ऑन्कोप्लास्टी सर्जरी विषय पर पटना में आयोजित हुआ भव्य सेमिनार,देश के दिग्गज डॉक्टरों का जुटान – ब्रैस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाली सर्वाधिक कैंसर की बामारी है। पुरे विश्व में लगभग 12 % महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित है तथा 3 % की मौत का कारण भी ब्रेस्ट कैंसर है जबकि भारत में 26 % महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित है | ए एस आई ( एसोसिएशन ऑफ़ सर्जन ऑफ़ इंडिया ) और ए बी एस आई ( एसोसिएशन ऑफ़ ब्रैस्ट सर्जन ऑफ़ इंडिया ) के सहयोग से सवेरा कैंसर अस्पताल पटना द्वारा पटना में आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ब्रैस्ट कैंसर, चुनौतियों एवं संभावनाएं विषय पर वक्ताओं ने अपने अपने विचार प्रकट दिए। कार्यक्रम में सवेरा कैंसर अस्पताल के वरीय कैंसर सर्जन डॉ वी पी सिंह ने कहा कि भारत में हर आठ में से एक महिला स्तन कैंसर से पीड़ित है भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओ की संख्या में तेजी से इज़ाफ़ा हो रहा है। ब्रैस्ट ऑन्कोप्लास्टी एक नई सर्जिकल प्रक्रिया है जो कैंसर सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी के सिद्धांतों को जोड़ता है, । जिसका उद्देश्य स्तन कैंसर से जूझ रहे मरीज़ो में नारीत्व के आकर्षण को बरक़रार रखते हुए सर्जरी की प्रक्रिया का निष्पादन है। मेडिकल भाषा में इस सर्जरी को ओंकोप्लास्टिक सर्जरी के मिश्रित प्रतिफल को सृजित करना है ताकि इससे मरीज़ो में मनोवैज्ञानिक कुप्रभावों एवं सर्जरी के बाद होने वाले सामान्य विकारो जैसे स्तन के आकर , समानता जैसे दुष्प्रभावों से बचाया जा सके । डॉ वी पी सिंह ने कहा कि ओंकोप्लास्टिक सर्जरी आज स्तन कैंसर सर्जरी को फिर से परिभाषित कर रही है। ओंकोप्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जरी प्लास्टिक सर्जरी के कॉस्मेटिक फायदों के साथ पारंपरिक स्तन कैंसर सर्जरी की तकनीकों को जोड़ती है।ओंकोप्लास्टी करने के पीछे क्या तर्क है?
इस पद्धति का लक्ष्य सर्जरी के अवांछित प्रभावों को कम करते हुए कैंसर को दूर करना है, जिससे रोगियों को शारीरिक और भावनात्मक रूप से ठीक करने में मदद मिलती है। ओंकोप्लास्टिक सर्जरी आमतौर पर लम्पेक्टोमी के साथ की जाती है। सर्जन ट्यूमर, आसपास के ऊतकों की एक छोटी मात्रा, और संभवत: पास के कुछ लिम्फ नोड्स को हटा देते है । फिर सर्जन दोनों स्तनों को समानता लाने के लिए चिकित्सक स्तन के आस पास इस पद्धति का उपयोग करते है, या आवश्यकता अनुसार शरीर के अन्य हिस्सों से मांसपेशी निकाल कर स्तनों का सामान्य बनाते है।
डॉ ऋषिकेश परमेश्वर = ओंकोप्लास्टी की भूमिका सम्मलेन में अंतरास्ट्रीय ख्याति प्राप्त एवं वर्तमान में इंग्लैंड के वरीय कैंसर रोग विशेषज्ञ ॉ ऋषिकेश परमेश्वर ने कैंसर इलाज में आंकोप्लास्टी की भूमिका पर अपने विचार रखे एवं बताया की स्तन संरक्षण चिकित्सा से गुजरने वाले रोगियों की तुलना में ऑन्कोप्लास्टिक सर्जरी का जीवन की गुणवत्ता और आत्मसम्मान पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऑन्कोप्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जरी (ओबीएस) ऑन्कोलॉजिकल सिद्धांतों से समझौता किए बिना व्यापक छांटने के साथ स्थानीय नियंत्रण में मदद करती है, और प्लास्टिक तकनीकों द्वारा गठित ग्रंथियों के दोष को एस्थेटिक क्लोजर प्रदान करती है। ओबीएस आवेदन की भूमिका और महत्व पर बहस जारी है।
इस पद्धति के लाभ की चर्चा करते हुए डॉ ऋषिकेश परमेश्वर ने बताया कि परिणामी ग्रंथियों के दोषों की मरम्मत के लिए ऑन्कोप्लास्टिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। स्तन समरूपता प्रदान करने के लिए ऑपरेशन में contralateral ब्रेस्ट को भी शामिल किया जा सकता है चिकित्सा के इस पद्धति के विषय में कई अंतराष्ट्रीय शोध पत्र भी इस तकनीक के उपयोगिता को सार्थक बताते है। , विशेष रूप से बड़े ट्यूमर को हटाने के मामलों में और स्थानीय रूप से उन्नत स्तन कैंसर सर्जरी की यह अधिक कारगर बनता है। तकनीकी परिणामो में तो सुधार करती है साथ ही उपयोग की जाने वाली तकनीक में प्रजनन क्षमता, ऑन्कोलॉजिक के साथ कम हस्तक्षेप शामिल होना चाहिए
डॉ आकाश सिंह
इस अवसर पर सवेरा के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ आकाश कुमार सिंह ने बताया कि स्तन कैंसर का इलाज ब्रैस्ट Conserving Surgery ( ब्रैस्ट कैंसर को बचते हुए स्तन का ऑपरेशन ) या Total Mastectomy ( पूरा स्तन हटाना ) है। आज की बढ़ती जागरूकता के परिवेश में कोई भी महिला अपना पूरा स्तन हटाने के लिए तैयार नहीं है। इसका उपाय है , की हम कीमोथेरेपी के द्वारा स्तन कैंसर के गांठ को छोटा करके तब फिर ऑपरेशन के लिए ले , दूसरे सम्भवतः पूर्ण ब्रैस्ट निकालने की जरुरत नहीं पड़ेगी। पुरे विश्व ने इस पद्धति को अपनाया है , और सवेरा कैंसर अस्पताल हमलोगो ने पिछले तीन सालो में करीब 350 आंकोप्लास्टी पद्धति से Breast Conserving Surgery में कामयाबी मिली है। जबकि करीब 300 अन्य मरीज़ में पूरा स्तन निकालने की जरुरत पड़ी।
इससे आगे बताते हुए डॉ आकाश कुमार सिंह ने कहा कि Sentinel Lymph Node Biopsy तथा Frozen Section के सहयोग से हमलोग कांख की गिलटीओ ( Axillary Dissection ) जो पूर्णतः निकलते थे , अब More Than 70 % में इसकी जरुरत नहीं पड़ती है। इस Seminar में ASI के President Secretary डॉ आलोक अभिजीत , डॉ प्रियरंजन , डॉ पी के सिन्हा , डॉ अजय , डॉ सी खंडेलवाल , डॉ एम् पी नारायण , डॉ मौर्य, डॉ वीणा , डॉ प्रशान्त ,डॉ चन्दन ने सक्रीय रूप से हिस्सा लिया तथा मंच का संचालन डॉ सुमंत्रा सरकार ने किया। करीब 100 गणमान्य ऑन्कोलॉजिस्ट ने इस Seminar मेंभाग लिया तथा ऑनलाइन 500 लोगो ने भाग लिया तथा इस लाभंभित हुए।