बिहारशरीफ:- बिहारशरीफ के दीपनगर में वीरांगाना ऊदा देवी का शहादत दिवस मनाई गई। इस अवसर पर अति पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदेव चौधरी एंव आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)भीम आर्मी (भारत एकता मिशन)के प्रदेश सचिव रंजीत कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि सन 1857 के स्वतंत्रता लड़ाई में वीरांगना ऊदा देवी का भी बड़ा महत्व रहा है।
जिसने अकेले 36 अंग्रेजों को मार गिराया था। ऊदा देवी पासी का जन्म लखनऊ के उर्जारराव गांव में हुआ था। ऊदा देवी को सौर्य और बलिदान की प्रेरणा अपने पति मक्का पासी की शहादत से मिली। यह वह समय था जब 10 मई 1857 को मेरठ के सिपाहियों द्वारा अंग्रेजों के विरोध छेड़ा गया संघर्ष तेजी से पूरे उत्तर भारत में फैलने लगा था। 10 जून 1857 को लखनऊ के करबा चिनहट के पास इस्माइल गांव में हेनरी लॉरेंस के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज की मौलवी अहमदुल्लाह शाह वाली विद्रोही सेना के बीच लड़ाई लड़ी गई थी।
2000 विद्रोही सैनिकों ने लखनऊ के सिकंदराबाद में शरण ले रखी थी। 16 नवंबर 1857 को कॉलिंग कैंपल के नेतृत्व में अंग्रेजी सैनिकों ने एक सोची समझी राजनीति के तहत सिकंदराबाद की उस समय घेराबंदी की जिस समय सैनिक सो रहे थे। ऊदा देवी के नेतृत्व में वारिश शाह की स्त्री सेना भी इसी बाग में सो रही थी। असावधान सैनिकों की वेरहमी से हत्या करते हुए अंग्रेजी सेना तेजी से आगे बढ़ रही थी।पराजय देख ऊदा देवी पुरुष की वर्दी पहनकर हाथों में बंदूक एवं कंधों पर गोला बारूद लेकर एक ऊंचे पीपल के पेड़ पर चढ़ गई और 36 अंग्रेजों सैनिकों को मौत के घाट उतार दी और ऊदा देवी अंग्रेजों से लड़ते हुए 16 नवंबर 1857 को शहादत दी। इस मौके पर सभी उपस्थित ने शपथ लिए कि इनसे सीख लेने की जरूरत है और समय पड़ने पर मातृभूमि के लिए स्वयं को न्योछावर कर देंगे। इस अवसर पर रविंद्र चौधरी विशेश्वर चौधरी किरण देवी महेंद्र पासवान राजकुमार चुन्नू कुमार प्रदीप कुमार शक्ति कुमार आदि लोग उपस्थित थे।