Monday, December 23, 2024
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विज्ञान आविष्कार किया लेकिन संविधान ने चमत्कार किया : आलोक

बामसेफ (बैंकवर्ड एंड माइनोरिटी कम्युनिटी इम्पलॉयज फेडरेशन) की बैठक जिला कार्यलय बिहारशरीफ के सिंगारहाट मोहल्ले में राज्य परिषद सदस्य डॉ. राजीव रंजन की अध्यक्षता में हुई। जबकि संचालन जिला सचिव मो. जाहिद हुसैन ने किया।

बैठक में गम्भीरता पूर्वक चर्चा करते हुए संगठन के मीडिया प्रभारी साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि बामसेफ एक विचारधारा है, जिसे माननीय कांशीराम ने अनुसूचित जाति,जनजाति तथा ओबीसी समाज को जोड़ने के लिए बनाया था। उनकी विचारधारा के बूते पर ही आज बहुसंख्यक समाज के लोग बडे़ पदों पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा- बामसेफ के लोग तत्परता से अनुसूचित जाति, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक कर्मचारियों को प्रखंड एवं ग्राम स्तर पर बामसेफ से जोड़ने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा- मनुवादियों ने 90 प्रतिशत बहुजनों को धन, धरती, सत्ता आदि से वंचित कर दिया है। उन्होंने कहा- जाति की नहीं जमात की बात करो, कास्ट की नहीं क्लास की बात करो और एससी/एसटी/ओबीसी को जोड़कर मूलनिवासी बहुजन बनो।

विज्ञान आविष्कार किया लेकिन संविधान ने चमत्कार किया : आलोक

मौके पर मंच संचालन करते हुए संगठन के जिला सचिव मो. जाहिद हुसैन ने कहा कि बामसेफ का हरेक कार्यकर्ता केवल बामसेफ के विचारधारों को बढ़ाने का कार्य नहीं करता है बल्क़ि गरीब-गुरबों को विकास के मुख्य धारा में जोड़ने का काम करती है। उन्होंने सभी को आपस में भाईचारा बनाए रखने वाली सर्वजन हिताय की धारणा मजबूत करने पर भी जोर दिया। और संगठन की मजबूती पर बल देने की अपील की।

बैठक में अध्यक्षता करते हुए बामसेफ के राज्य परिषद् सदस्य ख्याति प्राप्त शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि मान्यवर कांशीराम जी ने वंचित समुदायों के शिक्षित व सरकारी कर्मचारियों को जोड़ाकर बामसेफ की नींव रखी थी, जिसका मकसद समता आधारित शासन व्यवस्था और आर्थिक गैर-बराबरी मिटाने के लिए व्यवस्था परिवर्तन था।

मौके पर मू. हरेन्द्र चौधरी ने कहा कि पिछले 40-45 वर्षों में बामसेफ के सांगठनिक ढांचे में कई बदलाव हुए हैं फिर भी आज देश में यही एकमात्र ग़ैर राजनीतिक, ग़ैर अनशनात्मक एवं ग़ैर धार्मिक संगठन है जो 1978 में अपनी औपचारिक स्थापना के बाद से लगातार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जातियों तथा धर्मान्तरित अल्पसंख्यक समाजों के सरकारी कर्मचारियों को संगठित करने में लगा हुआ है। 1978 के पहले पिछड़ी जातियों का एक भी पार्टी नहीं बनीं थी 1984 के बाद जाति सूचक संगठनों का निर्माण होने लगा।

मौके पर बिहार बामसेफ प्रदेश अध्यक्ष मू. आलोक कुमार ने संविधान पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि विज्ञान आविष्कार किया लेकिन संविधान ने चमत्कार किया। हमारी सामाजिक समस्या जाति व्यवस्था है। यदि हमें यह पता हो जाये की जाति व्यवस्था कैसे पैदा हुयी है तो हमको इसको समाप्त करने का उपाय भी मिल जायेगा। विदेशी आर्य के आगमन से पूर्व हमारे समाज के लोग प्रजातांत्रिक एवं स्वतंत्र सोच के थे और उनमे कोई भी जाति व्यस्था नहीं थी।

सब मिलकर प्रेम एवं भाईचारे के साथ रहते थे। आपसी फुट डालने के लिए आर्यों ने मूलनिवासियो को 6743 टुकडो में तोड़ा और उनमे श्रेणीबद्ध असमानता का सिधांत अर्थात जाति व्यवस्थाका सिद्धांत लागु किया और मानसिक रूप से गुलाम बनाया। इतिहास हमें यही बताता है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक आपस में ऐतिहासिक रूप से भाई-भाई है। सभी इस देश के मूलनिवासी है। विरोधियों ने हमें कई छोटे-छोटे टुकडो अर्थात छोटी-छोटी जातियों में तोडा और हमारी मूल पहचान मिटा कर अपने साथ अपमान जनक पहचान के साथ जोड़ा। हमारे महापुरुषों ने हमें फिर से हमें उनसे अलग करके, एक नाम एवं एक सम्मानजनक पहचान के साथ पुनः आपस मे जोड़ा। तथागत बुद्ध ने सबसे पहले हमें बहुजन पहचान के नाम से जोड़ा।

