“माँ मालती देवी स्मृति सम्मान” से सम्मानित हुए देश भर के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं समाजसेवी सिस्टर रोज, जनकवि दीनानाथ सुमित्र, युवा कवियित्री गरिमा सक्सेना, कवि दिनेश देवघरिया एवं युवा समीक्षक मुकेश कुमार सिन्हा एवं श्वेता शाही को मिला सम्मान काव्यार्पण के तहत ‘अखिल भारतीय कवि सम्मेलन’ में खूब कविताओं पर खूब मिली श्रोताओं की वाह-वाही नालंदा जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं कविता कोश के तत्वावधान में साहित्य व समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए “माँ मालती देवी स्मृति न्यास’ द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान “माँ मालती देवी सम्मान समारोह 2021” का आयोजन किया गया जिसमें देश भर के साहित्यकार एवं समाजसेवी को माँ मालती देवी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
अलंकृत होने वाले विभूतियों में साहित्य के क्षेत्र में अनुपम योगदान हेतु जन कवि के नाम से प्रसिद्ध बेगूसराय के वरिष्ठ साहित्यकार दीनानाथ सुमित्र, बेंगलुरु की युवा कवियित्री गरिमा सक्सेना, देवघर से ओज के युवा राष्ट्रीय कवि दिनेश देवघरिया, गया के समीक्षक एवं युवा साहित्यकार मुकेश कुमार सिन्हा, समाज सेवा में अनुकरणीय योगदान हेतु चेतनालाय संस्था की संचालिका सिस्टर रोज एवं नालंदा के नाम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित करने वाली रग्बी खिलाड़ी स्वेता शाही शामिल थीं। कार्यक्रम का संचालन कविता कोश ने उपनिदेशक राहुल शिवाय ने किया।
आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए माँ मालती देवी स्मृति न्यास के अध्यक्ष प्रसिद्ध मगही कवि उमेश प्रसाद उमेश ने कहा की माँ, मातृ भाषा एवं मातृभूमि का कोई विकल्प नहीं होता। माँ की स्मृति में माँ हिंदी की सेवा करने का यह अनुकरणीय उदाहरण है।
संजीव मुकेश का यह प्रयास निःसंदेह स्वागत योग्य है। कार्यक्रम के संयोजक युवा कवि संजीव कुमार मुकेश ने कहा कि आयोजन को करने का उद्देश्य माँ शब्दिक अर्पण है। जिनके कार्य से सामज को दिशा मिलती है या जिसके शब्दों की शक्ति सम्माज में नव चेतना जागृत करती है।
चेतनालाय राजगीर से जुड़ी सिस्टर रोज ने कहा कि माँ भगवान का दूसरा रूप होती हैं। गरीब व असहाय बच्चों के विकास के लिए मुझे यह सम्मान दिया गया है जो मुझे और अच्छा करने को प्रेरित करेगा। मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ।
प्रसिद्ध नवगीतकार गरिमा सक्सेना ने कहा कि आज के समय में जहाँ माँ के साथ दुर्व्यवहार और वृद्धाश्रम जैसी व्यवस्था बहुतायत सुनायी पड़ती है वहाँ माँ के नाम पर उनकी स्मृति में समाजसेवियों और साहित्यकारों क सम्मानित करना सच में सराहनीय है
पटियाला से जुड़े ओज के युवा नाम दिनेश देवघरिया ने इस सम्मान के लिए संस्था के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए साहित्य के माध्यम से माँ के चरणों में शब्द पुष्प अर्पित करने के संस्था के अद्भुत प्रयास की प्रशंसा की।
युवा समीक्षक मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि माँ के नाम पर सम्मानित होने का यह अवसर मेरे लिए अनमोल व अद्भुत है। माँ के त्याग, तपस्या और बलिदान का कोई विकल्प है ही नहीं। मुझे इस योग्य बनाने के लिए माँ की स्मृतियों को नमन है। आज धरती की हर माँ को मेरा प्रणाम है।
