राष्ट्रीय कवि संगम बिहार प्रान्त ईकाई द्वारा ‘काव्यधारा’ कार्यक्रम के तहत कवि गोष्ठी गूगल मिट के माध्यम से आयोजित किया गया। राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल, राष्ट्रीय मंत्री सह बिहार प्रान्त प्रभारी दिनेश देवघरिया, बिहार प्रान्त अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय, प्रान्त महामंत्री संजीव कुमार मुकेश के अलावे पटना जिला के संयोजक अंकेश कुमार सहित कई युवा व वरिष्ठ कवि शामिल हुए। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल जी ने संस्था के उद्देश्य व आज के साहित्य पर सारगर्भित वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कविता सिर्फ मोनोरंजन का माध्यम नहीं उचित उपदेश के मर्म से युक्त हो। कवि को श्रेष्ठ कहा गया है, कवि पूरे भाषण के तत्व को अपनी चार पंक्तियों के सहजता के साथ रखने की क्षमता रखते हैं। राष्ट्रीय मंत्री व ओज के प्रसिद्ध कवि दिनेश देवघरिया जी ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम का उद्देश्य युवाओं में राष्ट्र जागरण लाना है। कविता इसका सबसे सशक्त व प्रभावी माध्यम है।
प्रान्त अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय ने राष्ट्रीय कवि संगम के आगामी कार्यक्रमों की विस्तृत रूप रेखा से अवगत कराया। प्रान्त महामंत्री संजीव कुमार मुकेश ने कहा कि राष्ट्र प्रेम से बड़ा कोई प्रेम नहीं। राष्ट्र जागरण धर्म हमारा यह मूल मंत्र हर युवाओं तक पहुंचना व उत्कृष्ठ साहित्य से युवाओं को प्रेरित करना हमारा प्रथम लक्ष्य है। राष्ट्रीय कवि संगम कविताओं के माध्यम से युवाओं में राष्ट्रप्रेम का अलख जगा रहा है। राष्ट्रीय कवि संगम से जुड़ना हमारे जैसे कवि को उत्साहित करता है । इस अवसर पर पटना जिला इकाई का पुनर्गठन किया गया जिसमें पटना के अध्यक्ष अंकेश कुमार, महासचिव रवि राज नारायण, संगठन मंत्री हरि शंकर, मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी रतन मेहता को दिया गया है।
दूसरे सत्र में आयोजित काव्यधारा कवि सम्मेलन में रचनाकारों ने कव्यपाठ किया-
प्रदेश महामंत्री संजीव कुमार मुकेश ने राष्ट्र को समर्पित पंक्तियाँ पढ़ी-
शनै: शनै: ठहर-ठहर,
पवन जिसे पुकारता।
है बादलों की ओट से,
गगन जिसे निहारता।
अनेक बोलिया जहाँ, अनेक भूषा-वेश है!
यही तो मेरा देश है…….!
कवि हरि शंकर ने सुनाया-
सपना नहीं, सच जिंदगी, मदमस्त जिंदगी/साँसों के सिलसिले में ही है व्यस्त जिंदगी।
अंकेश कुमार ने ‘नव वर्ष है/नव हर्ष है/नव राग है/नव गीत है/ ..का सुमधुर कव्यपाठ किया। रवि राज नारायण ने सुनाया- सोच रहा हूँ कलम उठा कर लिख दूँ सारे कष्ट अभी/जो न किसी से कह पाता हूँ लिख दूँ दुःख और दर्द सभी। निशि सिंह ने पुरुषों के लिए कहा – हे पुरुष! तेरा जीवन यथार्थ यही/जिम्मेदारी हमेशा तेरा सेहरा बनी/कीर्ति ना कभी किसी ने तेरी गाई है!हे पुरुष! कुमार राहुल ने कहा फ़कीर है ये दुनिया /फ़कीर है ये दुनिया/ये मुझे क्या देगी/बहुत दिया /अब मुझे दगा देगी। श्वेता कुमारी, केशव झा, अनुराग कुमार सिंह, मोती लाल मिश्र, हरि शंकर, संजीव मुकेश, और दिनेश देवघरिया ने अपनी राष्ट्र के प्रति कालजयी रचना सुनाई । अंत में प्रांत अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।