Monday, December 23, 2024
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बजट से हर वर्गों के न्याय के साथ विकास के कारवां को मिलेगी रफ्तार

आम लोगों को बेरोजगार युवाओं छात्रों महिलाओं को ध्यान में रखकर यह बजट पेश की गई है। महिलाओं और युवाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने जो युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था इसे भी इस बजट में शामिल किया गया है सभी विभागों में 63900 पदों का सृजन कर दिया गया है।किसानों मध्यमवर्गीय वह सरकारी कर्मचारियों के लिए भी बजट में विशेष ध्यान दिया गया है क्योंकि किसान ही हमारे देश के अन्नदाता होते हैं और युवा देश के भविष्य दोनों के आत्मनिर्भर बनने से राज्य विकास के पटरी पर इस तरह दौड़ेगी जिसे देखकर विपक्ष की बोलती बंद हो जाएगी न्याय के साथ विकास की यात्रा को और तेजी से बढ़ाने को लेकर सरकार कार्य कर रही है राज्य में कृषि स्वास्थ्य शिक्षा और उद्योग आदि क्षेत्र में खूब कार्य किए जा रहे हैं जिसका ही सुखद परिणाम है कि आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के सकल घरेलू उत्पाद में राष्ट्रीय औसत से भी अधिक वृद्धि हुई है ।जी एस डी पी राष्ट्रीय औसत वर्ष 2021-22 10.98 %बिहार का औसत है जबकि केन्द्र सरकार 8.68% का है। वार्षिक आय बढ़ रही है कर्जा घट रहा है। बजट सभी वर्गों को ध्यान में रखकर बनाया गया है विगत चुनाव में हर खेत को पानी के वादों को मूर्त रूप देने का काम किया जा रहा है। बिहार की कई योजनाओं का अनुसरण देश की सरकार कर रही हैं।हर घर नल का जल योजना 2016 में बिहार में चालू हुई जबकि केन्द्र सरकार ने 2019 से प्रारंभ की वैसी ही जीविका का आरंभ बिहार में 2007 में हुई जबकि केन्द्र सरकार ने उसका नाम परिवर्तन कर आजिविका का नाम देकर 2011 में प्रारंभ की ।हर घर बिजली नवंबर 2016 को बिहार में प्रारंभ हुई जबकि 2017 में केंद्र सरकार ने लागू किया है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने जल जीवन हरियाली योजना की शुरुआत की जिसकी प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र संघ ने करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने को लेकर बिहार सरकार का सराहनीय पहल है। बिहार की सरकार बोलने में कम और काम करने में ज्यादा विश्वास रखती है वहीं केंद्र की सरकार जुमलेबाजी कर लोगों को ठगने दिग्भ्रमित करने का काम कर रही है देश में महंगाई बेरोजगारी का बुरा हाल है। लगातार उद्योगपतियों के कर्जे को माफ किया जा रहा है और किसानों के कर्ज पर विचार तक नहीं किया जा रहा है।किसान बेहाल है उद्योगपति मालामाल है।

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