नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा नई दिल्ली एवं सर्कल थिएटर एवं एजुकेशन फोरम पटना के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय बिहार पब्लिक स्कूल के प्रांगण में एक माह से चल रहे 30 दिवसीय प्रस्तुति नाट्य कार्यशाला का समापन बुधवार की शाम स्थानीय कर्पूरी भवन (टाउन हॉल) में ” अपनी अपनी” पत्नियों का सांस्कृतिक विकास कहानी पर आधारित नाटक के मंचन से हुआ। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन सिने अभिनेता विनोद राई एवं बिहार पब्लिक स्कूल के निर्देशक अनिल सिन्हा द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। वहीं इस अवसर पर सिने अभिनेता विनोद राई एवं बिहार पब्लिक स्कूल के निर्देशक अनिल सिन्हा को सर्कल थिएटर इन एजुकेशन फॉर्म द्वारा मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।इस मौके पर कार्यशाला निर्देशक विनोद राई ने कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नवोदित सांस्कृतिक संस्था सर्कल थिएटर एजुकेशन फॉर्म का उद्देश्य गौरवशाली नालंदा जिला के बिहार शरीफ में रंगमंच का प्रचार प्रसार करना एवं छुपी हुई प्रतिभाओ को उभारना है।
वर्तमान समय में यह क्षेत्र रंगमंच से विलग है। यद्यपि किसी समय नाटय कला को पर्याप्त संरक्षण मिलता था परन्तु वर्तमान समय में यह कला विलुप्त हो रहा है। यहां की कई लोक नाट्य शैलियां हैं जो विलुप्त होने के कगार पर है।उन नाटय शैलियों को संरक्षित करना चाहते हैं। इसी उद्देश्य को लेकर राष्ट्रीय नाटय विद्यालय नई दिल्ली के सौजन्य से बिहार शरीफ में नाटय कार्यशाला का आयोजन किया गया। तथा प्रसिद्ध लेखक असगर वजाहत की कहानी अपनी अपनी पत्नियों का सांस्कृतिक विकास पर आधारित नाटक की तैयारी कराया गया।इस नाटक में कलाकार के रूप में तेजस्वी सुमन ,अनुभव कुमार ,अनुराधा कुमारी, ज्योति कुमारी ,राज लक्ष्मी, मनीष कुमार, स्वेच्छा भूषण,माही राज, इरशाद आलम,रवि कुमार ,सागर कुमार सोनी,साहिल कुमार , अविनाश कुमार एवं क्रिस्टल सरकार ने सशक्त अभिनय कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
नाटक की प्रकाश परिकल्पना राहुल कुमार रवि की थी। हारमोनियम पर रोहित कुमार तथा नाल वादक धीरज दास थे।रुप सज्जा जितेन्द्र कुमार जीतू ने किया। वहीं प्रिंटिंग प्रभार जफर आलम का था। सहायक निर्देशक की भूमिका अंजारूल हक ने निभाई तथा संगीत , परिकल्पना एवं निर्देशक की भूमिका विनोद राई ने निभाई। सहायक निर्देशक अंजारूल हक ने बताया कि इस नाटक में लेखक अपने मित्रों के सहयोग से एक फिल्म बनाने के लिए किसी कस्वे में जाता है और उसे एक महिला की जरूरत होती है जो नायिका की मां की भूमिका अदा कर सके। उन्होंने एक प्रगतिशील महिला के बारे में पता चलता है जो कविताएं लिखती है ड्रामा कराती है, भाषण देती है, महिला क्लब चलाती है और मर्दों से बिना सिर पर पल्लू डाले खुलकर बात करती है।वे उसके पास जाते हैं लेकिन उस महिला का पति अपनी पत्नी को फिल्म में काम करने हेतू राजी नहीं होते हैं।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रशिक्षु कलाकारों को सिने अभिनेता विनोद राई ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा नई दिल्ली द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया तथा कार्यक्रम के आयोजन में सराहनीय सहयोग के लिए बिहार पब्लिक स्कूल के निर्देशक अनिल सिन्हा की भूरि भूरि प्रशंसा की वहीं दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त किया।