Sunday, December 22, 2024
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­­­श्रद्धांजलि  : वो जब याद आये , पिता.  अर्थात स्वयं के संस्कारों के जनक. 

एक यक्ष प्रश्न है मेरे मन में। क्या  पिता जीवित हो तो उन्हें उनके जन्म दिवस पर याद किया जाए ? या जिनके पिता इस दुनिया में न हो तो उन्हें पुण्यतिथि पर याद मात्र कर लिया जाए। कदापि नहीं। अगर हो सकें तो उनके सद्गुणों को जीवनपर्यन्त याद रखें। उनके आदर्शों को अपने जीते जी जीने की कोशिश करें। मोहल्ला धनेश्वर घाट निवासी अधिवक्ता रवि रमन एवं जिले के संघर्ष शील  व्यंग्य  चित्रकार ,यूट्यूबर , डॉ मधुप रमण ने आज संयुक्त रूप से अपने निवास स्थान में दिनांक 5 मई 2022 को अपने दिवंगत पिता श्री दुख भंजन प्रसाद की स्मृति में प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि सभा रखी जिसमें अपने परिवार जनों के अलावा अपने जाने अनजाने कई व्यक्तियों ने  इस परिस्थिति में दूर रहकर अपने अपने घरों से ही उन्हें याद करते हुए सहयोगात्मक एवं भावनात्मक उपस्थिति दर्ज कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।­­­श्रद्धांजलि  : वो जब याद आये , पिता.  अर्थात स्वयं के संस्कारों के जनक. 

इस उपलक्ष्य पर परिवार जनों के द्वारा दीप प्रज्वलित करते हुए  श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ साथ भजन आदि का गायन हुआ। कुछेक दीप एवं मोमबत्ती रौशनी,सर्व कल्याण और उस निहित सन्देश के लिए भी जली जिसमें अद्यतन समय में सभी लोगों के लिए दुःख एवं कष्टों के अंधकार के हरण का भाव समाहित था। दूर बैठें परिजनों और जानने वालों ने सोशल मीडिया के जरिए अपने अपने तरीकें से दिंवगत दुःख भंजन प्रसाद को श्रद्धा के दो शब्द अर्पित किए। आज इस पुण्य तिथि पर उन्हें पुनः लोकहित समाज सेवा के लिए याद किया गया। छोटे से क्लर्क पद से अपने सरकारी सेवा की शुरुआत करने वाले स्वर्गीय दुःख भंजन प्रसाद अपने अधिकारियों जान पहचान वालों में अपनी ईमानदारी,कर्तव्यनिष्ठा,लगन सहयोगात्मक रवैए के लिए विशेषतः जाने जाते थे। उन्हें समाज में इसके लिए यथेष्ठ सम्मान भी मिलता था। सेवा निवृति के बाद मोहल्ला धनेश्वर घाट समिति के अध्यक्ष के पद पर आसीन होने के पश्चात मुहल्ले के विकास के लिए अपनी सेवाएं अहर्निश ज़ारी रखी जिसे लोग आज और अब भी याद करते हैं। ज्ञात है ८५ वर्ष की अवस्था में सन ५ मई २०१९ को लंबी बीमारी के पश्चात दुःख भंजन प्रसाद का अपने निवास स्थान पर देहावसान हो गया था । और आपके कुछ कृत्य है जिसकी वजह से आज भी समाज के कई लोग आपको अभी भी याद करते हैं।

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