सनातन धर्म की पावन नगरी प्राचीन राजगीर के सभी पवित्र पौराणिक कुंड के बंद किये जाने से सनातन धर्मावलंबियों में सरकार एवँ प्रशासन के प्रति काफी नाराजगी है।भारतीय सनातन इतिहास की नगरी और यहां के सांस्कृतिक विरासत ही इस बात के गवाह है कि धर्म की रक्षा संकल्प से ही भारत की शासन व्यवस्था चली है।जिन शासकों ने धर्म के साथ खिलवाड़ किया है,कालांतर में उंन्हे सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।कोरोना संक्रमण के एहतियातन गृह मंत्रालय के आदेशानुसार जारी निर्देशों के आलोक में धार्मिक स्थल राजगीर की सभी कुंड भी बंद कर दिया गया है। गर्म पानी के सभी कुंडों को बंद किये जाने से स्नान लाभ लेने वाले लोग काफी निराश है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजगीर तीर्थधाम क्षेत्र के सभी कुंड में दैवीय वास रहा है जिसमे स्नान से पुण्य की प्राप्ति तो होती ही है, गर्म पानी मे स्नान से अनेकानेक गम्भीर बीमारियों की भी समाप्ति होती है।
एक समय था जब राजगीर में देशी विदेशी पर्यटक कई सप्ताह से लेकर महीने भर राजगीर के होटलों,धर्मशालाओं और किराए के कमरे में रुककर प्रतिदिन गर्म कुंड में स्नान का लाभ लेते हुए कई प्रकार की बीमारियों से निजात पाते थे लेकिन समय का करवट कोरोना काल मे ऐसा बदला की आस्था की डुबकी लगाने वाले कुंड में ही ताला लटका दिया गया। राजगीर सनातन धर्म क्षेत्र के पुरोहितों, पंडा कमिटी के सदस्यों और राजगीर के समाजसेवियों के अनुसार राजगीर कुंड का पानी हर प्रकार के रोगों के इलाज में सक्षम है लेकिन जिस तरह सरकार के द्वारा निर्देश जारी किया गया है,भगवान के दरबार मे भी ताले लटकाने को बाध्य होना पड़ा है।इस बीच सोमवार को चैत्र अमावस्या के अवसर पर कुंड स्नान करने आये श्रद्धालुओं को काफी निराशा का सामना करना पड़ा।राजगीर के स्थानीय महिला पुरुषों के अलावे बड़ी संख्या में विभिन्न जिलों से भी लोग स्नान करने आये थे ,जो कुंड में लटके ताले देखकर काफी निराश हुए।मंगलवार से चैत्र प्रतिपदा में नवरात्रि प्रारम्भ हो रही है।
नवरात्रि से पूर्व घटस्थापना कार्य मे कुंड के जल का प्रयोग किया जाता है। बहुत सारे स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु तब ज्यादा निराश हो गए जब वे सप्तधारा का पानी कलश स्थापना के लिए नही ले सके। ब्रह्मकुंड गेट पर पहुंचे महिला पुरुषों ने कहा कि सरकार का तुगलकी फरमान ही है कि जहां एक ओर राजगीर में ऐश मौज के अड्डे खुले पड़े है वही धर्म कर्म के के केंद्र को बंद कर दिया गया है। सरकार द्वारा ब्रह्मकुंड बंद किये जाने और नेचर सफारी, रोपवे खुला रहने पर श्रद्धालुओं ने चिंता जाहिर की और कहा कि धार्मिक स्थलों पर तालेबंदी विनाश का परिचायक है।