बिहारशरीफ – देश में बढ़ रहे कैंसर के मरीजों की संभावना को देखते हुए सरकार द्वारा रोकथाम के लिए कई प्रयास किया जा रहा है। जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर गैर संचारी रोग का स्कीनिंग किया जा रहा है। इसके अलावे होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र मुजफ्फरपुर के सहयोग से 7 जून से लगातार स्क्रीनिंग किया जा रहा है। महिलाओं में बढ़ रहे कैंसर की संभावना को देखते हुए घर-घर स्क्रीनिंक करने के लिए अब आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। शनिवार को सदर अस्पताल सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसमें आशा कार्यकर्ताओं को स्तन एवं सर्वाईकल कैंसर के लक्षण के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. राम मोहन सहाय ने कहा कि बदलते परिवेश में लोगोें के जीवन शैली में भी काफी बदलाव आया है। इस कारण कैंसर के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। खासकर महिलाओं में ब्रेस्ट एवं सर्वाइकल कैंसर की संभावना ज्यादा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता महिलाओं के साथ ज्यादा समय बिताती है। प्रशिक्षण के दौरान जो जानकारी दी गई है, उसके अनुसार घर-घर जाकर लक्षण को देखें और संभावना दिखने पर जांच के लिए महिलाओं को जागरूक करें और विभाग को भी सूचना दें। ताकि सही समय पर ईलाज हो सके और कैंसर जैसे भयावह बिमारी से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि महिलाएं खुद महिने में कम से कम एक बार अपने शरीर को देख लें। अगर कहीं पर किसी तरह के गांठ या अन्य लक्षण दिखता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल से प्रशिक्षण प्राप्त डॉ स्वाति सिन्हा ने कहा कि कैंसर सुनने में भले ही छोटा शब्द लगता है लेकिन मौत सबसे दर्दनाक होता है। मरीज के दर्द को देखकर अपने लोग भी दुर भाग जाते हैं। खासकर महिलाओं में कैंसर की संभावना ज्यादा मिल रही है। रोग होने से बड़ा कार्य उसका रोक थाम करना है। अगर बिमारी का लक्षण दिखने के साथ ही ईलाज शुरू कर देते हैं तो इंसान को मौत से रोक जा सकता है। महिलाओं में कैंसर की संभावना को रोकने में आशा कार्यकर्ता सक्रिय भुमिका निभा सकती है। जो जानकारी दी गई है, उस अनुसार अगर किसी महिला में लक्षण दिखता है तो उन्हें ईलाज के लिए जागरूक करें। डॉ. सूर्या ने कहा कि इस वर्ष कोरोना से मरने वालों की संख्या को देखा और सुना होगा। लेकिन जितनी मौत कोरोना से हुई है उससे तीन गुणा मौत कैंसर से प्रति वर्ष होता है। इसे हम और आप मिलकर रोक सकते हैं। इसके लिए समाज में जागरूक करने की जरूरत है। खान-पान में बदलाव लाने के साथ-साथ अगर किसी व्यक्ति में लक्षण दिखता है तो उसे चिकित्सीय परामर्श के लिए सुझाव दें। ऐसे भी स्वास्थ्य संबंधित कार्यक्रमों के संचालन में आशा की बड़ी भुमिका होती है। कैंसर से बचाव के लिए भी लोगोे को जागरूक करें। उन्होंने बताया कि स्क्रीनिंग के दौरान पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं में भी स्तन कैंसर एवं सरवाईकल कैंसर की संभावना देखने की मिला है। 18 साल से उपर की महिलाओं में स्तन कैंसर एवं 30-60 साल की महिलाओं में बच्चेदानी के मुख़ का कैंसर बहुत ही सामान्य है। इसलिए महिलाओं को भी नियमित रूप से हर 3 साल में अपना जांच कराना चाहिए। ताकि कैंसर की संभवना से बचा जा सके।