Monday, December 23, 2024
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शंखनाद के तत्वावधान में “देश में बिगड़ते पर्यावरण संकट” पर गोष्ठी

बिहारशरीफ-बबुरबन्ना, 12 सितम्बर 2021 : स्थानीय बबुरबन्ना मोहल्ले में साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में “देश में बिगड़ते पर्यावरण के संकट” पर गोष्ठी आयोजित किये गये। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यिक मंडली शंखनाद के वरीय सदस्य सरदार वीर सिंह ने किया। गोष्ठी में मुख्यरूप से पीपल नीम तुलसी अभियान के संस्थापक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार के द्वारा बकस्वाहा जंगल के मिट्टी तिलक अभियान पर चर्चा किया गया।अभियान के संस्थापक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार व अभियान में साथ चल रहे सहयोगी पर्यावरणविद पर्वतारोही केशव सिंह कीर्ति बबुरबन्ना मोहल्ले पहुँचीं जहाँ मोहल्लेवालों ने जोरदार स्वागत किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पीपल नीम तुलसी अभियान के संस्थापक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार ने “देश में बिगड़ते पर्यावरण के संकट” पर चर्चा करते हुए कहा कि बकस्वाहा जंगल में जमीन से हीरा निकालने के लिए ढाई लाख से ज़्यादा पेड़ों को काटा जाएगा। इसके लिए वन विभाग ने गिनती भी कर ली है। जंगल में बेशकीमती सागौन, जामुन, हेड़ा, पीपल, तेंदु, महुआ समेत कई पेड़ हैं। बिड़ला से पहले ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियोटिंटो ने बक्सवाहा का जंगल लीज़ पर लिया था, लेकिन मई 2017 में संशोधित प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतिम फैसले से पहले ही रियोटिटों ने यहां काम करने से इंकार कर दिया था। कंपनी ने उस दौर में बिना अनुमति 800 से ज्यादा पेड़ काट डाले थे। अनुमान के मुताबिक बक्सवाहा के जंगलों की जमीन के नीचे 50 हज़ार करोड़ रुपए के हीरे हैं। अब सवाल ये उठता है कि इस देश में पेड़ ज़रूरी या हीरा। देश मे कटते जंगल पर चिंता जाहिर की है। जंगल पशु-पक्षी, जीव-जंतु के द्वारा बनायी गई, जो अपने आवास और भोजन कि वयसथा के लिए है। बकस्वाहा जंगल को काट कर, पक्षियों का घर उजाडकर केद्र एंव राज्य के राजस्व को बढाना उचित नहीं है। पांच तत्वों को नष्ट कर विकास नहीं हो सकती है। वर्तमान समय में प्रकृति धर्म को घर-घर अलख जागने की जरूरत है। पीपल वृक्ष ज्ञान की पुजक है साथ ही औषधीय भी है। नीम तो घर घर के औषधि है। तुलसी का सेवन हमारे पूर्वज वर्षों से करते आ रहे हैं।

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कार्यक्रम में साहित्यिक मंडली शंखनाद के सचिव राकेश बिहारी शर्मा ने बताया कि पेड़ लगाने से 5 फायदें होते हैं। पहला यह ऑक्सीजन के जरिए मानव जीवन को बचाती है। दूसरे यह मिट्टी के क्षरण यानी उसे धूल बनने से रोकता है। जमीन से उसे बांध रखता है। भू जल स्तर को बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद करता है। इसके अलावा यह वायु मंडल के तापक्रम को कम करता है। पेड़ों से आच्छादित जगह पर दूसरी जगहों की अपेक्षा 3 से 4 डिग्री तक तापमान कम होता है। इसलिए अपने आसपास ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। ताकि मानव जाति को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पेड़ या पौधे ऑक्सीजन तैयार नहीं करते बल्कि वे फोटो सिंथेसिस या प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और उसके दो बुनियादी तत्वों को अलग करके ऑक्सीजन को वातावरण में फैलाते हैं। एक माने में वातावरण को इंसान के रहने लायक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। कौन सा पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करते है? इसे लेकर अधिकार के साथ कहना मुश्किल है पर तुलसी, पीपल, नीम और बरगद के पेड़ काफी ऑक्सीजन तैयार करते हैं और हमारे परम्परागत समाज में इनकी पूजा होती है। यों पेड़ों के मुकाबले काई ज्यादा ऑक्सीजन तैयार करती है। हमें आने वाली कठिनाइयों से पार पाने के लिए वृक्षों का संरक्षण हर हाल में करना होगा। पर्यावरण का करें सम्मान कल होगा जीवन खुशहाल। आज से छह सौ वर्ष पहले पर्यावरण समस्या जैसी कोई बात नहीं थी, लेकिन संत कबीर ने वृक्ष, नदी, पहाड़, वन-पर्वतों के संरक्षण की बात कही है।

