बिहारशरीफ-बबुरबन्ना, 21 अगस्त 2021 : स्थानीय बबुरबन्ना मोहल्ले में साहित्यकारों समाजसेवियों व बुद्धिजीवियों की एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई। विचार गोष्ठी का विषय था “वर्तमान पंचायती राज व्यवस्था में साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों की भूमिका”। गोष्ठी की अध्यक्षता शंखनाद के वरीय सदस्य सुरेश प्रसाद तथा संचालन मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने की।
गोष्ठी का उद्घाटन शंखनाद के सचिव राकेश बिहारी शर्मा, शंखनाद के वरीय सदस्य सुरेश प्रसाद और समाजसेवी डॉ. आशुतोष कुमार मानव, समाजसेवी दीपक कुमार ने किया। अपने संबोधन में शंखनाद के सचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में साहित्यकार तथा बुद्धिजीवी हाशिए पर आ चुके हैं। राजनीति में धन-बल व बाहुबल का बोलबाला हो गया है। देश को दिशा व दशा प्रदान करने में साहित्यकार व समाजसेवियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज जरूरत है समाजसेवियों व साहित्यकार को आगे आकर समाज को नेतृत्व प्रदान करने की। राजनीति में हृास का एक प्रमुख कारण है बुद्धिजीवी समाज का चुप होना और राजनीति से अलग-थलग रहना। 15 अगस्त 1947 को जब भारत अंग्रेजी हुकूमत की दासता से आजाद हुआ था तब किसने कल्पना की होगी कि त्रिस्तरीय पंचायती राज अपनाकर देश दुनिया की सबसे बड़ी त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव प्रक्रिया वाला राष्ट्र बन जाएगा। स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे विवादों के आपस में सुलझाने के उद्देश्य से बिहार पंचयत राज अधिनियम 1947 का गठन हुआ। इस अधिनियम को 1948 में पूरे राज्य में लागू किया गया था। पंचायती राज व्यवस्था, ग्रामीण भारत की स्थानीय स्वशासन की प्रणाली है। देश के तत्कालीन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1959 में 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन राजस्थान के नागौर जिले में देश की पहली त्रिस्तरीय पंचायत का उद्घाटन कर पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी। वर्ष 1993 में 73वें व 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारत में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ था।
अध्यक्षता कर रहे शंखनाद के वरीय सदस्य सुरेश प्रसाद ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और ज़िला परिषद शामिल हैं। त्रिस्तरीय पंचायतों में चार पदों के लिए चुनाव होना है। इसमें वार्ड सदस्य, मुखिया, ग्राम पंचायत सदस्य और जिला परिषद सदस्य पद शामिल हैं। वहीं, ग्राम कचहरियों में पंच और सरपंच पद के लिए चुनाव होना है। आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव ईवीएम से और ग्राम कचहरियों का चुनाव मतपत्र से कराने की तैयारी कर रही है। राज्य में करीब आठ हजार मुखिया, आठ हजार सरपंच, एक लाख 12 हजार वार्ड सदस्य, एक लाख 12 हजार कचहरी पंच, पंचायत समिति सदस्य के 11 हजार पद, जिला परिषद सदस्य के 1100 पद के लिए चुनाव होना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ. आशुतोष कुमार मानव ने कहा कि मतदान के प्रयोग से हमारे देश की सरकारें बनती हैं जो भविष्य का निर्धारण करते हुए विकास का खाका तैयार कर आम जनता के आधारभूत सुविधाओं को मुहैया कराती हैं लेकिन मतदान के समय यदि गलत निर्णय से लोग सरकार बनाते हैं तो यह देश के विकास में अवरोधक साबित होते हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील किया कि 18 वर्ष के सभी लोगों को मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आगे आना चाहिए। मतदान करना हमारा अधिकार ही नहीं कर्तव्य भी है। स्वच्छ राजनीति की मुहिम का आगाज हो गया है, अब यह रुकेगा नहीं। आज जनहित में स्वच्छ राजनीति की दरकार है। समाजसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि देश के युवा मतदाताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वो अशिक्षित लोगों को वोट का महत्व बताकर उनको वोट देने के लिए बाध्य करे। लेकिन यह विडंबना है कि हमारे देश में वोट देने के दिन लोगों को जरूरी काम याद आने लग जाते हैं। कई लोग तो वोट देने के दिन अवकाश का फायदा उठाकर परिवार के साथ पिकनिक मनाने चले जाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी है जो घर पर होने के बावजूद भी अपना वोट देने के लिए वोटिंग बूथ तक जाने में आलस करते हैं।
गांधीवादी विचारक समाजसेवी दीपक कुमार ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में जागरूकता की कमी है। लोगों में मतदान के प्रति उदासीनता व्याप्त है। इस तरह अजागरूक, उदासीन व आलसी मतदाताओं के भरोसे हमारे देश के चुनावों में कैसे सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सकेंगी? उन्होंने कहा- साथ ही एक तबका ऐसा भी है जो प्रत्याक्षी के गुण न देखकर धर्म, मजहब व जाति देखकर अपने वोट का प्रयोग करता हैं। यह कहते हुए बड़ी ग्लानि होती है कि वोटिंग के दिन लोग अपना वोट संकीर्ण स्वार्थ के चक्कर में बेच देते हैं। यही सब कारण है कि हमारे देश के चुनावों में से चुनकर आने वाले अधिकत्तर नेता दागी और अपराधी किस्म के होते हैं। इसलिए सजग रहें और सजगता से अपना जनप्रतिनिधियों का चुनाव करें।
मंच संचालन मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण और धन्यवाद ज्ञापन सचिव राकेश बिहारी शर्मा ने किया।
अन्य वक्ताओं में समाजसेवी सुरेन्द्र कुमार, समाजसेविका सविता बिहारी, साहित्यप्रेमी धीरज कुमार, राजदेव पासवान, निरंजन कुमार, अरविन्द कुमार गुप्ता आदि थे।