अति पिछड़ा पदाधिकारी कर्मचारी कल्याण समिति की वार्षिक अधिवेशन जगजीवन राम शोध संस्थान पटना में आयोजित की गयी। अधिवेशन की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष डॉ० बीरेन्द्र कुमार ठाकुर एवं संचालन समिति के संयोजक विजय कुमार चौधरी ने किया। अधिवेशन में मुख्य वक्ता के रूप में अति पिछड़ा वर्ग आयोग बिहार के वर्तमान अध्यक्ष श्री नवीन कुमार आर्य, बिहार लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य प्रो० डॉ० शिव जतन ठाकुर एवं बिहार लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य श्री अशोक कुमार शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रहे। मौके पर बिहार लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य प्रो० डॉ० शिव जतन ठाकुर ने कहा कि आज हमारा समाज अन्य समाज के मुकाबले अति पिछड़ा हुआ है। हमारे समाज द्वारा किया जाने वाला कार्य भी बंद हो चुका है। समाज के लोगों द्वारा बच्चों को शिक्षा नहीं दिलाने के कारण समाज पिछड़ता जा रहा है। किसी भी समाज के उत्थान के लिए उनके बच्चों का शिक्षित होना आवश्यक है। उन्होंने समाज के बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाने का आहवान किया।
मौके पर नवनिर्वाचित कार्यकारणी सदस्य राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 204 जातियां होने की सूची पटना सहित सभी जिलों को उपलब्ध कराई गई थी। सामान्य प्रशासन विभाग के सरकारी दस्तावेज में दर्ज जातियों की संख्या के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग में 22, अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में 32, पिछड़ा वर्ग में 30, अत्यंत पिछड़ा (ईबीसी) वर्ग में सबसे ज्यादा 114 और उच्च वर्ग में सबसे कम 7 जातियां यहां निवास करती हैं।
बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों की संख्या 114 है।जो अलग-अलग जिलों में इनकी मौजूदगी है, जो की सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिये पर है। मौके पर अति पिछड़ा वर्ग आयोग बिहार के वर्तमान अध्यक्ष श्री नवीन कुमार आर्य ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग की टीम जब जिलों की यात्रा करेगी और अति पिछड़ा वर्ग की सभी जातियों से मिलकर बात करेगी, और यह आंकड़ा भी जुटाएगी कि किस-किस जाति के लोग किस स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक रूप से सशक्त हुए हैं और सरकार को बताने का काम किया जाएगा।
मौके पर अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉ० बीरेन्द्र कुमार ठाकुर ने कहा कि देश में जाति आधारित जनगणना 1931 के बाद से नहीं हुई है। आजादी के बाद से देश में अनुसूचित जाति और जनजातियों की गणना तो होती है, लेकिन ओबीसी और सामान्य वर्ग की जातियों को अलग-अलग नहीं गिना गया है। फिर भी अनुमानत: ओबीसी जातियों की संख्या 50 फीसदी के आसपास है। जाति गणना को अनदेखा करने के पीछे असल भय राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में ऊंची और प्रभावशाली जातियों का वर्चस्व छिनना है और संख्याधारित आरक्षण के आगे योग्यता के मूल्य का हाशिए पर जाने का है। इसका अर्थ यह नहीं कि ओबीसी में योग्य लोग नहीं हैं। वहां भी हैं, लेकिन अभी भी उच्चतम पदों और जिम्मेदारियों को संभालने वालों में ऊंची जातियां ही हावी हैं। नव निर्वाचित महासचिव सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि हमारा समाज पिछड़ा हुआ है। समाज का पिछड़ापन दूर करने के लिए अपने बच्चों को शिक्षित करें। शिक्षा से ही समाज का विकास व पिछड़ापन दूर हो सकता है। मौके पर नव निर्वाचित अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार सहनी ने कहा कि पदाधिकारी और कर्मचारियों की समस्याओं को दूर करने का काम किया जाएगा और उसके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए रणनीति बनाया जाएगा।
अधिवेशन में वक्ताओं ने समिति के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और अपने शक्ति के अनुसार सहयोग देने की बात कही। आज के अधिवेशन में नये कार्यकारिणी का चुनाव हुआ। पूर्व अध्यक्ष डॉ० बीरेन्द्र कुमार ठाकुर एवं महासचिव श्री सुरेश कुमार शर्मा, एवं उनके कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा अति पिछड़ा वर्ग के पदाधिकारी / कर्मचारी के विकास के लिए किये गये कार्यों की प्रशंसा की गयी तथा उनके द्वारा आयोजित सेमिनारों के लिए उन्हें कृतज्ञता अर्पित किया गया।स्वागत भाषण डॉ० दिलीप कुमार पाल ने किया एवं डॉ० विनोद पाल ने उनके द्वारा किये गये कार्यो का उल्लेख किया।
आम सभा में उपस्ति सदस्यों ने सर्वसम्मति से नये कार्यकारिणी का गठन किया, जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रो० अनिल कुमार सहनी, महासचिव श्री सुबोध कुमार सिंह एवं कोषाध्यक्ष श्री नागेन्द्र सहनी के नेतृत्व में नालन्दा के नवनीत कृष्ण, रणजीत कुमार स्नेही, शैलेंद्र कुमार वरीय लेखा पदाधिकारी भारतीय रेल,दीपक कुमार, छोटेलाल अवकाश प्राप्त पंचायत सचिव नालंदा, मुरारी प्रसाद, राकेश कुमार, विधानसभा सहायक दीपक कुमार सहित 51 सदस्यीय कार्यकारिणी गठन की गई एवं भविष्य में पदाधिकारी / कर्मचारी की हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उठाने का निर्णय लिया गया। धन्यवाद ज्ञापन श्री ललन भक्त ने किया। विनोद बिहारी मण्डल, पूर्व संस्थापक महासचिव ई० अजय कुमार एवं पूर्व अध्यक्ष डॉ० कामेश्वर पंडित ने समिति को आगे बढ़ाने के लिए विचार व्यक्त किये। साथ ही डॉ० अभिनव विकास, प्रो० मुकेश कुमार बोस, रीतेश कुमार, ई० अजय रत्नागर, डॉ० महाकान्त मंडल, मुकुल ठाकुर, राजेन्द्र सहनी आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।