Monday, December 23, 2024
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स्वतंत्रता सेनानी रामलाल प्रसाद की 100 वीं जयंती पर विशेष :

 राकेश बिहारी शर्मा—-देश को आजाद हुए कई साल बीत गये हैं, लेकिन आज भी ऐसा लगता है मानों ये कल की ही बात हो। ये आजादी हमें ऐसे ही नहीं मिली इसके लिए कई वीर लोगों ने अपनी जान गंवाई है। कई माताओं की गोद सूनी हुई, तो कई बहनों से राखी बांधने वाली कलाई छिन गई। देश को आजादी दिलाने के लिए न जाने कितने वीर हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और न जाने कितने लोगों ने अंग्रेजों की गोलियां खाई। आज भी जब हम उन वीरों की बात करते हैं तो हमारा सीना गर्व से फूल जाता है। भारत के इतिहास की बात हो और उसमें नालंदा का जिक्र न हो ऐसा मुमकिन ही नहीं है। नालंदा रहुई प्रखंड के बबुरबन्ना गांव ऐसा गांव जहां से एक या दो नहीं बल्कि कई स्वतंत्रता सेनानी नामी और गुनामी हुए हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में रहुई के कई गांव का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। रहुई प्रखंड थाना क्षेत्र के बबुरबन्ना का ये गांव जिला मुख्यालय से ठीक सटा हुआ मोहल्ला है।
इस आजादी की लड़ाई में यहाँ के लोगों की अहम भूमिका रही है। यहां के कई क्रांतिकारी व स्वतंत्रता सेनानियों ने सुभाषचंद्र बोस के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। रहुई थाना क्षेत्र के बबुरवन्ना गांव के क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी श्री रामलाल प्रसाद की वीरता की कहानी भी खूब है।

रामलाल प्रसाद का जन्म शिक्षा और पारिवारिक जीवन

स्वतंत्रता सेनानी श्री रामलाल प्रसाद इनका जन्म 11 फरवरी 1923 ई० को ग्राम बबुरवन्ना पो०- सोहसराय थाना रहुई तत्कालीन जिला पटना एवं वर्तमान जिला नालन्दा के कुशवाहा किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता स्व० दमड़ी महतो परिश्रमी किसान थे। खेती-बारी से पैदा कर परिवार का पालन पोषन करते थे। कुसंयोग से पिताजी की मृत्यु इनका 5 वर्ष की आयु में हो गई थी। रामलाल जी की शादी आशानगर के किसान श्री घोटू महतो की पुत्री सीता देवी से हुई थी। उन्हें दो पुत्र विश्व विजय कुमार, अजय कुमार एवं एक पुत्री तारा देवी हुए।

रामलाल प्रसाद की शिक्षा, पेशा एवं कार्य

रामलाल प्रसाद की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। प्राथमिक शिक्षा के बाद स्कूली शिक्षा सोगरा हाई स्कूल बिहारशरीफ से किये। बड़े भाई श्री प्रकाश महतो के देख-रेख में पढ़े-लिखे और उनके साथ कृषि कार्य में लगे रहे। मुख्य पुश्तैनी पेशा खेती-बारी के अलावे सामाजिक कर्यो में दिलचस्पी लेते हुए कॉंग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर लिया। काँग्रेस के कार्य क्रमों प्रभात फेरी तथा प्रदर्शनों में भाग लेने पर किसानों की सुख सुविधा तथा प्रगति हेतु अपना प्रस्ताव काँग्रेस कमिटी में स्वीकृत कराकर सरकार से मांग करते रहे।

आजादी के आन्दोलन में रामलाल प्रसाद की भूमिका

रामलाल प्रसाद 1942 ई० की अगस्त क्रांति में अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन में नेताओं की गिरफ्तारी की प्रतिक्रिया में सोहसराय डाकघर जलाने में गिरफ्तार कर लिये गये थे। जमानत पर छुटे। मुकदमा के फैसलानुसार 31-08-1943 ई० को 6 महिना सश्रम कारावास की सजा हुई थी। उसके अनुसार बिहार शरीफ सबडिवीजन जेल से कैम्प जेल, पटना भेज दिए गये। पूरी सजा काटने पर 02-02-1944 ई० को जेल से मुक्त होकर वापस आये।

