नगर परिषद राजगीर क्षेत्र स्थित नेकपुर मौजा के कुबड़ी गांव के पास बर्षो से महादलित परिवार के जोत भूमि जिसका कागजात सहित कब्जा भारत के आजादी के पूर्व से उक्त किसानों के पास है । उसके बाद बिहार राज्य का गठन उपरांत कुछ भूमिहीन को बिहार सरकार ने पर्चा देकर इन महादलित परिवारों को जोत की भूमि का आवंटन किया। उस भूमि पर राजगीर के अंचलाधिकारी छबिलापुर थानाध्यक्ष के द्वारा लोगों को डरा धमका कर सरकारी जमीन के नाम पर परेशान कर रहे हैं जिससे कि महादलित परिवारों में डर का माहौल व्याप्त है और खेती करने से लोग वंचित हो रहे हैं। कुछ दिन पूर्व इन महादलित परिवारों ने दर्जनों की संख्या में अनुमंडल कार्यालय आकर अनुमंडल पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी से अपनी फरियाद लेकर गुहार लगाया था आज शुक्रवार को एक आवेदन के साथ लगान रसीद, डीड, खतियान, वर्तमान जमाबंदी की स्थिति के साथ अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता राजगीर, अंचलाधिकारी राजगीर एवं थानाध्यक्ष राजगीर थाना को समर्पित किया है। भूमिहीन किसानों ने मौके पर उपस्थित साहेब तांती, बढ़न तांती, नरेश तांती, अनिरुद्ध तांती, गौतम तांती, संजय कुमार, बेचन तांती, उर्मिला देवी, रेखा देवी, गीता दासी, रीता देवी, फूलन देवी, कमला देवी, रंजू देवी ने बताया कि उनका जमाबंदी अभी तक ऑनलाइन भी कायम है साथ ही 2002-03 बिहार सरकार के द्वारा लगान रसीद भी वसूला गया है हमलोग को अपनी जोत भूमि पर सरकार तंग तवाह ना करें । बताते चलें कि निवर्तमान अंचलाधिकारी राजगीर ने विविध वाद संख्या 22/ 12 -13 के द्वारा हल्का कर्मचारी व अंचल निरीक्षक के प्रतिवेदन के अनुसार इस जमीन के बारे में सक्षम पदाधिकारी के आदेश से जमाबंदी नहीं कायम की गई थी ऐसा उन्होंने रिपोर्ट दिया। जबकि उक्त जमीन के पर्चा पर अंचलाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता बिहार शरीफ, अनुमंडल पदाधिकारी बिहार शरीफ का 1992 -93 में हस्ताक्षर भी किया गया है । उस रिपोर्ट के आधार पर अंचलाधिकारी राजगीर ने जमाबंदी रद करने के लिए अपर समाहर्ता नालंदा को दिनांक 16/11/ 2012 को लिखा। उसके उपरांत अपर समाहर्ता नालंदा ने जमाबंदी रद्दीकरण का नोटिस किसानों को दिया लेकिन अपर समाहर्ता का कोर्ट नहीं होने के कारण आज तक यह मामला लंबित है । एक तरफ जमाबंदी रद करने के लिए अंचलाधिकारी ने अपर समाहर्ता नालंदा को पत्र लिखा। वही दूसरी तरफ अपर समाहर्ता नालन्दा के पत्रांक 2677 दिनांक 16 /09/ 2013 के द्वारा कुछेक भू माफिया के नाम पर नया जमाबंदी कायम कर उनके नाम से 2013 -14 से 2021-2022 तक लगान रशीद कटवा दिया गया है।
एक जमीन के लिए दो तरह का मामला कैसे हो सकता है इससे साफ जाहिर होता है कहीं ना कहीं इस मामले में बड़े- बड़े पदाधिकारियों की भू माफियो से मिलीभगत है।