युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।
अर्थात् उस पुरुष के लिए योग दु:खनाशक होता है, जो युक्त आहार और विहार करने वाला है, यथायोग्य चेष्टा (कर्म) करने वाला है और परिमित शयन और जागरण करने वाला है।
वास्तव में आज का दिवस सम्पूर्ण भारतीयों के लिए गौरवपूर्ण दिवस है तथा गौरवान्वित होने का अहसास ही मन को प्रफुल्लित कर देता है। आज डी. ए. वी. पावर ग्रीड कैम्पस विहार शरीफ के प्रांगण में सभी शिक्षकों एवं छात्रों के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। विद्यालय के प्राचार्य श्री वी. के. पाठक भी कार्यक्रम में शुरू से अन्त तक उपस्थित रहे ।
अपने स्वागत संदेश में प्राचार्य श्री वी. के. पाठक ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग एक स्वस्थ शरीर और शांतिपूर्ण मन को प्राप्त करने का प्रमुख साधन है लेकिन योग जीवन में अनुशासन के साथ होना चाहिए। योग और अनुशासन में अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है। यह तनाव और चिंता से शरीर को मुक्त करने में मदद करता है। श्रीमद्भागवदगीता का कथन है “योगः कर्मसु कौशलम्“ अर्थात योग के माध्यम से हमारे कार्यों में कुशलता आती है । अतः हमें अपनी दिनचर्या में योग को जरूर शामिल करनी चाहिए ।
पी ई टी श्री एस. के. मंडल के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया । वे कहते हैं कि योग लचीलेपन, मांसपेशियों की ताकत और शरीर की क्षमता व सुन्दरता को बढ़ाने में मदद करता है। यह श्वसनतंत्र, शारीरिक ऊर्जा और जीवन शक्ति में सुधार लेने का कारगर उपाय है। श्री मंडल ने कुशलता पूर्वक योगासन एवं प्राणायाम से छात्रों एवं शिक्षकों को अवगत कराया ।
विद्यालय के प्राचार्य श्री वी. के. पाठक की सौम्य उपस्थिति में शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।