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बक्सवाहा जंगल बचाने की यात्रा में शामिल पीपल नीम तुलसी अभियान के सहयोगी पर्यावरणविद पर्वतारोही केशव सिंह कीर्ति ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हीरों के लिए हम अपने जीनवदायी लाखों पेड़ों की बलि नहीं दे सकते हैं। लाखों पेड़ों के कटने से पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति होगी, हम एक भी पेड़ नहीं कटने देंगे। हीरा निकालना है आप निकालिए, लेकिन उसके लिए इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटने की ज़रूरत क्या है। क्या ऐसा कोई रास्ता नहीं निकाला जा सकता है कि जंगल को ना काटा जाए। हम देश के साथ अन्याय नहीं देख सकते हैं। पानी, सूखे को झेलता देश जंगल स्वाहा होने के बाद और बदहाल हो जाएगा, हम उसके भी खिलाफ हैं। ऐसा नहीं है कि देश के लोग विकास के लिए तैयार नहीं है लेकिन विकास की कीमत लाखों-करोड़ों पेड़ तो नहीं हो सकते हैं। अब ये लड़ाई लंबी चलने वाली है।
उन्होंने कहा- गौतम को ईसा से 528 वर्ष पूर्व बोधिसत्व का ज्ञान वृक्ष पीपल के नीचे ही मिला था। वैज्ञानिक तथा अन्य लोगों का भी मानना है कि पीपल के नीचे ज्ञान की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि आज भी गांवों में पीपल के पेड़ के नीचे लोग बैठे मिल जाते हैं इससे यह प्रमाणित होता है कि यह बोधि वृक्ष एक पेड़ नही होकर समाज के करूणा, शांति, सद्भावना सहित जीवन मरण के लिए शुद्ध पर्यावरण में ऑक्सीजन भी देता है।अध्यक्षता करते हुए पर्यावरणविद साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे सात लोगों को प्राण वायु मिल पाती है। यदि हम इसके आसपास कचरा जलाते हैं तो इसकी ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता आधी हो जाती है। इस तरह हम तीन लोगों से उसकी जिंदगी छीन लेते हैं। आज पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। इसलिए पौधे लगाने के साथ-साथ हमें पेड़ों को बचाने की जरूरत है। इसके लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है। अपने आसपास पेड़ों को न कटने दें, उसका विरोध करें। उसके आसपास आग न लगाएं। इसके अलावा किसी भी स्थान पर 50 मीटर की दूरी पर एक पेड़ जरूर होना चाहिए। इससे वहां के रहवासियों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध हवा मिलेगी। और लोग स्वस्थ रहेंगे। ये पेड़ जब नहीं रहेंगे तो पूरा मानव जीवन ही नष्ट हो जायेंगे।

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पीपल नीम तुलसी के संस्थापक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार के द्वारा उपस्थित लोगों को पीपल वृक्ष महात्म्य-कथा पुस्तक देकर पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प दिलाया। पीपल नीम तुलसी के संस्थापक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार और पर्यावरण प्रेमी पर्वतारोही केशव सिंह कीर्ति को आगे के यात्रा के लिए बबुरबन्ना मोहल्ले वासियों ने विदा किया। ये पर्यावरण योद्धा बक्सवाहा जंगल को बचाने के लिए देश में घूम-घूम कर जनजागरण चला रहे हैं। इस दौरान सुरेन्द्र कुमार, राजदेव पासवान, धीरज कुमार, सविता बिहारी, सुरेश प्रसाद सहित कई लोगों ने भाग लिया।

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