● अम्बेडकर भारत का आधुनिक मनु हैं
● अम्बेडकर ने भारतीय गांव को वर्णव्यवस्था का प्रयोगशाला कहा था
● अम्बेडकर ने स्वयं विषपान कर लोगों को अमृतपान कराया
● अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ ने अंबेडकर की 130 वीं जयंती मनाई
बिहारशरीफ,नालंदा 14 अप्रैल 2021 : स्थानीय शहर के अंबेडकर चौक पर आज बुधवार को विश्वविभूति, महामानव, बोधिसत्व, भारत के मसीहा, संविधान निर्माता, सिम्बल ऑफ नॉलेज, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ० भीमराव अम्बेडकर की 130 वीं जयंती पर अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ की ओर से कोरोनावायरस संक्रमण के चलते आपस में शारीरिक दुरी बनाते हुए (कोरोना प्रोटोकॉल के तहत्) विधिवत् कार्यक्रम आयोजित किये गये। जिसकी अध्यक्षता अनुसूचित जाति / जनजाति कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष हेमचन्द्र ने किया।
अनुसूचित जाति / जनजाति कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हेमचन्द्र, सघं संरक्षक हरेन्द्र चौधरी ने बाबा साहेब के प्रतिमा पर माल्यापर्ण व पुष्पांजलि अर्पित की तथा मोमबत्ती प्रज्जवलित कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराया।अध्यक्षीय सम्बोधन में जिलाध्यक्ष हेमचन्द्र ने जिलेवासियों व सभी सदस्यों को संघ की ओर से शुभकामनाएं दी।
अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए अपने सम्बोधन में जिलाध्यक्ष हेमचन्द्र ने कहा कि आज पूरे देश में सामाजिक सद्भावना दिवस मनाया जा रहा है। 20 वीं शताब्दी के श्रेष्ठ चिन्तक, ओजस्वी लेखक, तथा यशस्वी वक्ता एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता हैं। विधि विशेषज्ञ, अथक परिश्रमी एवं उत्कृष्ट कौशल के धनी व उदारवादी, व्यक्ति के रूप में डॉ. आंबेडकर ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। बाबा साहब एक अछूत और मजदूर का जीवन जी कर देख चुके थे, वे कुली का भी काम किए तथा कुलियों के साथ रहे भी थे। उन्होंने भारतीय गांव को वर्णव्यवस्था का प्रयोगशाला कहा था। इस अवसर पर अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ के सचिव भारतेन्दु कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि युगपुरूष, विश्व भूषण, भारत रत्न भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार और महान समाज सुधारक थे। डॉ. भीमराव अम्बेड़कर ने संत गाडगे बाबा, महात्मा ज्योतिबा फुले और संत कबीर की शिक्षा संबंधी सोच को परिवर्तन की राजनीति के केन्द्र में रखकर संघर्ष किया था। वे सामाजिक परिवर्तन के ध्वज बाहक थे।
संघ के संस्थापक सह जिला संरक्षक हरेन्द्र चौधरी ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की सामाजिक एवं आर्थिक सिद्दांत आजाद भारत के लिए आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माता मानवता के मसीहा समाज सुधारक डॉ. भीम राव अम्बेडकर एक राष्ट्रीय नेता थे। वह उच्चवर्गीय मानसिकता को चुनौती देते हुए निम्नवर्ग के लिए ऐसे महान कार्य किये जिसके कारण सारे भारतीय समाज में वे श्रद्धेय है।बिहार अराजपत्रित प्रारम्भिक शिक्षक संघ के राज्य परिषद् सदस्य राकेश बिहारी शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहेब ने जीवन भर तिरस्कार सहने के बाद जब संविधान लिखा तो समाज के सभी वर्ग के लोगों का ध्यान रखने का काम किया। उन्होंने स्वयं विषपान कर समाज के लोगों को अमृतपान कराने का काम किया। संविधान की रचना करने के दौरान उन्होंने अपनी कुंठित भावना को उजागर नहीं होने दिया। इसी का परिणाम है कि जब हिन्दुस्तान में सर्वे कराया गया तो महात्मा गांधी के पश्चात उन्हें दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था। उपाध्यक्ष रमेश पासवान ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारत के प्रमुख विधि वेत्ता, समाजसुधारक थे। सामाजिक भेदभाव व विषमता का पग-पग पर सामना करते हुए अन्त तक वे झुके नहीं। अपने अध्ययन, परिश्रम के बल पर उन्होंने अछूतों को नया जीवन व सम्मान दिलाया। उन्हें भारत का आधुनिक मनु भी कहां जाता है। मौके पर नालन्दा जिला अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष भोला पासवान, बिहार अराजपत्रित प्रारम्भिक शिक्षक संघ के राज्य परिषद् सदस्य राकेश बिहारी शर्मा, प्रो. डॉ. आनंद वर्द्धन, कृष्णदेव चौधरी, प्रभु रविदास, धीरज कुमार, शिवालक पासवान, रंजीत पासवान, कमेशर पासवान, अवधेश चौधरी, उपेन्द्र कुमार, अनिल पासवान, शंभू पासवान, संतोष कुमार, जयप्रकाश, उमेश प्रसाद, योगेन्द्र कुमार, के. के. ब्रह्मचारी, मोअज्ज्म, महेंद्र कुमार, मुन्नी कुमारी समेत तमाम शिक्षक, कर्मचारी नेता भी मौजूद रहे।