बिहारशरीफ, 16 मई 2022 : 15 मई दिन रविवार देरशाम भगवान् बुद्ध जयंती के पूर्व संध्या पर नालंदा के बहुचर्चित लेखक प्रकाश महतो ‘वियोगी’ की “आत्म ज्ञान वाटिका” आध्यात्मिक पुस्तक का लोकार्पण उदन्तपुरी वर्चुअल बौद्ध विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आवासीय सरस्वती विद्या मंदिर नीचली-किला बिहारशरीफ के सभागार में मगही कवि उमेश प्रसाद ‘उमेश’ की अध्यक्षता में हुआ। कार्यक्रम का संचालन साहित्यिक मंडली शंखनाद के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने किया। आठवीं सदी के पाल वंशी शासकों की राजधानी रही ओदंतपुरी की पावन भूमि पर बुद्ध के चरण ईसा पूर्व छठी शताब्दी में पड़े थे। उस महामानव के ज्ञान स्पर्श से यह भूमि आलोकित और पुष्पित होती रही है,जिसे आज बिहारशरीफ के नाम से जाना जाता है। उसी ज्ञान की प्रभा से यहां साहित्य की अनेक धाराएं फूटी, जिसे सिद्ध, सबद,साखी साहित्य के नाम से जाना जाता है। उस कड़ी में एक नया नाम जुड़ा है प्रकाश महतो “वियोगी” का। ये बातें साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने श्री वियोगी की सातवीं पुस्तक ‘आत्म ज्ञान वाटिका’ के लोकार्पण समारोह के अवसर पर कहा। पुस्तक लोकार्पण समारोह के मौके पर साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि आध्यात्मिक पुस्तक “आत्म ज्ञान वाटिका” के लेखक अध्यात्मिक कवि श्री प्रकाश महतो ‘वियोगी’ जी की यह पुस्तक माला की सातवीं पुस्तक है, जो गीतात्मक काव्य का उत्कृष्ट नमूना है। हिन्दी के भक्ति काल में कबीर, सूर, तुलसी आदि संत कवियों ने उत्कृष्ट गेय पदों की रचना की। “आत्म ज्ञान वाटिका” पुस्तक माता भगवती गायत्री की आत्मा और ब्रह्म ज्ञान का खजाना है। आत्म ज्ञान की कड़ी में एक अनमोल पुस्तक है। यह पुस्तक गीतात्मक शैली की अमूल्य निधि है। इसमें विभिन्न इकसठ विधाओं पर कवितायें संग्रहित है। आत्मज्ञान से सम्बन्धित विषय वस्तु में महात्मा कबीर का बीजक सार की पाँच दोहे उत्कृष्ट हैं। भगवान बुद्ध के अंतिम उपदेश भी इसमें संकलित है।
पुस्तक लोकार्पण समारोह में पुस्तक के लेखक कवि प्रकाश महतो ‘वियोगी’ ने अपनी सातवीं आध्यात्मिक पुस्तक “आत्म ज्ञान वाटिका” के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए पुस्तक के कई कविताओं का सस्वर पाठ कर व्याख्या किया। उन्होंने कहा कि साहित्य को तात्कालिक सामाजिक संक्रमण प्रभावित तो करते हैं, परन्तु सर्जक जो समय और शास्त्र दोनों का ज्ञाता और दृष्टा होता है, वह हंस के नीर क्षीर विवेक की भांति सांस्कृतिक एवं असांस्कृतिक में से सांस्कृतिक और आध्यात्मिक को चुनता है और शब्द के बल पर समाज को सात्विकता का ज्ञान देता है। वैदिक साहित्य के बाद का सृजित साहित्य इसका प्रमाण है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गोपाल शरण सिंह ने कहा कि मानव जीवन भक्ति और प्रकृति के बिना निरर्थक है, इसको सार्थक बनाने में ‘वियोगी’ जी की कविताओं की माला अत्यन्त उपयोगी है। माता की भक्ति ‘वियोगी’ जी की कविताओं के माध्यम से मानव जीवन के व्यसनों पर विजयोन्मुख होना सम्भव है। आदिशक्ति माता की अनंत रूपों की महिमा और जगत कल्याण की इनकी कविताओं की गूढ़ भावनापूर्ण रहस्य है। मन और आत्मा के विषय में ‘वियोगी’ जी की कविताओं में बड़े ही अनोखे ज्ञान की झलक मिलती है। मेरी शुभकामना है कि माता भगवती गायत्री इन्हें मानव जीवन के कल्याण के लिए और भी उपयोगी कविताओं के संग्रह की प्रेरणा प्रदान करें। कवि महेंद्र कुमार ‘विकल’ ने कहा कि गीतात्मक काव्य साहित्य समाज का दर्पण है। गेय और आध्यात्मक साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। इस दर्पण में समाज की हर छवि हर भंगिमा प्रतिबिम्बित हुआ करती है। साहित्यकार व लेखक की भावनाएं और विचार आकांक्षाएं व संदेश सभी सामाजिक परिवेश की देन हुआ करती है। बहुत से साहित्यकारों ने स्वान्तः सुखायः को अपनी रचनाओं का लक्ष्य बताया है। वियोगी जी की “आत्म ज्ञान वाटिका” पुस्तक आध्यात्मिक पुस्तक है। यह अपने आप में अनोखी पुस्तक है। साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि वियोगी जी की “आत्म ज्ञान वाटिका” पुस्तक के लिए उन्हें बहुत सी बधाई और शुभकामनाएँ प्रेषित की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक लोगों को निराशा के अंधकार से बाहर निकालने में सहायक होगी।
साहित्यसेवी अरुण कुमार प्रेमी ने कहा कि यह पुस्तक आत्मावलोकन पर बल देते हुए कोरी शिक्षा ही नहीं देती वरन व्यावहारिक समाधान भी देती है। उन्होंने इस पुस्तक को समाजोपयोगी, सर्वजन हिताय और कल्याणकारी बताते हुए कहा यह “आत्म ज्ञान वाटिका” पुस्तक मानवीय चिंताओं का कोहरा हटाने में कारगर साबित होगी। मौके पर समाजसेवी प्रफुल्ल कुमार ने कहा कि नालंदा ज्ञान की धरती रही है, प्रकाश महतो वियोगी जी ने अपनी सारगर्भित पुस्तक लिख कर नालन्दा की धरती को अमूल्य धरोहर से जोड़ा है। यह “आत्म ज्ञान वाटिका” पुस्तक आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करने वाली कविताओं को समाहित किये हुए संग्रह है। ऐसी पुस्तकें ही समाज में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभातीं हैं। कार्यक्रम के अंत में साहित्यकार डॉ. आनंद वर्द्धन ने अध्यात्मिक कवि प्रकाश महतो ‘वियोगी’ जी को अपनी “मगही बयार” काव्य पुस्तिका देकर सम्मानित किया। इस दौरान समाजसेवी अनिरुद्ध कुमार, कवयित्री प्रत्याशा सिन्हा, समाजसेवी हरिहर नाथ, डॉ. रवि चंद्र सिन्हा, राजेश कुमार ठाकुर, मनीष कुमार, श्रीमती रानी सुषमा, कुमार परुषोत्तम सहित कई साहित्यकार, कवि एवं समाजसेवी मौजूद रहे।