राजस्व में बढ़ोत्तरी को लेकर नियमो में बदलाव भी किया गया है। जिन मकान मालिकों के घर में दुकान है उस दुकानदरा को ट्रेड लाईसेंस दिलाना है। इसके साथ ही कचरा कलेक्शन शुल्क भी अब मकान मालिकों को अपने घरों के साथ-साथ दुकानदारों के बदले भी एक साल का कचरा कलेक्शन शुल्क जमा करना होगा। बाद में मकान मालिक दुकानदार से शुल्क वसुलेंगे। ऐसे परिस्थिति में जो लोग 500 रुपया जमा करते थे उन्हें 5 हजार तक देना पड़ रहा है। इस कारण प्रति दिन राजस्व विभाग में अधिकारियों व कर दाताओं के बीच बहस छिड़ जाती है। जो लोग पैसा लेकर आते हैं वे जमा कर देते हैं और जिन लोगों को पैसा नहीं रहता है वे बिना होल्डिंग टैक्स जमा किए वापस लौट जाते हैं। कर दाताओं का मानना है कि किसी भी सुविधा के लिए शुल्क लेना गलत नहीं है लेकिन सभी शुल्क मकान मालिकों से वसूलना गलत है। कचरा कलेक्शन शुक्ल की जहां तक बात है तो टीसी को दुकान संचालकों से लेना चाहिए लेकिन परेशानी के डर से मकान मालिक पर ही बोझ दे देते हैं, जो गलत है। इसमें सुधार की आवश्यकता है, वरना जो लोग टैक्स जमा करना भी चाहते हैं वे नहीं कर पाएंगे। नए नियमों के बाद राजस्व में बढ़ोत्तरी हो रही है लेकिन होल्डिंग टैक्स प्रभावित हो रहा है। 5 प्रतिशत छुट मिलने के कारण लोग काफी संख्या में होल्डिंग टैक्स जमा करने आ रहे हैं लेकिन साथ में दुकानदारों के बदले भी कचरा कलेक्शन शुल्क जमा करने की बात से पीछे भाग रहे हैं। इस कारण अब तक जितनी मात्रा में टैक्स वसूली होनी चाहिए वह नहीं हो रहा है। उदाहरण के तौर पर जिन मकान मालिकों के घर में अगर दो दुकान है तो उन्हें होल्डिंग टैक्स के अलावे अपने घर एवं दुकान का कचरा कलेक्शन शुक्ल 2760 रुपया जमा करना होगा। अधिकारी व कर्मी भी दबे जुवान से नियम में सुधार करने की बात कह रहे हैं। निवर्तमान वार्ड पार्षद पप्पु यादव ने कहा कि कचरा कलेक्शन शुल्क के मामले में देखा जाय तो सेवा से अधिक शुल्क की वसूली की जा रही है। रविवार को सुविधा नहीं दी जाती है। इस अनुसार देखा जाय तो साल में 313 दिन ही जनता को सेवा दी जाती है लेकिन पैसा 365 दिन का लिया जा रहा है। इसके अलावे मैरेज हॉल की बात करें तो साल में 6 मीहना ही बुक होता है लेकिन कचरा कलेक्शन शुक्ल साल भर का लिया जाता है। इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। टैक्स कलक्टरों की माने तो इस नियम से काफी परेशानी हो रही है। टैक्स जमा करने वाले कर दाताओं से प्रति दिन बहस करना पड़ता है। शनिवार को राजस्व विभाग की बैठक होनी है जिसमें नगर आयुक्त के सामने नियमों में सुधार करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इसके बाद जो भी गाईड लाईन मिलेगा उस अनुसार काम किया जाएगा। राजस्व पदाधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि हमलोग सरकारी कर्मचारी है। इसलिए विभाग से जो भी गाईड लाईन मिलेगा उसी अनुसार काम करना होगा। आगे विचार के लिए वरीय अधिकारी इसपर निर्णय ले सकते हैं। लेकिन कोई भी समस्या काम शुरू होने के बाद ही सामने आता है। इसलिए जो भी समस्या आ रही है उसे नगर आयुक्त से अवगत कराया जा रहा है।
टैक्स वसूली में हो रही परेशानी,मकान मालिक को देना पड़ रहा है दुकानदार का भी टैक्स
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