बिहारशरीफ के दीपनगर स्थित भीम आर्मी भारत एकता मिशन के जिला कार्यालय में महान वीरांगना ऊदा देवी पासी की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई इस मौके पर उपस्थित लोगों ने महान वीरागना ऊदा देवी पासी की फोटो पर पुष्प अर्पित कर जीवनी पर प्रकाश डालें और उनकी रास्ते पर चलने का संकल्प लिए।इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा के जिला प्रवक्ता एवं फुटपाथ विक्रेता संघ के जिला अध्यक्ष रामदेव चौधरी सह भीम आर्मी भारत एकता मिशन व आजाद समाज पार्टी काशीराम सविधान रक्षक जिला प्रभारी रंजीत कुमार चौधरी ने संयुक्त रुप से कहा कि महान वीरांगना ऊदा देवी पासी का जन्म 30 जून उत्तर प्रदेश के लखनऊ के पास उजिरियांव गांव की एक दलित वर्ग के पासी जाति में हुई थी।महान वीरांगना ऊदा देवी पासी एक भारतीय स्वतंत्रा सेनानी थी जिन्होंने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय सिपाहियों की ओर से युद्ध में भाग लिया था
वह अवध के छठे नवाब वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्य थी। इस विद्रोह के समय हुई लखनऊ की घेराबंदी के समय लगभग 2000 भारतीय सिपाहियों के शरण स्थल सिकंदरबाग पर ब्रिटिश फौजों द्वारा चढ़ाई की गई थीऔर 16 नवंबर 1857 को बाग में शरण लिए इन 2000 भारतीय सिपाहियों का ब्रिटिश फौजों द्वारा संहार कर दिया गया था। इस लड़ाई के दौरान वीरगाना ऊदा देवी पासी ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर स्वयं को एक पुरुष के रूप में तैयार किया था लड़ाई के समय वह अपने साथ एक बंदूक और कुछ गोला बारूद लेकर एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गई थी और पेड़ पर बैठकर 36 ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतार दिए उन्होंने हमलावर ब्रिटिश सैनिकों को सिकंदर बाग में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया था जब तक उनका गोला-बारूद खत्म नहीं हो गया महान वीरागना ऊदा देवी पासी की कार्ल मार्क्स ने भी इनकी वीरता की बारे में चर्चा किए हैं। भारतीयों से अधिक अंग्रेजों ने दिया सम्मान।इनकी मृत्यु 16 नवंबर 1857 को हो गई थी। इस मौके पर किसान नेता महेंद्र प्रसाद गौरव कुमार वर्मा फूलचंद रविदास कुंदन कुमार साहिल कुमार राजकुमार साहब कुंदन यादव जय साव सागर पासवान राहुल कुमार कुंदन यादव सोमल यादव आदि दर्जनों लोग उपस्थित थे।