कुमुद वर्मा, अहमदाबाद -सोमवार को पत्रकारिता प्रशिक्षण के प्रथम दिन का आगाज हुआ जिसमे उपस्थिती संख्या 18 थी। इसमें आठ राज्यों से प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। आज के सत्र में ब्यूरो की ओर से कुमुद रंजन सिंह, गीता कौर एवम सुप्रिया सिंह उपस्थित थे। पत्रकारिता से सम्बंधित विभिन्न विषयों की प्रश्नोत्र के रूप में विस्तृत जानकारी दी गई। मुख्य वक्ता के रूप में श्री चन्द्र भूषण मिश्रा “कौशिक” बनारस उत्तरप्रदेश से उपस्थित वक्ता रहे । मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने देव ऋषि नारद मुनि जी का उदाहरण देते हुए पत्रकार को घुमंतु प्रवृत्ति का निडर और निर्भीक रहना, और सत्य की प्रमाणिकता पर आधारित होना बताया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का आयाम, निष्ठा, कार्यशैली, प्रमाणिक होना चाहिए और उस पर आयाम का सर्व मान्य होना भी जरूरी है। पत्रकारिता के विभिन्न स्थितियों में आने वाले चुनोतियों पर भी उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों के प्रश्नों का उत्तर दिया। नारद जी की काल व परिस्थिति के अनुसार जो स्थिती समाज में बना दी गई है, उसका उन्होंने खंडन किया। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के पास सामाजिक, राजनैतिक, व्यावहारिक व आर्थिक दृष्टि से विकल्प उपस्थित है; उसको आत्म बोध की आवश्यकता है। समाज के प्रति निष्ठा और चिंता एक पत्रकार में होनी चाहिए। पत्रकारिता को आज की तारीख में काफी बदनाम किया जा रहा है। विषय और तथ्य का बहुआयामी पक्ष प्रस्तुत करने पर उन्होंने ज़ोर दिया। समाज से पत्रकार का जुड़ाव कम होने के विषय में उन्होंने अपनी चिंता जाहिर की। आम आदमी को पत्रकारिता से जोड़ने की बात पर बल दिया। नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन की सुप्रिया सिंह ने पत्रकारिता से संबंधित विभिन्न प्रश्नों के उत्तर बताए जिससे प्रशिक्षणार्थियों की जानकारी में बढ़ोतरी हुई। सत्र बहुत ही महत्वपूर्ण एवं जानकारी से परिपूर्ण रहा। आज के सत्र का समापन संगठन के राष्ट्रीय महासचिव कुमुद रंजन सिंह वक्तव्य से हुआ। पहला ही सत्र बहुत ही प्रभावशाली रहा।
वही लक्ष्मी दीक्षित/ ग्वालियर मध्यप्रदेश
की कलम से रिपोर्ट
सत्य सत्य है नजरिए का फर्क है
“सत्य सत्य है। ऐसा नहीं है कि मेरा सत्य अलग, तुम्हारा सत्य अलग और किसी और का सत्य अलग। अंतर तो केवल दृष्टिकोण का है।” उपरोक्त कथन बनारस, उत्तर प्रदेश से श्री चंद्रभूषण मिश्र “कौशिक” जी ने राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकार एवम् पत्रकारिता पर कार्य करने वाले संगठन नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मगध समाज कल्याण प्रतिष्ठान के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन मुफ्त पत्रकारिता प्रशिक्षण के दौरान कहे। उन्होंने नारद मुनि का उदाहरण देते हुए कहा कि नारद जी की पत्रकारिता सर्वमान्य थी। जैसे नारद मुनि किसी एक जगह नहीं रुकते थे, समाज के हर क्षेत्र में जाने की उनको स्वीकृति थी वैसे ही एक पत्रकार को खोजी स्वभाव का और सत्य के प्रति निष्ठावान होना चाहिए। वास्तव में नारद जी पत्रकारिता की एक ऐसी विधा हैं जो उसकी प्रामाणिकता देता है। कौशिक जी ने कहा की पत्रकारिता को एक शैली के रूप में अपनाया जाना चाहिए ना कि जीवन यापन के लिए क्योंकि इससे पत्रकारिता का उद्देश्य धूमिल होता है। किसी खबर की प्रमाणिकता के लिए तथ्यों की प्रमाणिकता जरूरी है। बिना तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता पत्रकार को अकेला खड़ा कर देती है। उन्होंने आगे कहा कि एक पत्रकार को स्थान, काल और परिस्थिति को ध्यान में रख कर बोलना चाहिए। एक पत्रकार द्वारा शासन प्रशासन की व्यवस्था की खामियों, भ्रष्टाचार, समाज की कुरीतियों, विसंगतियों, और शोषण पर संग्रहीत की हुई खबर को जब देश के किसी भी अखबार मैं प्रेषित किया जाता है या मीडिया के जरिए दिखाया जाता है तो यह वास्तव में न केवल उस एक पत्रकार की जीत है अपितु पत्रकारिता की अमूल्य कला की जीत है।