बिहारशरीफ:- नालंदा जिला के प्रखंड राजगीर स्थित संत कबीर चौरा मठ गोलाघाट में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सह माता वीरांगना ऊदा देवी की चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए हर्षोल्लास के साथ जयंती मनाई गई। राजगीर के संत कबीर चौरा मठ गोलाघाट में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की स्थापित प्रतिमा पर बिहार सरकार के अनुसूचित जाति /जनजाति आयोग के अध्यक्ष शंभू कुमार सुमन ने माल्यापन एवं पुष्प अर्पित किए।
इस मौके पर बिहार सरकार के अनुसूचित जाति/ जनजाति आयोग के अध्यक्ष शंभू कुमार सुमन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान प्रदेश महासचिव बलराम दास ने संयुक्त रूप से कहा कि स हृदय नेता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में स्थित महू छावनी में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का पिताजी का नाम रामजी सकपाल एवं माता रमाबाई था। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर लोकप्रिय भारतीय बहुज्ञ विधिवेर्ता अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने अनुसूचित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों को सामाजिक भेदभाव अभियान चलाया था।
श्रमिकों किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। इन्होंने भारत की संविधान की रचना कर भारतवर्ष में गुलामी की मुक्ति का शंखनाद किया था। यह महज संयोग है कि सामाजिक क्रांति के योद्धा ज्योति राव फुले की 1891 में मृत्यु के उपरांत भारतवर्ष में दूसरे सामाजिक योद्धा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था सबसे बड़े सामाजिक क्रांति के नायक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक विषमता जात पात एवं वर्ण-व्यवस्था का कड़वा जहर पीकर उच्च शिक्षा हासिल किए भारत के प्रथम विधि एवं श्रम मंत्री के रूप में श्रमिकों एवं नारियों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। महिलाओं की दासता से मुक्ति से संबंधित विधेयक ‘हिंदू कोड बिल’ के भारतीय संसद से पारित नहीं होने के खिलाफ उन्होंने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की सिफारिश पर 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई।देश से भ्रष्टाचार खत्म करने हेतु प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर करेंसी को बदल देना चाहिए उनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हो गई थी आज अमेरिका सहित 192 देशों में अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने कहा कि माता वीरांगना ऊदा देवी पासी का जन्म लखनऊ के उजरियाव गांव में हुआ था। इनका विवाह मक्का पासी के साथ हुआ था। ऊदा देवी को शौर्य और बलिदान की प्रेरणा अपने पति मक्का पासी की शहादत से मिली, यह वह समय था जब 10 मई 1857 को मेरठ के सिपाहियों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध छेड़ा गया संघर्ष तेजी से पूरे उत्तर भारत में फैलने लगा था।10 जून 1857 को लखनऊ के करवा चिनहट के पास इस्माइलगंज में हेनरी लॉरेंस के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज की मौलवी अब्दुल्लाह शाह की अगुवाई वाली विद्रोही सेना के बीच लड़ाई लड़ी गई थी। 2000 विद्रोही सैनिकों ने लखनऊ के सिकंदराबाद में शरण ले रखी थी। 16 नवंबर 1857 को कॉलिंग कैंपल के नेतृत्व में अंग्रेजी सैनिकों ने एक सोची समझी राजनीति के तहत सिकंदराबाद की उस समय घेराबंदी की जिस समय सैनिक सो रहे थे।
ऊदा देवी के नेतृत्व में बारिश शाह की स्त्री सेना भी इसी बाग में सो रही थी। आसावधान सैनिकों की बेरहमी से हत्या करते हुए अंग्रेजी सेना तेजी से आगे बढ़ रही थी। पराजय देख ऊदा देवी पुरुष की वर्दी पहनकर हाथों में बंदूक एवं कंधों पर गोला बारूद लेकर एक ऊंचे पीपल के पेड़ पर चढ़ गई और 36 अंग्रेजी सैनिकों को मौत के घाट उतार दी और उस लड़ाई में लड़ते हुए खुद शहीद हो गई। ऊदा देवी अनुसूचित परिवार में जन्म लिए के कारण इतिहासकारों ने इनके साथ दुर्व्यवहार किया और इनके इतिहास को छुपाने का काम किया।
इस मौके पर जिला उपाध्यक्ष उमेश पंडित जिला परिषद सदस्य अनीत गलहौत सूरज प्रताप कोहली छोटेलाल दास दिलीप कुमार चौहान महंत विजय दास बाले दास आदि लोग उपस्थित थे।द