कई वर्षों से आवागमन का मुख्य रास्ता कटा होने के कारण हरनौत प्रखंड के बस्ती ग्राम में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। खासकर गांव के किसी व्यक्ति का निधन होता, तो इसी जर्जर और गड्ढे रास्ते से लोग अर्थी लेकर जाते। यह एकमात्र पारंपरिक रास्ता था, इसलिए लोग जोखिम उठाकर वर्षों से गड्ढे पानी में घुस कर अपनी जान हथेली पर रखकर इसी रास्ते से जाया करते।लेकिन लोगों ने श्रमदान कर उस रास्ते को बनाकर उसकी सूरत ही बदल दी। गांव के ही सामाजिक संस्था ग्राम नियोजन केंद्र बस्ती के पहल पर श्रमदान के माध्यम से 3 दिनों के अथक परिश्रम से लगभग 40 फीट लंबा और 5 फीट चौड़ा रास्ता का निर्माण किया गया। यह रास्ता कई वर्षों से अधूरा पड़ा था। जनप्रतिनिधियों सहित कई गणमान्य लोगों को इसकी जानकारी दी गई थी, लेकिन किसी ने इस ओर ख़ास ध्यान नहीं दिया तो ग्राम नियोजन केंद्र बस्ती के सचिव विनोद कुमार पांडे एवं पुरुषोत्तम पांडे ने ग्रामीणों के साथ मिलकर चिंतन मंथन किया एवं ग्रामीणों के सहयोग से श्रमदान कर रास्ता बनाने का निर्णय लिया।
22 जुलाई से 24 जुलाई तक 3 दिनों के अथक परिश्रम से श्रमदान के माध्यम से यह रास्ता बनकर तैयार हो गया जो कि आसपास के लोगो एवं इलाकों के लिए एक प्रेरणा है। मौके पर समाजसेवी विनोद कुमार पांडे एवं पुरुषोत्तम पांडे ने कहा कि श्रमदान का महत्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा है
लेकिन बस्ती गांव के लोगों ने श्रमदान कर श्रमदान के महत्व को साकार किया है। हम सभी को आपसी समस्या का निदान स्वयं ढूंढना चाहिए। श्रमदान के प्रति यदि हम सभी जागरूक रहेंगे तो अच्छा समाज और देश का निर्माण हो सकता है। मौके पर गूंज नामक संस्था द्वारा श्रमदान में लगे लोगों को खाद्यान्न कीट देकर प्रोत्साहन किया गया।इस मौके पर गूंज नामक संस्था के प्रतिनिधि अरुण कुमार ने संस्था परिवार एवम् श्रमदान में लगे लोगों को बधाई देते हुए कार्यक्रम कि सराहना की।साथ ही कोरोना से बचाव हेतु मास्क एवं साबुन भी वितरित किए गए ।साथ ही कोरोना से बचने हेतु टीका लगाने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया गया।मौके पर श्रमदान कार्यक्रम में राज नारायण सिंह उर्फ पुटुर सिंह, पल्लू सिंह, बबलू भारती, सोनी देवी, दिलीप पासवान विक्की कुमार, दीपक कुमार प्रीतम कुमार ,निक्की कुमार आदि का सराहनीय योगदान रहा। रास्ता बनने से आसपास के लोगों को काफी प्रेरणा मिल रही है। मौके पर समाजसेवी और सद्भावना मंच (भारत) के संस्थापक दीपक कुमार ने श्रमदान में लगे लोगों को बधाई दी है । साथ ही साथ गांव के लोगो में काफी खुशी है।लोग देखने आ रहे हैं और स्वयं प्रेरणा ले रहे हैं कि श्रमदान के माध्यम से बड़ा से बड़ा कार्य को किया जा सकता है।