बिहारशरीफ,बबुरबन्ना-नालंदा 30 अगस्त 2021 : स्थानीय बबुरबन्ना मोहल्ले में साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह के अध्यक्षता में योगीराज श्रीकृष्ण की 5248 वीं जयंती के अवसर पर बबुरबन्ना स्थित सभागार में “महापुरुष देश और समाज की धरोहर हैं” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका संचालन शंखनाद के मीडिया प्रभारी शायर नवनीत कृष्ण ने किया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, सचिव राकेश बिहारी शर्मा एवं साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर तथा मंगलदीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर शंखनाद के सचिव साहित्यसेवी साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि हमें अपने महापुरुषों का अपमान नहीं, बल्कि सम्मान करना चाहिए। महापुरुष किसी भी देश और समाज की महान धरोहर होते हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण को हमारी वैदिक संस्कृति के प्रकाश पुंज बताते हुए कहा कि योगीराज श्रीकृष्ण के बारे में अनेक प्रकार की अनर्गल बातें समाज में फैलाई जा रही है। कोई उन्हें माखनचोर कहता है, तो कोई रासलीला रचाने वाला। कोई राधा के साथ उनके प्रेम प्रसंग की बेबुनियाद बातें करता है तो कोई उनकी 16108 रानियां बताता है। जबकि महाभारत के अनुसार श्रीकृष्ण का पूरा जीवन बहुत ही उच्च कोटि का था। आज से सालों पहले कुरुक्षेत्र में मुरलीधर श्रीकृष्ण का दिया गया गीता ज्ञान आज के जीवन पर बिल्कुल सटीक बैठता है। बात चाहे सामाजिक परेशानी की हो, व्यवहारिक परेशानी की हो या फिर भावनात्माक तकलीफ की हो, गीता में हर समस्या का समाधान है। यही नहीं इन उपदेशों को यदि अपने जीवन में उतार लिया जाए तो आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। यदि समाज में आदर्श स्थापित करना चाहते हैं तो श्रीकृष्ण जैसे महापुरुष और समाज के धरोहरों से प्रेरणा लेना चाहिए।
अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि कृष्ण का जीवन कहता है, आप कोई भी हों, संसार में आए हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा। मानव जीवन में आकर परमात्मा भी सांसारिक चुनौतियों से बच नहीं सकता। कृष्ण ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की। हर परिस्थिति को जिया और जीता। कृष्ण कहते हैं परिस्थितियों से भागो मत, उसके सामने डटकर खड़े हो जाओ। क्योंकि, कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है। हम कर्मों से ही परेशानियों से जीत सकते हैं। कृष्ण ने जिसे अपना मान लिया, उसका साथ जीवन भर दिया। रिश्तों के लिए कृष्ण ने कई लड़ाइयां लड़ीं। और रिश्तों से ही कई लड़ाइयां जीती। उनका सीधा संदेश है सांसारिक इंसान की सबसे बड़ी धरोहर रिश्ते ही हैं। अगर किसी के पास रिश्तों का थाती नहीं है, तो वो इंसान संसार के लिए गैर जरूरी है। इसलिए, अपने रिश्तों को दिल से जीएं, दिमाग से नहीं। श्रीकृष्ण जैसे महापुरुष हमारे देश और समाज के लिए धरोहर हैं।
मौके पर शिक्षाशास्त्री जाहिद हुसैन ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि मृत्यु एक अटल सत्य है। यह शरीर नश्वर है। आत्मा अजर अमर है, आत्मा को कोई काट नहीं सकता अग्नि जला नहीं सकती और पानी गीला नहीं कर सकता। जिस प्रकार से एक वस्त्र बदलकर दूसरे वस्त्र धारण किए जाते हैं उसी प्रकार आत्मा एक शरीर का त्याग करके दूसरे जीव में प्रवेश करती है। मनुष्य को उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही फल प्राप्त होता है। इसलिए मनुष्य