कार्तिक माह की तर्ज पर चैत माह में भी लोकआस्था का महापर्व छठ का परिचालन सदियों पुराना है| चैती छठ का प्रचलन इधर काफी दिनों से बढ़ता जा रहा है कार्तिक माह में परवैती को थोड़ा ठंडी की वजह से आराम मिलता है परंतु चैती छठ लहलहाती धूप में भी मां छठ की पूजा करना आसान नहीं है ऐसे हालात में भी कार्तिक माह की तरह चैती छठ भी लोगों कर रहे हैं तीन दिवसीय चैती छठ आज संपन्न हो गया| नहाए खाए के साथ यह पर्व शुरू होता है और लौंहडा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे तक परवैती उपवास कर इस पर्व को करते हैं |
संध्या में डूबता हुए सूरज को अर्घ देकर छठ मैया की आराधना की जाती है फिर प्रातः उगते हुए सूरज को अर्घ प्रदान कर माँ छठ की आराधना के साथ खरना किया जाता है और पर्व की समाप्ति होती है बता दें कि बिना जल, बिना फल के यह पर्व बांके में ईश्वर की भक्ति का दोतक तक है वरना इस लहलहाती गर्मी में बिना पानी के रहना किसी भी मनुष्य के आपे से बाहर है किंतु यह छठ मैया का ही पुण्य प्रताप है कि बिना जन के परवैती इस पर्व को सहज ही कर लेते हैं|