Saturday, July 5, 2025
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आज दिनांक 10 फरवरी 2021 दिन बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मदन मोहन झा के निर्देश पर नालंदा जिला के सभी प्रखंडों पर कांग्रेस पार्टी की ओर से  किसानों के प्रति श्रद्धांजलि सभा सह एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया | इसी क्रम में बिहार शरीफ प्रखंड कार्यालय पर नगर अध्यक्ष महताब आलम गुड्डू के अध्यक्षता में एवं बिहार शरीफ ग्रामीण के अध्यक्ष रंजीत कुमार पांडे जी के संचालन में एक दिवसीय धरना सह श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया | धरना स्थल पर धरने को संबोधित करते हुए पार्टी के जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा कि यह धरना मुख्यतः ढाई महीने से चले आ रहे किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली के बॉर्डर समेत पूरे देश में आंदोलनकारी जो किसान मृत एवं हताहत हुए उनको श्रद्धांजलि देते हुए किसानों के खिलाफ जो तीन काला बिल लाया गया है उसके खिलाफ एवं किसानों के समर्थन में एक दिवसीय धरना दिया गया है |आज जिस तरह से वर्तमान में मोदी सरकार किसानों पर जुल्म ढाने में लगी हुई है, पूरे देश की जनता उन्हें देख रही है की हमारी सीमाओं पर भी इतनी व्यवस्था नहीं की गई है जितनी व्यवस्था आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए यह दमनकारी सरकार कर रही है | सड़कों को काटकर लोहे के बड़े-बड़े किल बिछाए जा रहे हैं सीमेंट और कंक्रीट से बने हुए बड़े-बड़े स्लैब  सड़कों पर लगाए जा रहे हैं,आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं | ठंड में भी ठिठुरते हुए किसानों पर ठंडे पानी की बौछार की जा रही है, उसके बाद भी हमारे देश के किसान आंदोलन पर डटे हुए हैं। जिला कांग्रेस कमिटी नालंदा उन आंदोलनकारी किसानों को सलाम करती है, साथ ही सभी किसानों से आवाहन भी करती है कि अपनी एवं अपने परिवार की खातिर देश की खातिर आंदोलन में सहयोग करें एवं इस किसान काला बिल को वापस करवाने में आंदोलनकारियों की मदद करें | यह सभी जानते हैं कोरोना-काल में ही बिना सदन की बैठक बुलाए इस बिल को पास किया गया है |

