द चौहान ने कहा कि कवियों के विचारों के मंथन से निकली कविता देश, काल, परिस्थितियों की जहां अनुभूति कराती है वहीं लोगों में जागरुकता भी पैदा करती है। कवि मिथिलेश प्रसाद “आती हैं बाधाएं आने दो, धरा पैर से हटती हो हट जाने दो। संघर्ष से ही सफलता को निकालना होगा, तपती सूरज को भी शाम को ढलना होगा”…।।
साहित्यिक मंडली शंखनाद के सचिव साहित्यसेवी राकेश बिहारी शर्मा ने “आज विश्वकर्मा का ध्यान करो, अच्छे काम से सुरूआत् करो। हे सृष्टि के रचयिता, महान शिल्पी, विज्ञान विधाता, मंगलमूर्ति विश्वकर्मा जी को बारंबार प्रणाम”… ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जिस सरलता एवं सामाजिक समन्वय का संदेश दिया है वह अपने आप में अद्भुत है।
शेखपुरा के मगही कवि उपेंद्र प्रसाद प्रेमी ने अपनी व्यग्यं और हास्य कविता “मांस मछली मुरगा सब्भे मसक जइतो,वोटवा दिन चुप चाप घसक जइतो”…। इन कविता की फुलझडियों से श्राताओं को लगातार पौन घण्टे तक गुदगुदाया। और व्यंग भरी कविता पढ़ कर लोगों को व्याप्त भ्रष्टाचार से अवगत कराया। हास्य व्यंग के प्रख्यात कवि प्रवीण कुमार बटोही ने “हमरे जनमल, हमरे पढ़लका, हमरे कहे घर के आफत हियो,बेटवा
कहे हे लियो-लियो, पुतहुओ कहे हे बियो-बियो।कविता पढ़ कर लोगों को जहां हंसाया वहीं सोचने पर विवश किया और कविता के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति का बड़ा ही मनोरम वर्णन किया। उनकी हर पंक्ति का स्वागत श्रोताओं ने करतल ध्वनि से की और दिल खोलकर वाहवाही की। कवि सम्मेलन के चिरपरिचित कवि अमन नालन्दवी ने “दिल को बनाया समझदार मगर हुआ नही, सोचा अब नही करेगे प्यार मगर हुआ नही” प्रस्तुती से सभी को प्रभावित किया। मौके पर कवयित्री मुस्कान चाँदनी ने “कब तक सहेंगी बेटियाँ कब तक झुकेंगी बेटियाँ, अपनी सोच बदल कर देखों क्या -क्या न कर जायेगी बेटियाँ”…। नामचीन शायर कुमार आर्यन ने “ये दर्द भी वफ़ाओं में ढ़ोना पड़ा मुझे। तेरे सिवा भी और का होना पड़ा मुझे”…।। इन शायरी से श्राताओं को खूबसूरत अंदाज में लोगों को खूब गुदगुदाया। संचालन करते हुए नामचीन शायर नवनीत कृष्ण ने “तेरी बातो में हम रह गए, ख़ुद से ग़ाफ़िल सनम रह गए। उनको दुनियाँ की सब राहतें, मेरे हिस्से में ग़म रह गए”…। उन्होंने अपनी रचनाएं सुनाकर समा बांधा। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने ऐतिहासिक समकालीन अपनी कविता “इन्द्रप्रस्थ की शीर्ष राजसभा,आज फिर बैठी है हो मौन। द्रौपदी नंगी खड़ी बीच सभा में, उसकी रक्षा अब करेगा कौन”… ? उन्होंने सुनाते हुए वतर्मान और अतीत का दर्शन कराया। कवि महेश प्रताप सिंह ने “हिंदुस्तान बना मत देना,लाशों पर इंशानों की,कथा कलंकित हो जाएगी, वीरों के वलिदानो की”… सुनाया। कवि ब्रजेश “सुमन” : मत मारो मां मुझे आने दो, असमय मुझे न जाने दो। तेरी चाह से कोख में आई हूं, यह मानव जीवन पाई हूं…। कार्यक्रम के संयोजक श्री परशुराम चौहान ने कहा कि साहित्य में कविता और गजल में काफी गहरा संबंध है। दोनों मनुष्य को मानवता का पाठ पढ़ाते है। साहित्य में कवियों व साहित्यकारों की रचनाएं अनमोल है। भक्ति एवं सूफी संतों ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से जिस सरलता एवं सामाजिक समन्वय का संदेश दिया है वह अपने आप में अद्भुत है। आज यहाँ जीवंत हो रहा है। इस अवसर पर कवि धनंजय कुशवाहा, प्रो0 मुकेश कुमार, अभय कुमार, कुमारी ममता सहित सैकड़ों साहित्यसेवियों ने भाग लिया।