बिहारशरीफ – इन दिनों नियमों को ताख पर रखकर जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा की जा रही निविदा पर सबाल खड़ा हो रहा है। निविदा में अनियमितता के आरोप में जिला प्रशासन द्वारा लगातार निरस्त कर प्रक्रिया की जा रही है। सफाई के बाद अब जेनरेटर की निविदा को निरस्त कर दिया गया है। जेनरेटर की निविदा में बरती गई जिसपर डीपीएम द्वारा आपत्ती भी जताई गई थी। लेकिन सच्चाई सामने आ ही जाती है। मामला जब डीएम तक पहुंचा तो डीडसी की अध्यक्षता में जांच टीम गठित कर पूरे मामले का जांच कराया। जिसमें घोर अनियमितता पाई गई। डीएम शशांक शुभंकर ने कहा कि जेनरेटर की निविदा में अनियमितता बरती गई है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि पूर्व की तुलना में प्रति घंटे दर में काफी बढ़ोतरी की गई है जिससे सरकारी राजस्व की काफी क्षति होने की संभावना है। बढ़े दर के कारण मासिक विपत्र में लगभग 320 फीसदी की औसत वृद्धि हो गई है जो सीधा-सीधी सरकारी राजस्व के दुरुपयोग का दुरूपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निविदा की प्रक्रिया पर रोष व्यक्त करते हुए मार्केट सर्व कराते हुए पारदर्शी तरीके से पुन: निविदा प्राकाशित करने का निर्देश दिया गया है।
मार्च 2021 में डीएचएस द्वारा सफाई एवं जेनरेटर और सफाई व्यवस्था के लिए निविदा की गई थी। पूर्व में 18-20 पैसे प्रति स्क्वायर मीटर की दर से 20725 स्क्वायर मीटर के लिए टेंडर किया गया था। इस अनुसार देखा जाए तो प्रति माह करीब 1 लाख 46 हजार रुपया खर्च होता था। लेकिन 2021 के टेंडर में राशि बढ़ाकर 2.20 रुपया कर दिया गया है। इस अनुसार 19 गुणा राशि बढ़ोत्तरी करते हुए प्रति माह करीब 21 लाख खर्च करने की योजना तैयार कर ली गई थी। वहीं जेनरेटर की निविदा में भी नियमों को ताख पर रखकर खर्च पर ढाई गुणा बढ़ात्तरी कर दी गई थी। पहले 850 रुपए प्रति घंटा जेनरेटर पर खर्च होता था। मार्च 2021 में की गई निविदा में दो दर आवंटित किया गया है। पहला 1 लाख 65 हजार प्रति महिना फिक्सेशन और दुसरा जितना समय जेनरेटर चलेगा उस अनुसार 2400 रुपए प्रति घंटा भुगतान किया जाएगा। प्रति घंटा के हिसाब को देखा जाए तो करीब ढाई गुणा खर्च में बढ़ोत्तरी की गई थी।
सफाई व्यवस्था के लिए की गई निविदा में अनियमितता बरते के आरोप में कोर्ट में शिकायत दर्ज की गई थी। इस कारण अभी तक जिस एजेंसी को टेंडर दिया गया था उसे कार्यादेश नहीं दिया गया था। प्रभाकर इन्टर प्राईजेज का आरोप थ कि उनका फाइनेंशियल बिड नहीं खोला गया। आपसी मिलीभगत से टेंडर कर दिया गया है। प्रभाकर इंटरप्राईजेज ने निविदा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कोर्ट से कार्यादेश पर रोक लगाने की अपील की थी।
सुत्रों की माने तो सफाई के लिए की गई निविदा का मामला कोर्ट में चले जाने के बाद आगे की प्रक्रिया पर रोक लग गई और दुवारा टेंडर किया गया जिसे डीएम द्वारा निरस्त कर दिया गया। वहीं जेनरेटर के लिए की गई निविदा में चयनित एजेंसी को कार्यादेश देने के साथ-साथ एग्रीमेंट भी कर दिया गया था लेकिन अभी तक राशि का भुगतान नहीं किया गया था।
डीएचएस द्वारा की जा रही निविदा में अनियमितता बरते जाने के बाद डीम द्वारा लगातार निरस्त किया जा रहा है। लेकिन सबाल है कि जिस निविदा समिति की उपस्थिति में टेंडर कर प्रक्रिया पूरी की जाती है, उन सदस्यो पर कार्रवाई क्यों नहीं। अगर निविदी की प्रक्रिया में गलती या अनियमितता में बरती जाती है तो निविदा समिति के सदस्य में उतनी ही दोषी है जितना की विभाग