देश भर के चुनींदा कवियों के कविताओं का संग्रह ‘कविताओं में माँ’ के आवरण का लोकार्पण भी किया गया।
दिल्ली एवं नालंदा में मां मालती के चित्र पर किया गया माल्यार्पण
कार्यक्रम में सूर्यनारायण जागृति मंच के अध्यक्ष अखिलेश सिंह, उपाध्यक्ष पंकज कुमार सिंह, प्रभंजन कुमार, श्वेतवर्णा प्रकाशन की प्रबंधक शारदा सुमन ‘कवि मित्र’ के ब्रांड अम्बेसडर प्रसिद्ध कवि डॉ प्रतीक गुप्ता, निर्देशक श्री गुरमीत सिंह गुनी, न्यास की सचिव व कार्यक्रम संयोजिका मीनाक्षी मुकेश एवं युवा कवि संजीव मुकेश पौत्र सुब्रत शांडिल्य, सार्थक शांडिल्य ने दिल्ली के कार्यक्रम में माँ मालती के चित्र पर पुप्ष अर्पित कर श्रद्धांजलि अपर्पित किया। बिहार शरीफ के कार्यक्रम में नालंदा जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष विनय कुमार कुशवाहा, सचिव महेंद्र कुमार विकल, न्यास के अध्यक्ष उमेश प्रसाद उमेश, स्वदेश स्वामी, दीशु कुमार ने माल्यार्पण किया।
हिन्दुतान हॉटलाइन न्यूज़ के माध्यम से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण कविता कोश, कवि मित्र के फेसबुक पेज पर किया गया।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में खूब बजी तालियां
बैंक अधिकारी एवं ओज के प्रसिद्ध कवि दिनेश देवघरिया ने पढ़ा-
संस्कृति के थाल में विज्ञान का कपूर हो
विकास का प्रकाश देख, शत्रु चूर चूर हो I
प्राण की आहुति दे, ललाट को निखार दूं
तू कहे, तो चरण रक्तधार से पखार दूं I
सूर्य गाएं कीर्ति, चंवर चंद्रमा डोला रहे
प्रसन्न हो माँ भारती, तेरी आरती हैं गा रहे I
मेरठ के प्रसिद्ध हास्य कवि डॉ प्रतीक गुप्ता ने सुनाया-
माँ तेरे प्यार से मन ये भरता नही
जैसा करती है तू कोई करता नही
सोचा है ये कई बार दूँ मैं कर्जा तो उतार
जाने कर्जा है कैसा जो उतरता नही
बेगूसराय से जुड़े जनकवि दीनानाथ सुमित्र ने पढ़ा-
मेरे गीतों का तू रस है
ताल छंद तू ही सर्वस है
मीठे भाव अटल देती है माँ
तू अदृश्य से बल देती है माँ
बेचैनी में कल देती है माँ
बेंगलुरु से जुड़ी प्रसिद्ध नवगीतकार गरिमा सक्सेना के दोहा से मन मोहा-
आँचल में माँ के सुधा, और नयन में नीर।
नवजीवन करती सृजित, सहकर भारी पीर।।
व्रत पूजा करती रहे, करे जतन दिन-रात।
हर पल बस संतान के, हित की सोचे बात।।
कविता कोश के उप निदेशक राहुल शिवाय ने सुनाया-
तुमसे तुलसी का जल, पूजा घर का दीपक
मोखे पर हल्दी कुमकुम का छाप तुम्हीं से,
संस्कार जीवन के तुमने ही सिखलाये
गीत सगुन का औ मंत्रों का जाप तुम्हीं से।
घर के कोने-कोने में है वास तुम्हारा
तुम माथे पर चमक रही चन्दन, रोली हो।
मम्मी सारे जग में तुम सबसे भोली हो।
संयोजक संजीव कुमार मुकेश ने पढ़ा-
जीवन के हर शब्द-शब्द अक्षर अक्षर में माँ।
माँ ही गीता, वेद, रामायण, वाणी स्वर में माँ।।
अपने अध्यक्षीय कव्यपाठ में प्रसिद्ध कवि उमेश प्रसाद उमेश ने पढ़ा-
बोलो वन्देमातरम माँ भारती के नाम!!
बाऊआ, दोनों हाथ जोड़ करो देश को प्रणाम!
गया के युवा कवि मुकेश कुमार सिन्हा ने पढ़ा-
आँखें मूंदी हो मैया, दुनिया ने नज़रें फेरी हैं।
पता नहीं कितनों ने, मुझ पर आँखें तरेरी हैं।
मैया तेरे जाने से, यह दुनिया वीरान है,
है तो सब कुछ मगर, लगता श्मशान है।