को सदैव सत्कर्म करने चाहिए। कृष्ण ने कभी अपनी दोस्ती में जात-पात और ऊंच-नीच का भेद नहीं दिखाया है। पद-प्रतिष्ठा या धन कभी भी उनकी दोस्ती में बाधक नहीं बना। उन्होंने आजीवन अपनी मित्रता निभाई। श्रीकृष्ण के उपदेश को प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में मानना चाहिए। शंखनाद के सक्रिय सदस्य साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि जब हम खुद को अर्जुन की तरह संशयों में घिरा पाते हैं, तब हमें योगेश्वर श्रीकृष्ण की वाणी ही उससे निकाल पाती है। उन्होंने जन्म ही मनुष्य को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने के लिए लिया था। कृष्ण के असली माता-पिता वासुदेव और देवकी थे, लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा और नन्द ने किया था। कृष्ण ने अपनी दोनों माताओं का स्थान अपने जीवन में एक सामान रखा। सभी को एक समान आदर और सम्मान कैसे दिया जाता है, यह भगवान कृष्ण से सीखा जा सकता है।
संचालन करते हुए शंखनाद के मीडिया प्रभारी शायर नवनीत कृष्ण ने श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए अपनी गजल और भजन सुनाते हुए ‘चलो रे चलो रे भाई बृंदावन धाम रे, टोली चली है देखो कान्हा के गाम रे’…। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने सच्चे दोस्त के बारे में बताया है कि सच्चा मित्र वही होता है जो आपका बुरे वक्त में साथ दे। यानी कि दु:ख और परेशानी में हर व्यक्ति आपके साथ खड़े हों। ऐसा न हो कि वह समस्याएं आते ही वह आपसे दूर हो जाएं। यदि आपका मित्र ऐसा न करे तो तुंरत ही उसका परित्याग कर देना चाहिए। अन्यथा ऐसे लोग आपके मित्र बनकर मित्रों की संख्या में तो इजाफा कर देंगे लेकिन जरूरत पड़ने पर कोई आपके साथ नहीं होगा। वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता कुछ इस तरह है कि वक्त जब सही हो तो तमाम दोस्त मिल जाते हैं मौज-मस्ती करने के लिए, लेकिन वक्त खराब हो तो सभी साथ छोड़ देते हैं। बहुत कम होते हैं जो आपका साथ देते हैं तो जो बुरे वक्त में साथ दे वही सच्चा मित्र है। तो लोगोंको श्रीकृष्ण जैसे महापुरुष और भारतीय समाज के धरोहर से प्रेरणा लेना ही चाहिए।
मौके पर समाजसेविका सविता बिहारी ने कहा कि जीवन जीने के तरीके को अगर किसी ने परिभाषित किया है तो वो श्रीकृष्ण हैं। कर्म से होकर परमात्मा तक जाने वाले मार्ग को उन्हीं ने बताया है। संसार से वैराग्य को सिरे से नकारा। कर्म का कोई विकल्प नहीं, ये सिद्ध किया। कृष्ण मात्र कथाओं में पढ़ा या सुना जाने वाला पात्र नहीं है, वो चरित्र और व्यवहार में उतारे जाने वाले महापुरुष हैं। कृष्ण से सीखें, कैसे जीवन को श्रेष्ठ बनाया जाए। कृष्ण ने हमेशा नारी को शक्ति तथा शक्तिस्वरूपा बताया, उसके सम्मान के लिए तत्पर रहे। पूरी महाभारत नारी के सम्मान के लिए ही लड़ी गई। सो, आप कृष्ण भक्त हैं तो अपने आसपास की महिलाओं का पूरा सम्मान करें। कृष्ण की कृपा पाने का ये सरलतम मार्ग है। श्रीकृष्ण भारतीय लोगों के आदर्श तथा प्रेरणापुंज व प्रेरणात्मक हैं।
साहित्यसेवी सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि कृष्ण एक ऐसे अवतार हैं जिनसे प्रेम करने वाले हर घर में मौजूद हैं। वे एक चतुर राजनेता और महायोगी भी हैं। वो एक सज्जन पुरुष हैं, और ऐसे अवतार हैं जो जीवन के हर रंग को अपने भीतर समाए हुए हैं।
इस मौके पर समाजसेवी धीरज कुमार, साहित्यप्रेमी राजदेव पासवान, बिनोद पंडित, अमित कुमार, सुरेश प्रसाद, अशोक कुमार, अरविन्द कुमार गुप्ता सहित कई लोग मौजूद थे।