-नालन्दा कॉलेज में द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ” भारतीय इतिहास में नारी और पर्यावरण आंदोलन : एक दृष्टि ” का शुभारंभ – बिहार समेत झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ सौ से अधिक शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़े – मंगलवार को भी डेढ़ सौ शोधार्थी अपना-अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत करेंगे – प्रकृति केंद्रित चित्रों की प्रदर्शनी ने मन मोहाबिहारशरीफ I पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर के सिंह ने कहा है कि पूरी दुनिया में प्राचीन भारतीय संस्कृति ही ऐसी संस्कृति है जिसमें पर्यावरण संरक्षण के सभी तत्व समाहित हैं I भारतवर्ष में सदियों से नदी, पर्वत, पेड़ सहित प्रकृति के सभी उपादानो की पूजा होती रही है और इसे संरक्षित करने में भारतीय नारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है I वे आज नालंदा कॉलेज में इतिहास विभाग द्वारा आयोजित ” भारतीय इतिहास एवं नारी एवं पर्यावरण आंदोलन : एक दृष्टि ” विषयक दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करने के पश्चात आधा दर्जन से अधिक राज्यों से आए विद्वानों, शोधार्थियों, शिक्षकों और छात्रों को संबोधित कर रहे थे I उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों को बेहतर बनाने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने की जरूरत है I इससे पूर्व कुलपति ने नालंदा कॉलेज में पुननिर्मित सभागार का उद्घाटन और स्मारिका का लोकार्पण भी किया I नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रोफेसर वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नर और नारी एक दूसरे के पूरक रहे हैं और भारतीय संस्कृति में अर्थव्यवस्था का आधार स्त्री और पुरुष दोनों हैं I
मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो माया शंकर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है और वह पुरुषों से अधिक कार्य करती हैं I उन्होंने चिपको आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक अवसरों पर अपनी आहुति दी है I इतिहास संकलन समिति के बिहार के अध्यक्ष इतिहासकार डॉ राजीव रंजन ने कहा कि भारतीय इतिहास के पुन : लेखन की आवश्यकता है जिससे कि नई पीढ़ी हमारे गौरव पुरुष और इतिहास में अमिट छाप छोड़ने वाली उन महान महिलाओं के बारे में जान सकें जिन्होंने भारत को विश्व का सिरमौर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है I पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो एस एन आर्य ने कहा कि महिलाओं के बिना भारत में पर्यावरण संरक्षण आंदोलन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है I इस अवसर पर नालंदा कॉलेज के प्राचार्य डॉ रामकृष्ण परमहंस, इतिहास विभाग के अध्यक्ष एवं संगोष्ठी के समन्वयक डॉ रत्नेश अमन, सह समन्वयक डॉ विनीत लाल, डॉ भावना, डॉ मंजू कुमारी डॉ श्रवण कुमार, डॉ श्याम सुंदर प्रसाद, डॉ ध्रुव कुमार, डॉ प्रभात कुमार, पूर्व प्राचार्य डॉ देवकी नंदन सिंह, डॉ चंद्रिका प्रसाद डॉ ए रहमान, डॉ रंजन कुमार, जे पी विश्वविद्यालय, छपरा की प्रोफेसर अनीता राकेश
सहित विभिन्न कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक, शोधार्थी, छात्र मौजूद थे I