नालंदा – “बहुत सही शिक्षा- नीति” सही शिक्षा के अभाव,विकास में अवरोध और इसके प्रसार की कमी के कारण बदलाव बहुत जरूरी था… अब आगे इसको मानना, लागू करना और इसके तहत चलना हम समस्त नागरिकों, अभिभावकों एवं शिक्षा- संस्थानों के प्रशासन समिति की जिम्मेवारी होनी चाहिए ताकि इस महत्वपूर्ण बदलाव के सही परिणाम भविष्य में दिख सके | “शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ धनोपार्जन, बढ़िया जीवन- शैली( रहन- सहन या पहनावा या खान- पान) और स्टेटस होना संपूर्ण नहीं अपितु हम अभिभावक अपने- अपने बच्चों में संस्कृति, साहित्य, बड़ों,ज्ञानियों एवं बुजुर्गों के सम्मान जैसे आवश्यक भाव बचपन से बो सकें |” शिक्षा सिर्फ धनवान बनने के हिसाब से जरूरी नहीं बल्कि सुशिक्षित बनने के हिसाब से जरूरी है ताकि हम अपने- अपने प्रतिपाल्यों को एक अच्छा इंसान और उन्हें विद्वान बना सकें जिससे वे भी सदैव सर्वोच्च सम्मान के हकदार हो सकें | “आज भी भौतिक युग में आधारभूत जीवन ही अत्यंत जरूरी है वरना प्रकृति अपने हिसाब से खेलेगी ही जैसे अभी “करोना और ब्लैक फंगस” के रूप में खैल रही है |” आज भी “संयुक्त परिवार और पारिवारिक व्यवस्था” उतना ही जरूरी है जितना जीने के लिए आॅक्सीजन… ‘एकल परिवार’ का विपरीत परिस्थितियों में बर्बाद होना ही है, साथ ही बच्चों में बचपन से संपूर्ण स्वच्छंदता पूरे परिवार, समाज और विश्व के लिए भयानक, घातक और नाशक है , जिसके दुष्परिणाम हम सभी को झेलना भी पड़ेगा, आज नहीं तो कल”.. कटु पर सत्य- वचन |
सही शिक्षा के संदर्भ में ध्यानाकर्षण *डॉ. अजित कुमार,
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