राजगीर से श्याम किशोर भारती की रिपोर्ट – राजगीर नगर परिषद क्षेत्र के विभिन्न कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन में नगर कनीय अभियंता कुमार आनंद की स्पष्ट भूमिका होने के बाबजूद राजगीर नगर परिषद बोर्ड लीपापोती के मूड में है। राजगीर नगर परिषद में कार्यरत कनीय अभियंता के योजनाओं में वितीय घोटाले की लंबी लिस्ट सार्वजनिक होने के बाद भी नगर परिषद बोर्ड के सदस्य इस मामले को झांपने में लगे है।विदित हो कि भारत सरकार द्वारा नगर परिषद राजगीर की ऑडिट रिपोर्ट में विभिन्न महत्वपूर्ण दस्तावेजो के गायब होने के बाद जब स्थानीय स्तर पर इसकी जांच पड़ताल होनी शुरू हुई तो अनेक योजनाओं में घोटाले का पर्दाफाश होना शुरू हुआ। राजगीर नगर परिषद में कार्यरत कनीय अभियंता कुमार आनंद के द्वारा योजनाओं के क्रियान्वयन में शसक्त कमिटी के पारित प्रस्तावों के द्वारा अवैध रूप से निकासी को अंजाम दिया गया।वितीय वर्ष 2018 -19में ही कनीय अभियंता कुमार आनंद के नाम पर ही 72 लाख 28 हज़ार की योजनाओं पर क्रियान्वयन किया गया।
कुछ तो ऐसी योजनायें है जो धरातल पर दिखी ही नही और पैसे भी निकाल लिए गए। मामला तो तब और ज्यादा संदेहास्पद हो जाता है जब वार्ड क्षेत्रो में ऐसे कुकृत्य को अंजाम दिया जाता और क्षेत्र के प्रतिनिधि मामले की जांच भी कराना उचित नही समझे। कनीय अभियंता कुमार आनंद द्वारा नगर परिषद की अध्यक्ष मुन्नी देवी के वार्ड क्षेत्र वार्ड संख्या 18 में बस स्टैंड दुर्गा मंदिर के पास चबूतरा निर्माण का कार्य 5 लाख 92 हज़ार के प्राक्कलन से प्रारम्भ तो हुआ किंतु आजतक चबूतरा दिखता नही है।उसी प्रकार नगर परिषद के उपाध्यक्ष पिंकी देवी के गृह क्षेत्र वार्ड 11में लाखो की राशि से बड़ी मिल्की पिंडा पर चबूतरा निर्माण भी विभागीय कराया गया जो कि धरातल पर हैं ही नही। इतना ही नही वार्ड 11 के ही पछयरिया टोला में शिव मंदिर के पास जलापूर्ति के नाम पर लगभग तीन लाख की अवैध निकासी कर ली गयी।जबकि उक्त स्थान पर पूर्व पार्षद की अनुशंसा पर ही तात्कालीन विधायक द्वारा विधायक फंड से चापाकल गाड़ा गया था और स्थानीय लोगो ने आपस मे चँदा करके उसमें समरसेबुल लगाया था। मलमास मेला 2018 में कुंड क्षेत्र में लगाये गए पानी टँकी को बाद में मन्दिर पर रखकर पाइप जोड़ दिया गया और लाखों की राशि निकाल ली गयी। कनीय अभियंता कुमार आनंद प्राक्कलन घोटाले में काफी मंजे खिलाड़ी है। यही वजह है कि इनके द्वारा जो भी योजना का प्राक्कलन बनाया जाता है उसमें अपने खास संवेदको को विशेष लाभ पहुंचाने के लिए भी योजना को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है,और जमकर कमीशन खोरी की जाती है। नगर क्षेत्र में कुछ योजनाएं तो ऐसी भी है जिसपर काम टेंडर से हुआ बिल भुगतान भी हुआ और उसी योजना पर योजना के नाम मे फ़ेरबदल कर पैसे की निकासी कर ली गयी। कार्यालय सूत्रों की माने तो कनीय अभियंता पार्षदों के साथ साथ पदाधिकारियों को भी मैनेज कर लेते है जिस कारण वरीय अधिकारी बिना योजना की धरातल पर जांच किये बिल का भुगतान कर देते हैं। यही वजह है कि वार्ड संख्या 16 में निर्माण हुआ सामुदायिक सह रैन बसेरा आज भी ढूंढ़ने पर नही मिलता है।
वार्ड संख्या 19 में एन एच 82 से महाराजा होटल के बगल से कनीय अभियंता द्वारा बनाई गई सड़क निर्माण के तीसरे माह में ही ध्वस्त हो गयी। योजना के शिलापट पर वार्ड पार्षद मीरा कुमारी का नाम तो दिखता है लेकिन राशि कितनी खर्च हुई यही नही लिखा गया।ऐसे अनगिनत योजना हजे जहाँ योजना का नाम और राशि गायब है,तो अनेक जगह शिलापट्ट भी नही लगाया गया।कनीय अभियंता की देख रेख क्रियान्वयन होने वाली योजना में गुणवत्ता का अभाव दिखता है।प्राक्कलन के बिल्कुल विपरीत निर्माण कार्य होता है।ऐसे कई योजना है जिसपर नगर परिषद कार्यालय द्वारा बगैर कार्य कराए बिल का भुगतान भी हो गया। जाहिर है कि बंदरबाट के इससे खेल में नगर पार्षदों की भूमिका सवालों के घेरे में है लेकिन जिस तरह नगर परिषद के योजनाओं के क्रियान्वयन में कनीय अभियंता का रोल रहा है,वह सिर्फ सरकार और नगर निकाय के कोष को ही खाली किया जा सकता है,विकास की बढ़ती तस्वीर इससे नही दिख सकती।नगर के विभिन्न वार्डो में नगर प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में है क्योंकि स्वतंत्र नगर निकाय में बोर्ड ही सर्वोपरि है जहां की बोर्ड के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के अलावे सशक्त कमिटी की जवाबदेही ज्यादा महत्वपूर्ण है लेकिन सामान्य सदस्यों द्वारा जब ऐसे गम्भीर मामले में भी आपत्ति उठाने के साथ जाँच और कार्रवाई की माँग नही की जाती है तब कहा जा सकता है कि हमाम में सब नंगे है।राजगीर नगर पंचायत से नगर परिषद में विस्तार और चुनावी उल्टी गिनती के बाद ऐसी योजनाओं की जांच की मांग भी स्थानीय स्तर पर तेज हो गयी है।