नालन्दा हिंदी साहित्य सम्मेलन के पुनर्गठन के आहूत बैठक में अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए नालन्दा हिंदी साहित्य सम्मेलन के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. दयानन्द प्रसाद ने स्वयं को अध्यक्ष पद से मुक्त करने तथा अपने स्थान पर श्री विनय कुमार कुशवाहा को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसका विचारोपरान्त सभा ने करतल ध्वनि से अनुमोदन किया। नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री विनय कुमार कुशवाहा ने अपने सहायतार्थ श्री उमेश प्रसाद ‘उमेश’ को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पेश किया। बैठक ने सर्वसम्मति से श्री कुशवाहा के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। श्री उमेश प्रसाद ‘उमेश’ डॉ. गोपाल शरण सिंह को उपाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पेश किया। बैठक ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित किया। श्री उमेश प्रसाद ‘उमेश’ ने सचिव पद के लिए श्री महेन्द्र कुमार ‘विकल’ को सचिव बनाने का प्रस्ताव पेश किया। बैठक ने सर्वसम्मत्ति से इस प्रस्ताव को पारित किया। श्री महेन्द्र कुमार ‘विकल’ ने अपनी सहायता के लिए युवा संगीतकार एवं साहित्यकार श्री राकेश भारती जी को उपसचिव बनाने का प्रस्ताव पेश किया। सभा ने इस पसताव को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया।
अंत में सभा ने उपर्युक्त चयनित पदाधिकारियों को पूर्वगठित पदाधिकारियों को यथावत रखने या आवश्यकता अनुसार फेरबदल करने के लिए अधिकृत किया। नव निर्वाचित अध्यक्ष विनय कुमार कुशवाहा ने कहा कि 100 वर्ष से अधिक पुरानी साहित्यिक संस्था के माध्यम से जन मानस को साहित्य से सीधे जोड़ने का प्रयास रहेगा। प्रखण्ड स्तर पर विद्यालय व गाँवो में समारोह कैलेंडर बना साहित्यिक उत्सव आयोजित कर समाज में साहित्यिक अभिरुचि जागृत की जाएगी।
कार्यकारी अध्यक्ष उमेश प्रसाद उमेश में नए पदाधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि साहित्य समाज का आईना होता है। समरस सामज के निर्माण में सरल व समावेशी साहित्य का अतुलनीय योगदान होता है। साहित्य सम्मेलन साहित्य के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान कर रहा है जिसको और गति मिलेगी। द्वितीय सत्र में श्री राकेश भारती, अर्जुन प्रसाद बादल, राजेश ठाकुर, उमेश प्रसाद उमेश आदि ने कविता पाठ कर महफ़िल को आनन्द विभोर कर दिया।
नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष डॉ. गोपाल शरण सिंह ने आपने 75 वें वर्षगाठ पर उपस्थित साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। सभी लोगों ने उन्हें स्वस्थ्य एवं दीर्घायु जीवन की शुभकामनाएं दी। अंत में डॉ. गोपाल शरण सिंह ने सभासदों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभा समाप्ति की घोषणा की।