बता दें, कि नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मगध समाज कल्याण प्रतिष्ठान के सहयोग से आयोजित इस ऑनलाइन मुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिल्ली,उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित देश के 8 राज्यों से प्रतिभागियों का चयन हुआ है। और इसमें प्रथम व्याख्यान श्री चंद्रभूषण मिश्र “कौशिक” जी ने सोमवार को दिया।
राहुल कुशवाहा की रिपोर्ट
पत्रकारिता पर निशान
1. वर्तमान में बिगडा हुआ समाज पत्रकारिता को चुगलखोर और चालूपन कहता हैं इससे इसका संसाधन खराब होता हैं
2. समाज से पत्रकारो का जुडाव कम हो रहा हैं क्योकि समाज स्वंय ही इसे झुठी खबरो का मानक समझ रही हैं
3. पत्रकारों की सुरक्षा का अभाव हैं तभी सच की खोजों में कुछ कमियाँ और हिचकिचाहटे भरी कुछ रुकावटे भी हैं
4. अपने जीवन यापन करने के लिए पत्रकारिता को चुनना बहुत ही खराब निर्णय हैं इससे पुरी पत्रकारिता की शैली पर बुरा प्रभाव पडता है
5. पत्रकारिता में खबरो का संस्कार विहीन नही होना चाहिए
6. पत्रकारिता स्वंय निर्णय नही दे सकती हैं
7. लोकतंत्र में उच्च पद पर जो हैं उनसे पत्रकार घनिष्ठ जुडा हुआ हैं और जिनसे यह जुडा हुआ हैं उसी को हर समय इसने चुना हुआ हैं फिर वो उस समय अपने समाज के प्रति गलत सही की परवाह नही करता है और न ही ऊपरी पद के लोग यह करने देते हैं
पत्रकारिता के सबल पक्ष आयाम या प्रमुख दरें
1. पत्रकार को हमेशा सर्वमान्य होना चाहिए
2. पत्रकारिता में पत्रकारों के विचारों में स्वतंत्रता और सबकी चिंता होनी चाहिए
3. पत्रकार को समाज का एक स्पष्ट दर्पण का प्रतिबिंब बनना चाहिए
4. पत्रकारिता को समाज का सत्य बोध का ज्ञान और पक्षपात विहीन होना चाहिए
5. पत्रकारिता की स्वीकृति, समाज में, समाज से और समाज के लिए होनी चाहिए ताकी समाज में एक पत्रकारिता का आयाम निश्चित ही द्रण खडा रहे
6. पत्रकारिता को हमें एक शैली को रुप में अपनाई जानी चाहिए
7. पत्रकारिता में निष्ठा बहुत जरूरी है बनाना
8. पत्रकारिता में विषय समाज के होते हैं समाज के हित के होते हैं
9. समाज के तमाम घटकों में एक घटक हम पत्रकार भी होते हैं
10. पत्रकार के सवांद में शब्दो की सूझबूझ होनी चाहिए
11. पत्रकार में सामूहिक एकता का संचलन होना चाहिए और एकमत बनाकर खबरों की पद्धती को तैयार करनी चाहिए
12. खबरों में एक संगठन होना चाहिए
13. पत्रकार के पास प्रमाणों के भी तथ्य (सबूत) के माध्यम गुप्त या संकलित होने चाहिए
14. पत्रकारिता में पत्रकार के आयाम
. स्वतंतत्रा और सफलता होनी चाहिए
. पत्रकारिता का सबसे स्वतंत्र कालम होना चाहिए
. पत्रकारिता में पाठक मंच सबसे मजबूत मंच हैं
. सत्य की विधा और सत्य की प्रस्तुती
. पत्रकारिता आयाम निष्ठा, कार्यशैली प्रमाणित आयाम
. पत्रकारिता में स्थान , काल , प्रस्तुती में सही समय पर उच्च शब्दों का निष्ठाधार प्रयोग करना
15. पत्रकार को ज्यादा देर कही रुकना नही चाहिए पत्रकारिता की द्रष्टी में वह स्वंय की मुल्यवान कुछ पत्रकारिता विधाओं से दुर होने लगता है
16. पत्रकारिता जो अब धीरे धीरे अपने बदलाव की ओर जा रही हैं तो हमें उस बदलाव में भी अपनी निष्ठा प्रबल कर वो कार्यशैली में सर्वमान्य होना है
17. पत्रकारिता में पत्रकार को हमेंशा एक एक पक्ष को पकडकना , समझना जरुरी है
18. पत्रकारिता अपने पीछे (खास लोगो का सपोर्ट ) से मज़बूत करके करनी चाहिए