फिर संत रैदास, संत कबीर, गुरु नानक, गुरु घासीदास, नारायण गुरु ने आर्यों (ब्राह्मण वाद) से मुक्ति के लिए मुक्ति आन्दोलन चलाया और मूर्तिपूजा, बहुदेव वाद, कर्मकांड, तीर्थ व्रत एवं पाखंड के स्थान पर एक देव जो अदृश्य (निराकार) है के नाम पर जोड़ा। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने आर्यों द्वारा तोड़े गए 6743 टुकडो को संबिधान के माध्यम से कानूनी रूप मे तीन जगह इकठ्ठा किया।2000 जातियों को एक उपवर्ग, अनुसूचित जाति(SC) बनाया। 1000 जातियों को एक उपवर्ग, अनुसूचित जनजाति(ST) बनाया। और शेष बची 3743 जातियों को एक उपवर्ग, अन्य पिछड़ी जाति(OBC) बनाया। फिर उन्होने इन तीन उपवर्गों SC/ST/OBC/एवं इनसे धर्मपरिवर्तित अल्पसंख्यकों को मिलाकर संबिधान के अनुच्छेद 15(4) एवं 16(4) मे सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिक के रूप मे एक वर्ग बनाया। आज संबैधानिक एवं क़ानूनी रूप भारत में से केवल 2 वर्ग है, एक है पिछड़ा वर्ग एवं दूसरा है सामान्य वर्ग है और 4 जातियां है SC/ST/OBC/जेनरल है। इसी पिछड़े वर्ग को मान्यवर कांशी राम साहेब ने फिर से बहुजन कहा और इसे देश की आबादी का 85% बताया। और इसी पिछड़े वर्ग को फिर यशकायी डी के खापर्डे ने ऐतिहासिक रूप से और अधिक स्पष्ट करते हुये मूलनिवासी बहुजन कहा।

जाति की पहचान हमारी अपनी वास्तविक पहचान नहीं है। यह विदेशी आर्यों द्वारा हम पर जबर्दस्ती थोपी गयी एक अपमान जनक पहचान है। जाति आर्यों द्वारा अपने हित मे बनाई गई है, इसलिए जाति के मजबूत होने से ब्राह्मण वाद मजबूत होता है। बाबा साहब जाति विहीन प्रबुद्ध भारत का सपना देखा था। इसलिए हमे अपनी जाति या उप जाति की पहचान छोड़ देनी चाहिए और आज हमें मूलनिवासी बहुजन पहचान जो सम्मानजनक एवं ऐतिहासिक पहचान है या बौद्ध पहचान जो हमारी धार्मिक पहचान है के आधार पर संगठित होना चाहिए।

प्रदेश कार्यालय सचिव सह संगठन के नालंदा क्लस्टर प्रभारी श्रीकांत कुमार ने बतायाकि भारतीय संविधान राष्ट्र को चलाने का एक लिखित दस्तावेज है जो सर्वोपरि है, जिसके आधार पर सम्पूर्ण देश चलाया जा रहा है, पर अफसोस इस बात का है कि राष्ट्र के 80 फीसदी लोगों को अपने सर्वोच्च दस्तावेज की जानकारी नहीं है, जबकि यह समतामूलक राष्ट्र निर्माण का एक क्रान्तिकारी सवैधानिक आधार है।

संविधान लागू होने के बाद आज तक भारतीय इतिहास में व्यवस्था पर बैठे लोग, समाज में गैर बराबरी को पोषित करने वाले लोग है, इसलिए संविधान का सम्पूर्ण पालन संविधान का प्रचार-प्रसार न करते हुए उसे कमजोर करने में लगे हुए हैं। संविधान को बनाये रखने के लिए, संविधान वादी लोगों द्वारा संविधान के प्रचार-प्रसार के लिए BS4, (भारतीय-संविधान, सम्मान, सुरक्षा संवर्धन) अभियान चलाया जा रहा है। इसीलिए हमलोगों का दायित्व है अभियान के तहत् संविधान पुस्तिका को घर-घर पहुँचाना है। इसके लिए भारत में 120 क्लस्ट बनाये गए हैं। प्रत्येक क्लस्टर में 300 व्यक्ति को बनाना है। नालन्दा में 5 व्यक्ति को कलस्टर प्रभारी बनाया गया है। नालन्दा में 300 और शेखपुरा में 300 संविधान प्रबोधक बनाना है। 11 से 14 अप्रैल तक तथा 26 से 27 अगस्त को दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित करना है, और संविधान क्रियान्वयन रैली निकाली जाएगी। नालंदा कलस्टर प्रभारी डॉ राजीव रंजन, राम खेलामान ऋषि, डॉ गनौरी पंडित, श्रीकांत कुमार, साक्षी कुमारी को कार्यक्रम सम्पादित करने का दायित्व दिया गया है।

बैठक में मू. सरदार वीर सिंह, मू. राजू प्रजापति, केशो जमेदार, अमित कुमार, आनंद किशोर, चिंटू कुमार, रामशीष दास, सुरेश पासवान, श्यामनंदन चौहान, अभिषेक कुमार सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

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