रामलाल प्रसाद जी का पारिवारिक और कृषक जीवन

स्वतंत्रता सेनानी रामलाल प्रसाद जी अपनी पेशा कृषि कार्य में जुटकर उन्नत खती की और इन्होंने उत्साह पूर्वक मुख्य आलू दो फसल उपजाने में सफलता प्राप्त किया। साहा आलू में ‘ढेलवा, फुलवा’ के कारण किसानों को घाटा होता था। अतः इन्होंने आलू बीज के रख रखाव में सुधारकर फसल चक्र के अनुसार खेत बदलकर आधार वीज तैयार किया। बिना फूल वाला आलू का प्रचार-प्रसार खूब हुआ। सोहसराय बिहार शरीफ के निकट के किसानों को उन्नति एवं फसलों की कीमत अधिक मिलने पर सारे राज्य में आलू की खेती में आशातीत प्रगति हुई। अन्य प्रान्तों के व्यापारी वर्ग ने ऊँची कीमत में ले जाकर फैलाया।

कर्मयोगी श्री रामलाल प्रसाद और तीन दोस्त

कर्मयोगी श्री प्रसाद जी तीन दोस्त थे, जो की रामलाल प्रसाद, तिलकधारी सिंह बबुरबन्ना के थे और तीसरा दोस्त विभीषण प्रसाद सलेमपुर सोहसराय के थे। ये सभी मिलकर चितरंजन में डेयरी फार्म एवं उन्नत खेती की संस्था कायम कर सरकार से लीज पर 90 एकड़ जमीन लेकर पशुओं के लिए हरा चारा कई किस्मों को तैयार कर सप्लाई करने में सफलता तो मिली ही, साथ ही उसी खेती में धान एवं रब्बी उपजाना प्रारम्भ किया। धान रोपने में प्रगति नहीं होने पर खेती की पद्धति में हेर-फेर किया। हिमाचल प्रदेश जाकर खेती की उपज को देखा और इजाद किया कि धान की मोरी नहीं तैयार कर आरम्भ में ही पूरे खेत में वोगहा वीज वो दिया जाय और फिर 3-4 ईच खेत में पानी होने पर जुताई तथा हेंगाई करने पर पौधा शीघ्र बढ़ता एवं फैलता है और बड़ा-बड़ा बाल पहले फूटता है। फलत: उपज में बृद्धि होती है। परिश्रम एवं खर्च कम और लाभ अधिक हो रहा है। इसका प्रसार तेजी से हो रहा है। श्री प्रसाद ने इस पद्धति को अपनाने हेतु किसानों को उत्साहित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पर्चा वटवाया था। उन्नत खेती आलू, सब्जी, धान एवं रब्बी की अधिक उपज इनकी खास उपब्धी रही थी। चितरंजन के डेयरी फार्म में ही एक भव्य काली मंदिर, शिव मंदिर, रामकृष्ण परमहंस मंदिर और एक कुआं का निर्माण करवाया था। जो आज भी सुरक्षित और रमणीय है।

स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन

स्वतंत्रता सेनानी रामलाल प्रसाद को भारत सरकार से स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन एवं अन्य सारी सुविधाएँ प्राप्त किया। कर्मशील स्वतंत्रता सेनानी एवं उन्नत कृषक रहे इनके कार्य सराहनीय, अनुकरनीय एवं प्रशंसनीय थे। ये असाध्य रोग, दम्मा, गैसटीक, अंडकोष वृद्धि, पेचिश, शूल, संग्रहणी, आदि रोगों के उपचार बखूबी ठीक से करते थे। ये मानव-कल्याण करने में अच्छी दिल चस्पी रखते थे। प्रभु ऐसे कल्याणकारी सेनानी को अधिक सेवा करने का अवसर प्रदान करें। कर्मयोगी स्वतंत्रता सेनानी रामलाल प्रसाद का निधन 23 जून 1983 को बबुरबन्ना घर पर पक्षाघात से हुआ।

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