कांग्रेस पार्टी ने किसानों के प्रति श्रद्धांजलि सभा सह एक दिवसीय धरना

यह कौन सा ऐसा देश पर विपत्ति को आने से रोकने वाला बिल था, जिसे बिना सदन में वोटिंग कराए पास कराया गया | कहीं न कहीं यह सरकार की दमनकारी नीति को दर्शाता है, साथ ही उन्होंने तीनों बिल को बारीकी से समझाते हुए बताया कि पूर्व में बिचौलियों और कालाबाजारियों के द्वारा जो अनाज का भंडारण किया जाता था, उस पर मुकदमा होता था, केस मुकदमे के डर और पकड़े जाने  के डर से लोग भंडारण और कालाबाजारी नहीं करते थे | आज सरकार के द्वारा जो बिल लाया गया है, उसमें  यह सब दर्शाया गया है कि आप जितनी कालाबाजारी करके अनाज रख सकते हैं रखिए, कोई केस मुकदमा नहीं होगा | इससे साफ पता लगता है कि कहीं न कहीं बड़े पैसे वालों और कॉर्पोरेट जगत  को जमाखोरी के लिए यह बिल लाया गया है | आज किसान और हमारे पशु पालक यह देख रहे हैं कि उनके द्वारा 30 से ₹32 किलो दूध खरीद कर बड़े-बड़े डेरी प्रोजेक्ट के लोग उसे बाजार में ₹52 किलो बेच रहे हैं जबकि पशु पालक किसानों का दूध का लागत मूल्य भी ₹32 से ऊपर है | आज पशु पालक भी बर्बाद हो रहे हैं | ठीक इसी तरह से कल किसानों के द्वारा उपजाए हुए अनाज को यही कॉरपोरेट 15 से ₹20 किलो लेकर उसे खुले मार्केट में 90 से ₹100 किलो बेचने की तैयारी कर रहे हैं | जिसे हमारे अन्नदाता समझ चुके हैं, और हद तो तब हो गई जब इसकी प्लानिंग पूर्व से ही वर्तमान की सरकार के द्वारा बड़े-बड़े कॉरपोरेटरों को सैकड़ों एकड़ जमीन गोडाउन बनाने के नाम पर कौड़ी के दाम में दे दिया गया | जिला अध्यक्ष ने बिहार की भी चर्चा करते हुए कहा कि यहां पूरे बिहार में पैक्स के नाम पर लूट मचा हुआ है | सभी जानते हैं कि बिहार में 80% किसान अपनी खेती खुद नहीं करते हैं, बल्कि खेती करने वाले किसान गरीब मजदूर कोई और है | उनका उपजाया हुआ अनाज आज  कोई पैक्स  नहीं ले रहे हैं, बल्कि जमीन मालिक से खेत का रसीद ले लेकर उन्हें दस पाँच हजार रुपए  का लालच देकर उनके नाम पर सिर्फ कागज पर धान की खरीद कर बीच का पैसा बिचौलियों में बाँटा जा रहा है | उन्होंने कहा  मैं जिलाधिकारी से मांग करता हूं साथ ही माननीय मुख्यमंत्री जी  से भी मांग करता हूं की इस आशय की सही सही जांच करवा लें आपको सारा दूध का दूध और पानी का पानी नजर आ जाएगा | सही मामले में जो किसान अनाज उपजाए हैं उनके अनाज को आज 13 सौ रुपए क्विंटल में व्यापारी उनके घर और खेत खलियान जाकर ले रहे हैं, जो उनके लागत मूल्य से भी कम है | अतः किसानों के द्वारा एम एस पी का किया जा रहा मांग पूर्णरूपेण सही है | यह कैसी विडंबना है किसानों के द्वारा उपजाया गया आलू बेचकर भी  किसान कंगाल हैं, और उस आलू से ₹5 किलो आलू खरीद कर ₹2000 किलो आलू का चिप्स बनाकर बेचने वाला कॉरपोरेट मालामाल है | यह किसानों के लिए बहुत बड़ी समस्या पैदा कर रही है | सरकार को यह सोचना चाहिए कि कहीं ऐसा ना हो कि अन्नदाता अगर अन्न उपजाना छोड़ दे तो देश में खाने के भी लाले पड़ जाएंगे और देश गृह युद्ध की राह पर चल पड़ेगा | आज वर्तमान की सरकार अपने पिछले सारे वादे को भूल रही है, जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तो उस समय के तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष के द्वारा दिया गया बयान एवं मोदी जी के द्वारा दिया गया बयान कि आंदोलन करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है | आंदोलन होना चाहिए लेकिन आज जब उनकी सरकार है तो कारपोरेट के चक्कर में पड़ कर किसानों गरीबों मजदूरों बेरोजगारों को दबाने में लगी है | और तो और सही मायने में जो आज आंदोलन हो रहा है उन आंदोलनकारियों को देशद्रोही कहने का काम भाजपा के सांसद और विधायक करने में लगे हैं, जबकि उन्हें अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए कि वह भी कहीं न कहीं किसी रूप में किसानी से जुड़े हुए हैं | खेती से ही उनका भी जीवन यापन बसर होता आया है | आज भले ही वह सांसद और विधायक और मंत्री हैं पूर्व में उनके पूर्वज कहीं न कहीं खेती बारी से जुड़े हुए थे | अंत में उन्होंने इस धरने को सफल बताते हुए आगे की रूपरेखा भी तय करते हुए कहा कि अगर किसान कानून बिल को वापस नहीं लिया जाता है, तो जिला कांग्रेस नालंदा उग्र आंदोलन का रूप अख्तियार करेगी इस धरना कार्यक्रम में युवा अध्यक्ष उदय कुशवाहा, प्रवक्ता मुन्ना पांडे, बिहार शरीफ नगर 2 के अध्यक्ष शकील देशनबी, सोशल मीडिया अध्यक्ष फवाद अंसारी, जिला कोषाध्यक्ष ताराचंद मेहता नंदू पासवान राजीव रंजन गुड्डू हाफिज महताब आलम राजीव रंजन कुमार मोहम्मद सैफूल ,एजाज अहमद मोहम्मद मुन्ना मोहम्मद गुड्डू के अलावे दर्जनों की संख्या में मौजूद थे |

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