राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम तथा मत्स्यपालन विभाग, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप शुक्रवार को हरदेव भवन में पैक्स सचिव, मत्स्यजीवी संघ के मंत्री व सदस्यों के साथ एक दिवसीय जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उघाटन उपविकास आयुक्त वैभव श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम के दौरान पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं के साथ-साथ मत्स्य उत्पादन, वितरण तथा विपणन के लिए उपलब्ध संसाधनों व अनुदानित दर पर दी जाने वाली यंत्रों के बारे में जानकारी दी गई। ताकि मत्स्य व्यवसायियों को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपविकास आयुक्त ने कहा कि मछली पालन से किसान आत्म निर्भर बन सकते हैं। इसके लिए मछली पालन से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी रखना होगा। क्योंकि मछली पालन के साथ उसे संरक्षित करना भी जरूरी है। ताकि बाजार में अच्छी किमत अगर नहीं मिल रहा है तो उसे स्टोर किया जा सके।
इसके लिए सरकार द्वारा अनुदानित दर पर संसाधन भी उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन इन संसाधनों को लेने के लिए मत्स्य पालकों को आगे आना होगा। डीडीसी ने बताया कि प्रजेंटेशन के दौरान मछली उत्पादन से संबंधित जो आंकड़ा बताया गया है, उससे स्पष्ट होता है कि जिले के किसान भी मछली पालन के प्रति जागरूकता दिखाएं तो इस व्यवसाय के उद्योग के रूप में डेवलप किया जा सकता है। जिले के किसान मेहनती हैं लेकिन जानकारी के आभाव में सरकार द्वारा दी जा रही संसाधनों को अपना नहीं रहे हैं। इस कारण अपेक्षानुसार उत्पादन नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कई सुविधाएं दी जा रही है। इस योजना के तहत फिश फीड मिल, हेचरी, रंगीन मछली हेचरी, बायोफ्लॉक आदि योजनाओं पर अनुदान दिया जा रहा है। लेकिन इसे अपना नहीं रहे हैं। मत्स्य विभाग को भी इन योजनाआें को धरातल पर उतारने के लिए तेजी से प्रयास करने की जरूरत है।