बिहारशरीफ / नालंदा 4 अगस्त 2021 : स्थानीय पतंजलि चिकित्सालय में बुधवार को आचार्य श्री बालकृष्ण जी का 49 वाँ जन्मोत्सव जड़ी बूटी दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी विनय कुमार ने की, जबकि संचालन मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता राकेश बिहारी शर्मा ने किया। जन्मोत्सव में पतंजलि योग समिति के प्रदेश संरक्षक उदय शंकर प्रसाद ने मुख्य अतिथि तथा योगाचार्य रामजी प्रसाद यादव विशिष्ट अतिथि के रुप में शिरकत किया। कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी विनय कुमार और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के जिला प्रभारी इंजीनियर रवि शंकर प्रसाद की ओर से औषधीय पौधे लगाए गए और उनका महत्व बताया गया। मौके पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि योगाचार्य रामजी प्रसाद यादव ने बताया कि परम पूज्य राज ऋषि स्वामी रामदेव महाराज की अगुवाई में पतंजलि योगपीठ का निर्माण हुआ था, उसमें अहम भूमिका निभाने वाले आचार्य बालकृष्ण जी हैं जो 64000 पौधों पर रिसर्च किए हैं। आज पूरे भारत में उनके जन्मदिन पर एक करोड़ पेड़ पौधे, जड़ी बूटी के फलदार पौधे का निशुल्क वितरण किया जा रहा है। उन्होने कहा कि कोरोना बीमारी महामारी की तरह फैल रही है, उसे रोकने के लिए गिलोय बहुत कारगर है। इसे लोग हर घर में लगाएं और इसका काढ़ा बनाकर रोज पिएं, जिससे इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने स्वस्थ्य रहने के लिए योग के टिप्स भी दिए गए तथा जीवन में योग के महत्व के बारे में बताया और भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी आदि प्राणायाम का अभ्यास कराया।
मौके पर पतंजलि योग समिति के मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि पतंजलि को योग और आयुर्वेद की सबसे बड़ी संस्था बनाने में आचार्य बालकृष्ण का अहम योगदान है। उन्होंने संपूर्ण जीवन क्रियाशील, गुणात्मक, रचनात्मक और समाज की सेवा में समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद की पुस्तकों के लेखन, प्रकाशन, पांडुलिपियों के संरक्षण, आयुर्वेदिक औषधियों की खोज, अनुसंधान, आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार व आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर स्वीकृति दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण महाराज ने विश्व में आरोग्यता का मंत्र दिया है। पहले जब योग की बात आती थी तो यह हिमालय की गुफाओं तक ही सीमित था। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग और आयुर्वेद को देश में ही नहीं विदेश तक पहुंचाया है। कलियुग के धन्वंतरी के रुप में प्रतिष्ठित हैं आचार्य बालकृष्ण जी। वैद्य सत्य रंजन प्रसाद सिंह ने गिलोय, एलोवीरा, पत्थरचटा, अश्वगंधा, नीम, बेल समेत अन्य पौधों के औषधीय गुणों को विस्तार से बताया। साथ ही साथ औषधीय पौधों का लाभ और प्रयोग करने के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में पौधों के जड़ी-बूटियों का महत्व उतना ही है जितना हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है।
इस अवसर पर समिति के मुख्य अतिथि प्रदेश संरक्षक उदयशंकर प्रसाद जी ने कहा कि गिलोय (अमृता) अमृत के समान लाभकारी है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहाँ-जहाँ छलकीं, वहाँ-वहाँ गिलोय की उत्पत्ति हुई। यह महौषधि बहुत से रोगों में रामबाण है। यह प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीआक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। गिलोय एक ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। हम इस औषधि का प्रयोग करके स्वयं को तथा राष्ट्र को स्वस्थ बनायें, यही पतंजलि योगपीठ का जन-जागरण का अभियान है। भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के जिला प्रभारी इंजीनियर रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि, आचार्य बालकृष्ण जी का जन्मदिन तो एक बहाना है, जड़ी बूटियों को सबको मिलकर लगाना है और हर जगह जड़ी बूटियों को उगाना है। मैं प्रदेशवासियों से आवाहन करता हूँ कि, इस वक्त मौसम है जड़ी बूटियों को लगाने का। अगर आप रोगों से बचना चाहते हैं तो बड़ी संख्या में जड़ी बूटियों को लगाए। चाहे तो घर में आप तुलसी, गिलोय, वासा और इसके साथ ही विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां लगा सकते हैं। जितनी आपके घर में जगह हो आप सभी संकल्प लेकर इस कार्य को आगे बढ़ाएं। क्योंकि जब हम जड़ी बूटी की रक्षा करेंगे तभी जडी-बूटी भी हमारी रक्षा करेंगे। इस वर्ष जड़ी बूटी दिवस पर पतंजलि योगपीठ दवारा पूरे देश में एक करोड़ पेड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया गया है।
मौके पर पतंजलि के कर्मयोगी सदस्य सरदार वीर सिंह ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद के माध्यम से किसानों को समृद्धि और जनता को लाभ मिले और यही आचार्य बालकृष्ण जी का प्रयास है। भारत की प्राचीन कृषि और ऋषि परंपरा व योग आयुर्वेद को पतंजलि योगपीठ ने पूरे विश्व में फैलाया और वैज्ञानिक स्तर पर सम्मान दिलाया। बालकृष्ण जी ने आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाई है। इस अवसर पर पतंजलि चिकित्सालय प्रभारी रंजना सिन्हा, योग शिक्षका संगीता आर्या, सुशीला कुमारी, राम प्रवेश कुमार, प्रभात रंजन सहित कई लोग उपस्थित थे।