Monday, December 23, 2024
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 माता का पट खुलते ही श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा पाठ शुरू

नवरात्र के सातवें दिन माता का पट खुलते ही श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा पाठ शुरू हो गया  चैत नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार में से एक है नवरात्र का अर्थ है  9 रात्रि और 10 दिनों के दौरान शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है |
चैत नवरात्रि से ही विक्रम संवत की शुरुआत होती है|  इन दिनों प्राकृतिक से एक विशेष तरह की शक्ति निकलती है | इस शक्ति को ग्रहण करने के लिए इन दिनों में शक्ति पूजा या नव दुर्गा की पूजा का विधान है| इसे मां की नौ शक्तियों की पूजा अलग-अलग दिनों में की जाती है चैत नवरात्रि मार्च/अप्रैल महीने में मनाई जाती है जो व्यक्ति मां दुर्गा की पूजा आराधना सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है|  नवरात्रि के पीछे एक वैज्ञानिक आधार है पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में 1 साल की चार संधियां होती है जिसमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है| ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती है|

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अतः उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुद्ध रखने के लिए, तन मन को निर्मल रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम नवरात्रि है अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम के अनुसार चलने से नवरात्रि नाम सार्थक है | रूपक के द्वारा हमारे शरीर को 9 मुख्य द्वारों वाला कहा गया है और इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है मुख इंद्रियों में अनुशासन स्वच्छता तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में एवं शरीर तंत्र को पूरा साल के लिए सुचारु रुप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व 9 दिन मनाया जाता है |

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इसको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए 9 दिन नव दुर्गा के लिए कहे जाते हैं| हालाकी शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन सफाई या शुद्धि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं| किंतु अंग प्रत्यंग ओं की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर छह माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता जिसमें सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर शुद्धि साफ सुथरे शरीर में सुद्धि बुद्धि उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म कर्मों से सच्चा चरितार्थ और क्रमशाह मन शुद्ध होता है| क्योंकि स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थाई निवास होता है | चैत और अश्नविन नवरात्रि की मुख्य माने जाते हैं |इसमें भी देवी भक्त अश्वनी नवरात्रि का बहुत महत्व है इसको यथाकर्म वासंती और शारदीय नवरात्र कहते हैं यह प्रतिपदा सम्मुखी शुभ होती है

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